Panchjanya
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

by
Mar 10, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

राजनीतिक हिंसा का भंवर

दिंनाक: 10 Mar 2012 15:55:38

प. बंगाल में फिर घुमड़ने लगा है राजनीतिक

हिंसा का भंवर

बासुदेब पाल

क्या पश्चिम बंगाल राजनीतिक हिंसा के कुचक्र को झेलते रहने को अभिशप्त है? क्या करीब 30 सालों के वाम मोर्चा शासन ने इस राज्य में राजनीतिक हत्याओं का विष इतना गहरे बो दिया है, जिसका अंत होने में एक लंबा वक्त लगेगा? क्या राज्य की जनता कम्युनिस्ट हिंसा के कुचक्र से कभी बाहर निकल भी पाएगी?

अपने विरोधियों के विरुद्ध प. बंगाल और केरल में हिंसक षड्यंत्र चलाते आ रहे कम्युनिस्टों ने इन दोनों प्रदेशों में जैसा आतंक रचाया है उसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है। दोनों ही प्रदेशों में राजनीतिक हिंसा का ऐसा भंवर घुमड़ता रहा है, जिसमें दांव पर दांव चले जाते रहे हैं। अभी गत 22 फरवरी को प. बंगाल के बद्र्धमान शहर के देवानदिघि इलाके में दो राजनीतिक कार्यकर्ताओं के मारे जाने के बाद प्रदेश के निवासियों के बीच उपरोक्त सवाल फिर से उठने शुरू हुए हैं। क्या प. बंगाल में राजनीतिक हत्याओं का दौर कभी थमेगा?

बात शुरू करते हैं पूर्ववर्ती बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व में लंबे समय तक प. बंगाल पर राज करने वाली वाममोर्चा सरकार के शासनकाल से। बुद्धदेव मुख्यमंत्री थे तब वे “लाल दुर्ग” (प. बंगाल) को रेगिस्तान में “शांति का मरुद्यान” कहा करते थे। 2011 में वहां परिवर्तन की लहर चलने के बाद जबसे ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी है, तबसे मुख्यमंत्री ममता ने अपनी सरकार को “मां-माटी-मानुष” की सरकार कहना शुरू किया है। लेकिन राजनीतिक हिंसा का दौर कहीं धुंधलाता नहीं दिख रहा। राज्य के अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े, विधानसभा कार्यवाहियों के दस्तावेजी रिकार्ड आदि वस्तुस्थिति से परिचित कराते हैं।

वाममोर्चे के बीस साल राज करने के बाद 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था- 1977 से 1996 के बीच 19 साल में 28 हजार राजनीतिक हत्याएं हुईं। इसके मायने ये कि हर महीने 125.7 हत्याएं यानी रोज 4 से ज्यादा हत्याएं यानी हर 6 घंटे में एक हत्या हुई। यह था “शांति का मरुद्यान”? इसके बाद के सरकारी आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए गए। बहरहाल 2009 में खुद बुद्धदेव भट्टाचार्य ने मुख्यमंत्री के नाते विधानसभा में बताया कि वर्ष 2009 में 2284 हत्याएं हुईं, 26 राजनीतिक हत्याएं हुईं, 2516 बलात्कार की घटनाएं हुईं, महिलाओं से अभद्र व्यवहार की 3013, विवाहिताओं के उत्पीड़न की 17,571 घटनाएं और माओवादी हमलों में 134 लोगों की मौत हुई। ये एक साल के आंकड़े थे। 1977 के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष के हिसाब से औसत लगाएं तो 1997 से 2009 के बीच 28000अ27,408 मिलकर 55,408 की संख्या आती है। यानी 55,408 लोगों की हत्या! साल के हिसाब से यह संख्या 1787 है तो माह के हिसाब से 149 यानी हर 4 घंटे 50 मिनट में एक हत्या!

