5 में से दिए 6 और 10 अंक
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असम/ मनोज पाण्डेय
ऐसे हुआ एक महाविद्यालय के प्राचार्य का चयन
डिब्रूगढ़ में शैक्षिक भ्रष्टाचार का अनोखा कारनामा
डिब्रूगढ़ के डी.एच.एस.के. कामर्स कालेज में डा. खनिन्द्र मिश्र भगवती की स्थायी प्राचार्य के तौर पर नियुक्ति में हुई धांधली से पूरे शिक्षित समाज में सनसनी फैल गयी है। इस नियुक्ति के लिए गठित सात विशेषज्ञों की साक्षात्कार समिति ने निर्धारित मूलांक से अधिक प्राप्तांक देकर एक नया ही कारनामा रच दिया और शिक्षा क्षेत्र में प्राचार्य पद की नियुक्ति प्रक्रिया को ही कलंकित कर दिया। अति उत्साह में निर्धारित अंकों से भी अधिक अंक देकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार डा. खनिन्द्र मिश्र भागवती को गैरकानूनी ढंग से उत्तीर्ण कर प्राचार्य बनवा दिया। इस घोटाले के सामने आने के बाद से शहर में तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि कामर्स कालेज के स्थायी प्राचार्य पद के लिए गत 9 जनवरी को आयोजित साक्षात्कार में पांच उम्मीदवारों क्रमश: डा. उमेन दत्ता, डा. देवकांत फूकन, डा. मिताली कंवर, डा. लोहित सैकिया एवं डा. खनिन्द्र मिश्र भगवती उपस्थित हुए। दूसरी ओर साक्षात्कार के लिए गठित विशेषज्ञ समिति में महाविद्यालय संचालन समिति के अध्यक्ष डा. अनवर हुसैन, महाविद्यालय की प्रभारी अध्यक्षा प्रो. कल्पना खाउंड, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के उपकुलपति की ओर से मनोनीत सदस्य डा. ए.आर.एम. रहमान, विश्वविद्यालय के उपकुलपति कंदर्प कुमार डेका की पत्नी तथा विश्वविद्यालय की ओर से मनोनीत विशेषज्ञ सदस्य डा. (श्रीमती) करबी डेका हजारिका, चबुआ डी.आर. महाविद्यालय के प्राचार्य डा.भूपेन बर्मन और कुंजलता देउरी सदस्य के रूप में शामिल थे। साक्षात्कार के आधार पर खनिन्द्र मिश्र भगवती को स्थायी प्राचार्य के पद पर आसीन किया गया।
इस पूरे मामले पर संदेह होने पर महाविद्यालय के सह अध्यापक तथा साक्षात्कार में बैठने वाले उम्मीदवार डा. किरण हजारिका ने सूचना के अधिकार कानून के तहत साक्षात्कार की प्रक्रिया की जानकारी मांगी। इससे प्राप्त सूचना से पता चला कि विशेषज्ञ समिति के कई सदस्यों में प्राचार्य नियुक्ति के लिए साक्षात्कार लेने की योग्यता ही नहीं थी। इससे बड़ी बात यह भी देखी गयी कि डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के उपकुलपति डा. कंदर्प कुमार डेका की पत्नी व समिति की विशेषज्ञ सदस्य डा. करबी डेका हजारिका ने डा. खनिन्द्र भागवती को निर्धारित अंकों से भी ज्यादा अंक दे दिये हैं। डा. करबी हजारिका ने डा. भागवती की अंक सूची के सी(1), (2) तथा (4) स्तंभ में पांच-पांच अंक से अधिक 6-6 अंक दे दिए। और उधर अनवर हुसैन ने भी देवकांत फूकन को 5 में से 10 अंक दे दिए। हालांकि नियुक्ति खनिन्द्र की हुई। इस घोटाले और षड्यंत्र के सामने आने के बाद से शिक्षा क्षेत्र में स्वाभाविक रूप से तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। सभी नियमों को ताक पर रखकर की गयी प्राचार्य की नियुक्ति को निरस्त करने की मांग की जा रही है। इतना ही नहीं, गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से अतिरिक्त अंक प्रदान कर प्राचार्य की नियुक्ति करवाने वाली विशेषज्ञ समिति के सदस्यों का भविष्य में किसी भी महाविद्यालय तथा महत्वपूर्ण विभाग में मनोनयन न किए जाने की भी मांग उठ रही है। इस बीच सूचना के अधिकार के द्वारा इन तथ्यों पर से पर्दा हटाने वाले सहायक अध्यापक डा. किरण हजारिका ने असम के उच्च शिक्षा मंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा आयुक्त, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, केन्द्रीय मानव संसाधान विकास मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा भारत के राष्ट्रपति को इस मामले में स्मरण पत्र भेजकर जांच की मांग की है।द
रिकार्ड बनाने के लिए तैयार हो रहा है डिब्रूगढ़
10 हजार चित्रकार, 10 हजार चित्र और 10 हजार
छात्र-छात्राओं द्वारा संगीतमय प्रस्तुति
विश्व की सर्वाधिक लम्बी चित्रकारी अंकित करने की कोशिश इन दिनों डिब्रूगढ़ में चल रही है। इसके सूत्रधार हैं गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकाडर््स में अपना नाम दर्ज करवाने वाले, देश तथा असम को गौरवान्वित करने वाले अपूराज बरुआ। डिब्रूगढ़ के साहित्य सभा भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में शिल्पी अपूराज बरुआ ने बताया कि दस हजार शिल्पी एक साथ दस हजार चित्र अंकित करेंगे। इसके दो उद्देश्य हैं, पहला- इतनी बड़ी संख्या में एक साथ इतने अधिक शिल्पियों का एकत्र होना तथा दो- विश्व का सबसे लम्बा चित्र बनाने का संकल्प। इससे पहले प्राय: तीन हजार शिल्पियों ने 995 मीटर लम्बी पेंटिंग (चित्रकला) बनाने का रिकार्ड बनाया है। उन्होंने बताया कि आगामी मई माह में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में एक साथ एक ही कैनवास पर दस हजार चित्रकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इस विशाल पेंटिंग में विश्व के 257 देशों के राष्ट्रीय झण्डे, राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय जीव, राष्ट्रीय पुष्प, लोक नृत्य सहित विभिन्न देशों की विशिष्टताओं को उकेरा जाएगा। इसी के साथ चुनिंदा संगीत शिल्पियों की कृति पर 10 हजार छात्र व छात्राएं एक साथ राष्ट्रीय संगीत की प्रस्तुति कर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराएंगे। इस भव्य संगीत आयोजन का संयोजन आकाशवाणी (डिब्रूगढ़) के अवकाश प्राप्त अधिकारी व विशिष्ट शिल्पी सैयद सादुल्ला करेंगे। डिब्रूगढ़ के चौकीडींगी खेल मैदान में होने वाले इन दोनों आयोजनों के लिए गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकाडर््स के पदाधिकारी उपस्थित होंगे। श्री बरुआ ने बताया कि उक्त आयोजन के लिए उन्होंने गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड के अधिकारियों से बात की है और उन्होंने सकारात्मक संकेत दिए हैं। उन्होंने बताया कि इस विशाल पेंटिग का नाम “पीस लवर्स” रखा गया है। उक्त आयोजन “बिग पेंटिंग रिकार्ड ब्रोकर्स” नाम से आयोजित किया जायेगा। इस आयोजन पर लगभग दो करोड़ रुपए की लागत आयेगी, जिसके लिए कुछ प्रतिष्ठान सहयोग के लिए आगे आये हैं।
पुणे/ द.बा. आंबुलकर
भ्रष्टाचार की जांच में अड़ंगा डाल रही सरकार
