सनसनीखेज खुलासा
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आतंकवादियों का अवैध व्यापार और पूंजी निवेश
जगदम्बा मल्ल
कोहिमा से प्रकाशित होने वाले एक दैनिक अखबार में कुछ वर्ष पूर्व यह खबर छपी थी कि एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) नामक पृथकतावादी-आतंकवादी संगठन के सचिव थुइंगलंग मुइवा ने विभिन्न व्यावसायिक संस्थानों एवं शेयर बाजारांे में 300 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश किया है। दीमापुर, कोहिमा, गुवाहाटी, कोलकाता व दिल्ली के बड़े-बड़े व्यावसायिक घरानों में इन आतंकवादियों ने फर्जी नामों से पूंजी निवेश कर रखा है। इन व्यावसायिक घरानों के मालिक राजस्थान व हिन्दी भाषी क्षेत्रों के मूल निवासी हैं। नागालैण्ड में औद्योगिक इकाइयां व कारखाने न होने के कारण आतंकवादी अपनी पूंजी बड़े भवनों को बनाने, असम-नागालैण्ड के सीमावर्ती क्षेत्रों तथा दिल्ली सहित बड़े-बड़े नगरों में आलीशान भवनों को खरीदने-बेचने में लगा रहे हैं। इन नागा आतंकवादियों के शीर्ष नेताओं का धन स्विस बैंकों, बंगलादेश, म्यांमार व नेपाल के भिन्न-भिन्न बैकों में छद्म नामों से खोले गये खातों में जमा है। उल्फा के सैन्य कमांडर परेश बरुआ के बंगलादेश में फर्जी नाम से पांच बड़े-बड़े होटल चलते हैं। खबर है कि वह कई मालवाहक जहाजों का भी मालिक है। अवैध हथियारों का उसका धंधा तो है ही। मणिपुर के हिंसक गुट यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट आफ मणिपुर का प्रमुख राजकुमार मेघेन ईसाई बन गया है और एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) के प्रमुख ए.एन. शिमराय व मुइवा से इसकी खूब पटती है। यह भी इनके साथ अवैध धंधे करता था।
पैसे का बढ़ता आकर्षण
अन्थोनी एन. शिमराय तांग्खुल नागा है व मुइवा का चचेरा भाई है। वह इस समय तिहाड़ जेल (दिल्ली) में बंद है। उधर मुइवा दीमापुर से 30 कि.मी. दूर स्थित अपने हेब्रन कैंप में बंदी-सा हो गया है। सुरक्षा कारणों से वह बाहर नहीं निकल सकता। विरोधी नागाओं से उसे अपनी जान का खतरा है। यू.एन.एल.एफ. का राजकुमार मेघेन भी इन दिनों जेल में बंद है। खबर है कि पकड़े जाने से पूर्व उत्तर पूर्व के इन सभी बड़े-बड़े आतंकवादियों ने पूंजी बाजार में तथा बडे-बड़े व्यावसायिक घरानों से उगाही तथा जंगलों की अवैध कटाई से प्राप्त सैकड़ों करोड़ रुपयों का छद्म नामों से निवेश किया है। इस निवेश से प्राप्त रकम से वे शाही जीवन जी रहे थे और आतंकवादी संगठनों का संचालन कर रहे थे। 18 से 20 दिसम्बर, 2011 को गुवाहाटी में आयोजित पुलिस प्रमुखों एवं गुप्तचर एजेंसियों के निदेशकों/सचिवों के 21वें सम्मेलन में आतंकवादियों के अवैध पूंजी निवेश पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गई थी और इस स्रोत को अवरुद्ध करने पर जोर दिया गया था।
दरअसल आतंकवादियों के पास संपत्ति तथा उनके ठाट-बाट देखकर यहां के युवक इन आतंकवादियों की ओर आकर्षित हो जाते हैं। आतंकवादियों व उनके संगठन के पास जितना धन होगा उतना ही वे नये-नये लोगों की भर्ती करेंगे। धन के लिए इन आतंकवादियों ने अपने-अपने इलाकों में जंगलों की अंधाधुंध कटाई की है। उच्चतम न्यायालय ने जंगल काटने और लकड़ी के व्यापार पर एक दशक पूर्व ही प्रतिबंध लगा दिया है। किन्तु इस अवैध व्यापार में लिप्त आतंकवादियों को रोक पाने में राज्य सरकारें पूर्णत: विफल रही हैं। यह अवैध व्यापार आज भी चल रहा है और सरकार लाचार- सी बनी हुई है। ये आतंकवादी नशीले पदार्थों व शराब का अवैध व्यापार भी करते हैं। यह भी खबर है कि ये