2009 के संसदीय चुनावों में वाम मोर्चे की जबरदस्त हार के बाद हुए राजनीतिक संघर्षों में एक ऐसा व्यक्ति मारा गया था जिसकी दलीय निष्ठा और पहचान को लेकर काफी खींचतान मची थी। कम्युनिस्ट, कांग्रेस और तृणमूल उसे अपना कार्यकर्ता बताकर उसकी मौत को भुनाने की कोशिश में लगी रहीं। भारत के गृहमंत्री को एक के बाद एक कई ज्ञापन सौंपे गए जिनमें इसे माकपा की तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ “हिंसा का रोजाना का घटनाक्रम” बताया गया। 2009 में तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चट्टोपाध्याय (जो इस वक्त राज्य के उद्योग मंत्री हैं) ने दावा किया था कि दलीय रपट के अनुसार, कुल 267 तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता मारे जा चुके थे। उनमें से 100 से कुछ ही ज्यादा तो 2009 के मई से दिसम्बर महीनों के बीच ही मारे गए थे।

बद्र्धमान की घटना का रुख करें तो, 22 फरवरी को वहां देवानदिघि इलाके में माकपा का जुलूस निकल रहा था, जिसमें कथित रूप से “सीटू” नेता प्रदीप ताह और उनके साथ काम करने वाले पूर्व विभाग सचिव कमल गायेन पर हमला हुआ। कभी माकपा का गढ़ रहे बद्र्धमान में इस हमले में इन दो कार्यकर्ताओं की मौत से हालात गर्म हो गए। प्रदीप ताह बद्र्धमान उत्तर विधानसभा सीट से विधायक रह चुके थे और बद्र्धमान में ही नतूनग्राम के दो तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में कथित अभियुक्त भी थे। बताया जाता है कि माकपा नेता रूप कुमार गुप्त और एक अन्य कार्यकर्ता भारत बंद के अवसर पर निकलने वाले जुलूस के लिए झण्डा लगा रहे थे। इस पर तृणमूल कांग्रेस के नेता विद्युतकरण हजरा ने आपत्ति जताई, क्योंकि झंडा उनकी दुकान के सामने लगाया जा रहा था। बात कहा-सुनी से बढ़ते-बढ़ते-हाथापाई पर उतर आई। तृणमूल नेता से खूब मारपीट की गई, उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया गया।

इसके बाद प्रदीप ताह की अगुआई में जब जुलूस निकाला जा रहा था तो, बताते हैं, करीब 6-7 तृणमूल कार्यकर्ताओं ने इसमें दखल दिया। प्रदीप ताह और कमल गायेन हाथा-पाई में जख्मी हुए। अन्य लोग भाग खड़े हुए। दोनों जख्मी लोगों को अस्पताल ले जाया रहा था कि रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया। इस घटना पर पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया।

शुरुआती छानबीन और सूत्रों की जानकारी से पता चलता है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे सोची-समझी तैयारी थी। बताया जाता है कि इलाके पर किसका सिक्का चलेगा, इसको लेकर दोनों दलों में भारी खींचतान चल रही थी। जैसे दोनों गुट एक-दूसरे को सबक सिखाने के मौके तलाशते रहते हैं। प्रदीप ताह की देवानदिघि इलाके में कभी तूती बोलती थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बद्र्धमान में माकपा की अंदरूनी कलह की बात पहले से कहती रही हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद वहां गिरफ्तार हुए कम्युनिस्ट कार्यकर्ता बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। प. बंगाल की राजनीति के गहन जानकार वरिष्ठ शिक्षक रथीन्द्रमोहन बंद्योपाध्याय का कहना है कि राजनीतिक नेताओं में संयम होना बहुत जरूरी है। जांच एजेंसियों को दबाव से दूर बेफिक्र काम करते रहने देना चाहिए। पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी संधि मुखर्जी कहते हैं कि कम्युनिस्टों ने अपने राज में पुलिस का पूरी तरह राजनीतिकरण कर दिया था। काबिल और स्वाभिमानी पुलिस अधिकारियों को सत्ता की दुर्भावना का शिकार होना पड़ा था। द

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies