दृष्टिपात
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चीन का रक्षा बजट 11.2 फीसदी बढ़ा
चीन 100 अरब डालर से ज्यादा खर्चेगा हथियारों पर
4 मार्च को चीन सरकार ने 670.27 अरब युआन यानी 106.4 अरब डालर का रक्षा बजट घोषित करके अपनी बढ़ती फौजी ताकत का अहसास कराया। भारत के लिहाज से देखें तो 2011-12 का भारत का बजटीय रक्षा अनुदान इससे तीन गुना कम था। आर्थिक पायदानों पर तेजी से बढ़ते ड्रेगन का रक्षा बजट प्रस्ताव नेशनल पीपुल्स कांग्रेस जल्दी ही अनुमोदित कर देगी। कांग्रेस के प्रवक्ता ली झाओझिंग की मानें तो चीन का रक्षा बजट पहली बार 100 अरब डालर से ऊपर गया है। चीन जितना हथियारों पर खर्च करता है उतना ही वह प्रशिक्षण, सेवाओं और रखरखाव पर भी ध्यान देता है। हैरानी की बात है कि चीन अपनी रक्षा नीति को “रक्षात्मक” बताता है और कहता है कि वह “शांतिपूर्ण विकास” के लिए प्रतिबद्ध है। ली की इस बात पर हंसी ही आती है कि “उनकी सेना किसी दूसरे देश के लिए खतरे का सबब नहीं बनेगी।”
नई दिल्ली में सेना के बड़े अधिकारी रहे एक रक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि चीन का इतना बड़ा रक्षा बजट हैरानी पैदा करता है, क्योंकि उसकी सेना पर होने वाले खर्च का 50 फीसदी तो वह रक्षा बजट में दिखाता ही नहीं है। उसके रक्षा बजट में घोषित यह 11.2 फीसदी की छलांग अमरीका भी देख रहा है और उसने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उसे इस बढ़ोतरी का पहले से अंदाजा था। हालांकि यह भी सच है कि पेंटागन और अमरीकी रक्षा विशेषज्ञ दक्षिण पूर्व एशिया में शक्ति संतुलन बिगाड़ने की कोशिश में चीन का बड़ा हाथ मानते हैं। भारत न केवल यह जानता है बल्कि गाहे-बगाहे चीनी घुड़कियों और फौजी घुसपैठ को सहता रहा है। चीन से भारत का सीमा विवाद चल ही रहा है जिसके अनसुलझे होने के बहाने चीनी रणनीतिकार सीमाओं के अतिक्रमण की बात हंसी में उड़ाते रहे हैं।थ्
मुशर्रफ अदालत में हाजिर हों!
पाकिस्तान के पहले वाले राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ पर शिकंजा तेजी से कसता जा रहा है। पाकिस्तान आने पर खुद से ही पाबंदी लगाकर लंदन और दुबई में रहते आ रहे मुशर्रफ गाहे-बगाहे राजनीतिक बयानबाजियां करके और विदेशी विश्वविद्यालयों में तकरीरें झाड़कर अपनी मौजूदगी और जिहादी सोच का प्रदर्शन करते रहते हैं। इधर पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या का मुकदमा करवटें ले ही रहा है, जिसमें जनरल को भी आरोपी बनाया गया है। 27 दिसम्बर, 2007 को बेनजीर की हत्या हुई थी, 2008 को जनरल मुशर्रफ ने गद्दी छोड़ी थी। उसके बाद वे लंदन और दुबई में रहने लगे। एक अदनी सी सियासी पार्टी-आल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-खड़ी करके मुशर्रफ सत्ता के सपने भी संजोए हैं और बार-बार पाकिस्तान आने की घोषणाएं करते रहे हैं। पर आते नहीं, क्योंकि गिलानी सरकार ने धमका रखा है कि लौटते ही उन्हें धर लेगी। सो जनरल ने आना टाला हुआ है। अदालत के बार-बार बुलाने के बावजूद मुशर्रफ की तरफ से कोई हरकत नहीं की गई। लिहाजा आजिज आकर वहां के सर्वोच्च न्यायालय ने आखिर इस्लामाबाद के बाहरी इलाके चक शहजाद में बने जनरल मुशर्रफ के फार्म हाउस के गेट पर कानूनी नोटिस चस्पा कर दिया है कि 22 मार्च को मुशर्रफ देश की सबसे बड़ी अदालत में हाजिर हों! इतना ही नहीं, नोटिस में यह भी लिखा है कि जब 22 मार्च को मुशर्रफ अदालत में आएं तो साथ में वे दस्तावेज भी लाएं जिनसे साबित होता हो कि वे पाकिस्तान के नागरिक हैं! उधर पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक ने 5 मार्च को बताया कि हुकूमत ने “इंटरपोल” को चिट्ठी लिखकर इसके 190 सदस्य देशों में “रेड कार्नर नोटिस” जारी करने की अपील की है। उधर बेनजीर मुकदमे के सरकारी वकील मोहम्मद अजहर चौधरी ने कहा है कि अगर मुशर्रफ अदालत में हाजिर नहीं हुए तो उनकी गैरहाजिरी में उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है।थ्
हैदराबाद (सिंध) में
भगत सिंह के आखिरी लम्हों का मंचन!
पाकिस्तान से एक सुहानी खबर भी मिली है। वहां हैदराबाद सूबे के सिंध म्यूजियम के मुमताज मिर्जा सभागार में 3 मार्च को लाहौर सेंट्रल जेल में शहीद भगत सिंह की फांसी से पहले के आखिरी लम्हों का सुंदर मंचन हुआ। दर्शक भी खूब आए और उन पलों में खो गए जब भारत की आजादी के एक दीवाने ने अपनी फांसी से पहले अंग्रेजी हुकूमत के सामने सीना चौड़ा करके हुंकार भरी थी। नाटक में लाहौर सेंट्रल जेल का वह नजारा हूबहू दिखाने की कोशिश की गई जो 1931 में भगत सिंह की फांसी के वक्त था। “भगत सिंह का आखिरी घंटा” नाटक का मंचन सिंधी कवि शेख अयाज के 89वें जन्मदिन के मौके पर किया गया था। हैदराबाद (सिंध) की के.टी.एन. संस्था की ओर से पेश किए गए इस नाटक के निर्देशक नाज सहितो का कहना था कि “मुझे खुशी है कि मेरी संस्था और साथियों के प्रयासों की तारीफ की गई।” नाटक में चंद्रशेखर आजाद का किरदार निभाने वाले कमर मैमून की इंटरनेट पर टिप्पणी थी- “मेरे लिए फख्र की बात है कि मैंने चंदर शेखर आजाद का किरदार निभाया….।” नाटक के मंचन पर कई देशभक्त भारतवासियों ने इंटरनेट पर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि “भारत की आजादी के लिए बलिदान होने वालों की गाथाएं सदा गूंजती रहनी चाहिए। पाकिस्तान में ऐसा प्रयास हुआ, यह जानकर बहुत अच्छा लगा।” थ्
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