आतंकवादी बेगुनाह भोली-भाली लड़कियों व महिलाओं की तश्करी भी कर रहे हैं। यह सब कार्य वे अपने विभिन्न फजी नामों से बनी कम्पनियों में काम करने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों एवं कमीशन एजेंटों के माध्यम से करा रहे हैं। चीन, अमरीका, इंग्लैण्ड, आस्ट्रेलिया, म्यांमार, बंगलादेश व पाकिस्तान आदि देशों से इन आतंकवादियों को हवाला के माध्यम से धन मिल रहा है। समुद्री लुटेरों के साथ भी इनके व्यावसायिक संबंध बताये जाते हैं। लूट का धन इनको भी मिलता है। कभी-कभार जब सरकार की नींद टूटती है और सेना सक्रिय हो जाती है तो ये आतंकवादी अपने वेतनभोगी सहयोगियों और मानवाधिकारवादियों की मदद से सेना को बदनाम करते हैं और सैन्य कार्रवाई बन्द करवा देते हैं। सशस्त्र सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम (1958) को बदनाम करने की मुहिम इसी षड्यंत्र का हिस्सा है। इस क्षेत्र में कार्यरत चर्च इन सबके बीच समन्वय बैठाता है।
अखबारों में घुसपैठ
असम पुलिस ने मणिपुर के यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यू.एन.एल.एफ.) के छोटे-बड़े पूंजी निवेश के जाल को पकड़ा और उसे तोड़ डालने का प्रयास किया। पुलिस, सुरक्षा बलों एवं गुप्तचर एजेंसियों ने आतंकवादियों के आय के स्रोतों को बन्द करने पर बल दिया। उन्होंने खुलासा किया कि गुवाहाटी से प्रकाशित एक अखबार केवल उल्फा के पूंजी निवेश से चलता है जिसने उल्फा के पक्ष में खूब प्रचार किया। गुप्तचर एजेंसियों तथा पुलिस अधिकारियों को इसका पता तब चला जब इस अखबार के मालिक ने एक स्वतंत्र टी.वी. चैनल शुरू करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से लाइसेंस हेतु आवेदन किया। तब गृह मंत्रालय की आपत्ति के कारण उसे लाइसेंस नहीं दिया गया। इस अखबार के प्रधान संपादक सहित पूरा संपादक मण्डल उल्फा के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में भाग लेता है और भडकाऊ भाषण देता है। नागालैण्ड के कुछ मीडिया घरानों में भी एन.एस.सी.एन (आई.एम.) व एन.एस.सी.एन. (खाफ्लांंग) ने बड़ी रकम लगा रखी है और अपने-अपने अखबार निकाल रहे हैं। यहां से प्रकाशित होने वाले अधिकांश अखबारों के संपादकीय लेखों में वे अपना समर्थन व्यक्त करवा रहे हैं और खबरों को तोड़-मरोड कर अपने पक्ष में छपवा रहे हैं। उधर गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय आतंकवादियों के राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय संगठन-तंत्र को तोड़ने में पूर्णत: विफल ही रहे हैं, इसीलिए पूर्वोत्तर भारत का आतंकवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
कार्रवाई या दिखावा
हालांकि इन दिनों गृहमंत्रालय कुछ सक्रिय होता हुआ दिखाई दे रहा है। गृह मंत्रालय ने म्यांमार व बंगलादेश को कहा है कि वे पूर्वोत्तर भारत के आतंकवादियों के पूंजी-निवेश व उनके व्यावसायिक संस्थानों में ताला लगा दें और उनकी पूंजी जब्त कर लें। बंगलादेश ने उल्फा (परेश बरुआ गुट) का करोड़ों टका (बंगलादेश की मुद्रा) जब्त कर लिया है, जो ढाका स्थित सोनाली बैंक की चार शाखाओं के 42 खातों में जमा थे। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने खुलासा किया कि यहां के भूमिगत आतंकवादियों ने अपनी कंपनियों जैसे यूनीपेटुयू और एम.एल.एम. ग्रुप व अन्य कंपनियों में 117 करोड़ रुपए का निवेश किया है। यूनीपेटुयू घोटाले का खुलासा तब हुआ जब बंगलौर में सुदर्शन टी नामक अपराधी पकड़ा गया। यह यूनीपेटुयू इण्डिया कंपनी का महाप्रबंधक है। इस कंपनी ने पूर्वोत्तर राज्यों के आतंकवादियों तथा कुछ अन्य लोगों से 500 करोड़ रु. से अधिक राशि जमा कराई तथा 10 मास में दोगुनी रकम के भुगतान करने का झांसा दिया। इस कंपनी के गुवाहाटी एजेंट प्रणव ज्योति बर्मन की पुलिस को अभी तलाश है। असम और पूर्वोत्तर राज्यों में सन् 2009 में इस कपंनी ने अपना काम शुरू किया और सन् 2010 के मध्य में 500 करोड़ रुपए एकत्र कर रातों-रात भाग गई और जमा करने वालों को ठेंगा दिखा दिया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार सुदर्शन टी तथा प्रणव ज्योति बर्मन ने मलेशिया से 30 किलो सोने की भी तस्करी की। गुप्तचर विभाग ने बर्मन के गुवाहाटी स्थित तीन भू-खण्डों को जब्त कर लिया है। बंगलादेश स्थित माफिया सरगनाओं द्वारा कोलकाता तथा गुवाहाटी के शेयर बाजारों में निवेश की गई पूंजी की गुप्तचर ब्यूरो जांच कर रहा है। ये माफिया सरगना पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े-बड़े अधिकारियों, व्यावसाइयों, चाय बागान के मालिकों तथा राजनीतिक नेताओं को अपहरण व हत्या की धमकी देकर करोड़ों रुपए जुटाते हैं। गुप्तचर एजेंसियों को शहादत नामक एक माफिया का पता चला है। शहादत तथा उसका भूमिगत संगठन ढाका में धन उगाही करता है और भारत के कोलकाता, सिलीगुड़ी तथा गुवाहाटी सहित पूर्वोत्तर राज्यों के शेयर बाजारों में निवेश करके मुनाफा कमाता है और आतंकवादियों की मदद करता है। म्यांमार के शेयर बाजारों व बैंकों में पूर्वोत्तर भारत के आतंकवादियों ने धन निवेश किया है। हवाला तथा अपने संपर्क सूत्रों के माध्यम से आतंकवादियों का धन कोलकाता स्टाक एक्सचेंज, मुम्बई स्टाक एक्सचेंज तथा नेशनल स्टाक एक्सचेंज में भी पहुंच रहा है। प्रवर्तन निदेशालय को भी इसकी जानकारी है। वित्तीय गुप्तचर इकाई ने ऐसे अनेक खातों की जानकारी हासिल की है जहां से हवाला का धन आता-जाता है, किन्तु केन्द्र व राज्य सरकार के लचर एवं अप्रभावी वित्त नियमन कानूनों तथा सरकार में इच्छाशक्ति के अभाव के कारण इन राष्ट्रद्रोहियों एवं कुख्यात अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
घिनौना व्यापार
बंगलादेश की गुप्तचर एजेंसियों ने भारत सरकार को सूचित किया है कि बंगलादेश के 74 बड़े आतंकवादियों और सरगना-माफियाओं ने करोड़ों अमरीकी डालर का भारत के बड़े-बड़े व्यावसायिक घरानों तथा स्टाक मार्केट में निवेश किया है। यह सब पूंजी निवेश छद्म नामों से है और मलेशिया के मार्ग तथा हवाला के माध्यम से भारतीय बाजारों में पहुंच रही है। ठोस सोने के रूप में भी यह धन आतंकवादियों के पास जमा है। किन्तु केन्द्र व राज्य का नेतृत्व, असम के कई शीर्ष अधिकारी- सभी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। इस कारण आतंकवादियों के अवैध व्यापार को बन्द करने व उनको पकड़ने के लिए कुछ भी प्रभावी कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।
जाली नोटों का भी व्यापार इन आतंकवादयिों ने चला रखा है, नशीले पदार्थों का व्यापार भी आसमान छू रहा है। इतना ही नहीं, पूर्वोत्तर राज्यों की युवतियों का व्यापार भी इन आतंकवादियों ने चला रखा है। ये लड़कियां भारत के सभी बड़े शहरों के होटलों और वेश्यालयों में बेची जा रही हैं। म्यांमार, बंगलादेश, थाईलैण्ड तथा पश्चिमी देशों में भी इस क्षेत्र की जनजाति युवतियां पैसे लेकर बेची जा रही हैं। कुछ बड़े आतंकवादी भी इस घिनौने व्यापार में लिप्त हैं। अर्थात आतंकवादियों का सब प्रकार का नैतिक पतन हो गया है। पर चर्च उनको यीशु मसीह के सहारे स्वर्ग की सीढ़ी चढ़ने का मार्ग दिखा रहा है। द
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