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रामनवी पर जगह-जगह निकलीं शोभायात्राएं

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Apr 7, 2012, 12:00 am IST
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विविध

दिंनाक: 07 Apr 2012 18:02:27

विविध

राममय हुआ वातावरण

गत दिनों रामनवमी के पावन अवसर पर जगह-जगह शोभायात्राएं निकलीं। शोभायात्राओं में भक्तों द्वारा लगाए जा रहे 'जय श्रीराम' के उद्घोषों से सारा वातावरण राममय बन गया। इन्द्रपस्थ विश्व हिन्दू परिषद् के तत्वावधान में गत 31 मार्च को हिन्दू पर्व समन्वय समिति, दिल्ली एवं दिल्ली की विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा दिल्ली के रामलीला मैदान से करोलबाग स्थित गंगेश्वर धाम तक विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया। 200 से अधिक विभिन्न स्वरूपों की झांकियों एवं भजन मंडलियों में सबसे आगे हनुमान ध्वज के साथ जीप में विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी व प्रमुख संत भगवा साफा बांधे चल रहे थे। उनके पीछे हाथी, घोड़े, ऊंट व मोटरसाइकिल सवारों के साथ श्रीराम धुन बजाते अनेक बैण्डबाजों के बीच विविध रूपों की सुन्दर झांकियां थीं। यात्रा में उपस्थित रामभक्तों ने रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कराने का संकल्प लिया।

शोभायात्रा का शुभारम्भ विश्व हिन्दू परिषद् के संगठन महामंत्री श्री दिनेशचन्द्र, दिल्ली की महापौर श्रीमती रजनी अब्बी, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष स्वामी राघवानन्द, स्वामी पून्यानन्द गिरि, स्वामी प्रज्ञानन्द, स्वामी धर्मदेव, महर्षि कुमारानन्द सरस्वती तथा हिन्दू पर्व समन्वय समिति के अध्यक्ष श्री रजनीश गोयनका ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री दिनेशचंद्र ने कहा कि विश्व का कोई कोना ऐसा नहीं है जहां राम के उपासक न हों। अब तो प्रत्येक हिन्दू उस दिन की प्रतीक्षा में है जब उसे अयोध्या में भगवान राम का भव्य मन्दिर निर्माण और रामेश्वरम् में रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित होता हुआ देखना है।

रामलीला मैदान से प्रारम्भ होने के पश्चात यात्रा का आसफ अली रोड, दरियागंज, चांदनी चौक, टाउन हाल, खारी बावली, सदर बाजार, पहाड़ी धीरज, एम.एम. रोड, मॉडल बस्ती आदि क्षेत्रों में भव्य स्वागत हुआ। यात्रा दोपहर 4:30 बजे रामलीला मैदान से प्रारम्भ होकर रात्रि लगभग 8-30 बजे गंगेश्वर धाम, करोलबाग में स्वामी आनंद भास्कर के आशीर्वचन के साथ सम्पन्न हुई।

जोधपुर में 11 करोड़ रामनाम जप

दिल्ली की तरह जोधपुर में भी रामनवमी पर विशाल शोभायात्रा निकली। विश्व हिन्दू परिषद द्वारा संचालित श्री रामनवमी महोत्सव समिति द्वारा 1 अप्रैल को शहर में विराट शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा से पूर्व विहिप ने शहर का वातावरण राममय करने के लिए सभी 12 प्रखंडों में रामजन्मोत्सव कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें 11 करोड़ रामनाम के जप किए गए। शोभायात्रा में कुल 198 झांकियों ने भाग लिया। यात्रा कुल 4 किलोमीटर की थी।  n|ÉÊiÉÊxÉÊvÉ

केन्द्र सरकार ने वापस लिया

गोमांस निर्यात का प्रस्ताव

साधु–संत, विहिप तथा हिन्दू समाज की जीत

विश्व हिन्दू परिषद ने गत दिनों प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केन्द्र सरकार द्वारा गोमांस निर्यात के प्रस्ताव को वापस लिए जाने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह देश के साधु-संत, विहिप तथा हिन्दू समाज की जीत है। उल्लेखनीय है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में गोमांस निर्यात खोलने का प्रस्ताव रखा गया था। जबकि गोमांस का आयात तथा निर्यात दोनों ही इस समय प्रतिबंधित हैं।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि गोमांस निर्यात से संबंधित प्रस्ताव के बारे में पता चलते ही देश के साधु-संतांे, विश्व हिन्दू परिषद तथा अन्य हिन्दू संगठनों ने इसका खुलकर विरोध किया। विहिप ने देशव्यापी आंदोलन कर मांग की कि ऐसे क्रूर प्रस्ताव को किसी भी कीमत पर मंजूरी न दी जाए। साधु-संत तथा अन्य हिन्दू संगठनों ने भी अपने-अपने स्तर पर प्रस्ताव का खुला विरोध किया। आंदोलन तथा विरोध प्रदर्शनों का परिणाम यह हुआ कि सरकार ने विगत दिनों प्रेस सूचना जारी कर कहा कि गोमांस निर्यात नहीं होगा। n|ÉÊiÉÊxÉÊvÉ

जम्मू-कश्मीर समस्या पर दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यक्रम

समाधान को आगे आए जनता

'जम्मू–कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए देश की जनता को आगे आना चाहिए। क्योंकि जनता ही देश की ताकत है। जनता को दलीय और वोट राजनीति से ऊपर उठकर जम्मू-कश्मीर की समस्या का समाधान ढूंढने के लिए जन जागरण आदि का सहारा लेकर आम सहमति निर्माण करने में योगदान करना होगा'। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सह सम्पर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार ने गत 3 अप्रैल को दिल्ली विश्वविद्यालय में अभाविप द्वारा 'जम्मू-कश्मीर' विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

श्री अरुण कुमार ने कहा कि दिल्ली में बैठे रणनीतिकार जम्मू-कश्मीर की वास्तविक समस्याओं से पूर्णत: परिचित नहीं हैं और जानकारी के अभाव में गलत नीतियां बनाते रहते हैं। वास्तव में कश्मीर क्षेत्र जम्मू-कश्मीर राज्य का एक हिस्सा मात्र है। राज्य के दो अन्य हिस्से लद्दाख और जम्मू हैं। इन क्षेत्रों में न कोई अलगाववादी और राष्ट्रविरोधी स्वर है और न ही कभी रहे हैं। n |ÉÊiÉÊxÉÊvÉ

'राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रवाद' पर हुगली में कार्यक्रम

राष्ट्रवाद के साथ समझौता

नहीं किया जा सकता

–इन्द्रेश कुमार, सदस्य, अ.भा. कार्यकारी मंडल, रा.स्व.संघ

'राष्ट्र, राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रवाद, जाति, भाषा या मजहब द्वारा निर्धारित नहीं किए जाते। यह ईश्वर की देन है। हम कहां, किस देश या किस समाज में जन्म लेंगे यह स्वयं भगवान ही तय करते हैं। 1940 में जिन लोगों ने ढाका में जन्म लिया उन्होंने अपना धर्म या भाषा नहीं बदली, उस समय वे भारतीय थे, 1947 के बाद पाकिस्तानी एवं 1971 के बाद बंगलादेशी कहलाए जाते हैं'। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने गत दिनों पश्चिम बंगाल के हुगली में 'राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रवाद' विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक संस्था 'फिन्स' द्वारा किया गया था। श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रवाद के साथ कभी समझौता नहीं किया जा सकता। n¤ÉɺÉÖnäù¤É पाल

सरना–सनातन हिन्दू महासम्मेलन

4000 से अधिक लोगों ने भाग लिया

हिन्दू जागरण मंच के तत्वावधान में गत दिनों झारखंड के सिमडेगा जिले के जलडेगा प्रखंड में सरना-सनातन हिन्दू महासम्मेलन सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में सिमडेगा जिले के कुरडेग, बोलबा इत्यादि प्रखंडों के 70 गांवों का प्रतिनिधित्व हुआ। कुल 4000 से अधिक लोगों ने परिवार सहित इसमें भाग लिया। सिमडेगा के दूर-दराज इलाकों से भारी तादाद में पहुंचे लोगों के बीच महासम्मेलन को लेकर काफी उत्साह दिखाई दिया। महासम्मेलन में प्रमुख रूप से झारखंड प्रांत के जनजातीय प्रमुख श्री जगन्नाथ उरांव, प्रांत सम्पर्क प्रमुख श्री जनेश्वर विलहोर, प्रांत मीडिया प्रभारी श्री नारायण कुमार उपस्थित रहे। सम्मेलन की अध्यक्षता श्री छोटू महतो ने की। n|ÉÊiÉÊxÉÊvÉ

कोलकाता विश्वविद्यालय में संस्कृत संभाषण शिविर

संस्कृत भारती के तत्वावधान मंे पहली बार आयोजित

संस्कृत भारती, दक्षिण बंग प्रांत के तत्वावधान में गत दिनों कोलकाता विश्वविद्यालय में पहली बार 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर सम्पन्न हुआ। शिविर में भाग लेने वाले छात्रों ने बड़े हर्षोल्लास के साथ संस्कृत बोलना सीखा। शिविर विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रमुख श्री रवीन्द्रनाथ भट्टाचार्य के सहयोग से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। शिविर के उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री वासव चौधरी ने सभी छात्रों का मार्गदर्शन किया, जबकि समापन सत्र में विश्वविद्यालय के उपकुलपति श्री ध्रुवज्योति चट्टोपाध्याय ने संबोधित किया। n |ÉÊiÉÊxÉÊvÉ

 

संघ संस्थापक डा. हेडगेवार के जीवन पर आधारित 'केशव शतक' लोकार्पित

 अपनी व्यवस्था पर हो देश की उन्नति

'आज साधन साध्य से भारी हो गया है और उपाय के गंतव्य को छोड़कर हम सब भटक गए हैं। अपने देश की उन्नति अपनी व्यवस्था के आधार पर होनी चाहिए इस बात को हम भूल गए और अन्य देशों की व्यवस्थाओं के आधार पर अपने देश को खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। समाज को ढकने का कपड़ा उसके नाप का होना चाहिए दूसरे के कपड़े से अपने समाज को कैसे ढक पाएंगे। आज प्रामाणिकता, नि:स्वार्थ बुद्धि, अनुशासन का सर्वथा अभाव दिखाई देता है'। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत दिनों नागपुर में 'केशव शतक' नामक सीडी का लोकार्पण करते हुए व्यक्त किए। रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री लक्ष्मीनारायण भाला 'अनिमेष' द्वारा रचित कविताओं पर आधारित सीडी को संस्कार भारती, जयपुर ने तैयार कराया है।

सीडी के संबंध में बोलते हुए श्री भागवत ने कहा कि जिस प्रयोजन से डा. हेडगेवार ने रा.स्व.संघ की स्थापना की थी उस प्रयोजन के सिद्ध होने का समय अब आया है। डा. हेडगेवार के बताए रास्ते पर चलते हुए समाज की सज्जन शक्ति को जागृत एवं संगठित कर भारत को उसका खोया हुआ गौरवशाली स्थान विश्व में दिलाना यही हमारा जीवन कार्य है। इसको शीघ्रता से पूर्ण करने की प्रेरणा 'केशव शतक' से सभी को प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि महापुरुषों के जीवन के बारे में बोलना तो कठिन है ही, उसमें भी यदि वे महापुरुष डा. हेडगेवार की श्रेणी के हों तो यह काम और भी दुष्कर होता है, क्योंकि ऐसे जीवन के बारे में तो सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है। इसलिए श्री लक्ष्मीनारायण भाला, श्री पद्माकर मिश्र, श्री संकल्प दलवी एवं सीडी तैयार करने में लगे अन्य बंधु अभिनंदन के पात्र हैं।

देश की वर्तमान स्थिति पर बोलते हुए श्री भागवत ने कहा कि आज जो स्थिति बनी हुई है ऐसे में संघ की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। संघ कार्य को प्रभावी बनाने के लिए हम सब स्वयंसेवकों को और अधिक मेहनत से काम करना होगा। डा. हेडगेवार संघ के बीज बने और इसकी जड़ें मूल तक ले गए इसलिए संघ कार्य बढ़ा है। भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा, परन्तु किसी का भी द्वेष न करते हुए सारी दुनिया को धर्म का संस्कार देने वाला भारत निर्माण करना है तो उसको साध्य करने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कार भारती के अ.भा. महामंत्री श्री बंडोपंत रोड़े ने की। मंच पर श्री भागवत के साथ संस्कार भारती, नागपुर की अध्यक्ष श्रीमती कंचन गडकरी तथा श्री लक्ष्मीनारायण भाला भी आसीन थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नागपुर के स्वयंसेवक तथा गण्यमान्य नागरिक         उपस्थित थे। n सुषमा पाचपोर

भारत के सुरक्षा मामलों में हस्तक्षेप पर

माफी मांगे संयुक्त राष्ट्र

–डा. प्रवीण भाई तोगड़िया, कार्यकारी अध्यक्ष, विहिप

विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को भारत की सुरक्षा के मामले में दखल देने के लिए माफी मांगनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र को इस तरह से भारत के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। यह बात उन्होंने गत दिनों एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कही।

 विहिप द्वारा जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र ने फिर से भारत के महत्वपूर्ण अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप करके देशवासियों के अहं को चोट पहुंचाई है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत से देश के अशांत क्षेत्रों- जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और अन्य उत्तर पूर्व क्षेत्रों से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (ए.एफ.एस.पी.ए.) को हटाने की बात कही है। संयुक्त राष्ट्र इसके लिए बेवकूफी भरा तर्क देते हुए कहता है 'लोकतंत्र में 'एफस्पा' की कोई जगह नहीं है। यह अशांत क्षेत्रों में राज्य के अधिकारों से ऊपर हो जाता है। इन क्षेत्रों में अत्यधिक पुलिस बल महिलाओं और अल्पसंख्यकों को प्रभावित करता है'। परन्तु संयुक्त राष्ट्र की रपट को सिरे से खारिज करने के बजाय देश के केन्द्रीय गृहमंत्री एक आधिकारिक बयान में कहते हैं 'संयुक्त राष्ट्र की रपट में कुछ सकारात्मक तथा कुछ नकारात्मक बयान हैं। 'एफस्पा' की कुछ धाराओं में संशोधन की जरूरत है'। प्रेस वक्तव्य के जरिए विहिप ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि सरकार तुरन्त संयुक्त राष्ट्र की तथाकथित रपट को अस्वीकार करे। संयुक्त राष्ट्र से भारत की सुरक्षा के संबंध में हस्तक्षेप करने के लिए माफी मांगने को कहे। इसके अलावा और भी कई मांगें विहिप ने सरकार से इस संबंध में की हैं। n प्रतिनिधि

 

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