महाराष्ट्र सरकार सार्वजनिक तौर पर भले ही भ्रष्ट अधिकारियों तथा भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की बात करती हो, पर वास्तव में राज्य के वनवासी विकास मंत्री डा. विजय कुमार गावित तथा अन्य सैकड़ों भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कथित मामलों की जांच करने की प्रक्रिया में राज्य सरकार ही अड़ंगे डाल रही है, यह बात अब खुलकर सामने आ गयी है। साफ है कि राज्य में व्यापक स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार के मामलों में प्राथमिक तौर पर इन अधिकारियों का भ्रष्टाचार स्पष्ट होने के बावजूद भी रोकथाम तो दूर, उनसे संबद्ध भ्रष्टाचार के मामलों की जांच तक नहीं हो रही है। नतीजतन महाराष्ट्र की भ्रष्ट सरकार के अधिकारी तथा नौकरशाह अपने भ्रष्ट कारोबार के साथ खुलेआम राज कर रहे हैं। अधिकारिक तौर पर राज्य सरकार के घूस प्रतिबंधक प्रभाग द्वारा जारी विवरण तथा आंकड़ों के अनुसार राज्य के कई भ्रष्ट अधिकारी एवं राजनेताओं के भ्रष्टाचार से संबद्ध मामलों को जांच के नाम पर दबाया जा रहा है।
राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों में मुख्य रूप से राज्य के वनवासी विकास मंत्री डा. विजय कुमार गावित, अकोला के तत्कालीन निगमायुक्त लक्ष्मीकांत देशमुख, आईएएस अधिकारी अशोक लाल, पूर्व आयुक्त करुण श्रीवास्तव, राजस्व प्रभाग के वरिष्ठ सचिव वैजनाथ, सिडको के पूर्व प्रबंध संचालक वी.एम. लाल, नासिक के पूर्व अपर जिलाधिकारी कुशाभाऊ शिनमारे, जलगांव के पूर्व जिलाधिकारी इकबाल वडवी, रेहाम उद्योग संचालनालय (नागपुर) के संचालक डा. लक्ष्मीकांत कलांभी आदि से संबद्ध मामले हैं, जो गत कई वर्षों से खासतौर पर खटाई में पड़े हुए हैं।
इन राजनीतिक नेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों से संबद्ध भ्रष्टाचार के मामलों में मुख्य रूप से उनकी ज्ञात आय से कई गुना अधिक धन पाया गया है, जिसकी नींव भ्रष्टाचार में है। इन मामलों में प्राथमिकी के आधार आरोप-पत्र देने हेतु संबद्ध भ्रष्ट अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति प्राप्त करना प्रशासनिक तौर पर जरूरी होता है और यह अनुमति न मिलने के कारण भ्रष्टाचार के मामलों की जांच भी नहीं हो पा रही है। यही बात वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों तथा राज्य के मंत्रियों के भ्रष्टाचार के बारे में भी लागू है। इन वरिष्ठ अधिकारियों के मामलों की जांच राज्य के प्रधान सचिव की तथा मंत्री से संबद्ध मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री की अनुमति लेनी पड़ती है। यह अनुमति न मिलने के कारण राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों के मामलों की जांच नहीं हो पा रही है। भ्रष्टाचार के इन लंबित मामलों की संख्या अब 50 पार जा चुकी है तथा इनमें से कुछ मामले तो 2002 से लंबित हैं।
राज्य सरकार के घूस प्रतिबंधक प्रभाग द्वारा हाल ही में सार्वजनिक की गई जानकारी के अनुसार राज्य में भ्रष्टाचार एवं घूस लेन-देन के मामलों की जांच एवं उन मामलों पर अगली कार्रवाई न किये जाने के लिए राज्य के भ्रष्टाचार प्रतिबंधक प्रभाग में कर्मचारियों-अधिकारियों की अत्यधिक कमी को बताया गया है। इस बारे में संबद्ध ब्योरे के अनुसार इस प्रभाग के राज्य सरकार द्वारा मंजूर किये कुल 170 में से निरीक्षकों एवं अधिकारियों के 90 स्थान रिक्त हैं।
राज्य सरकार ने यह स्वीकार किया है कि इन दिनों राज्य में भ्रष्टाचार से संबद्ध लंबित मामलों की संख्या 2143 है तथा इन मामलों की संख्या बढ़ने के पीछे योग्य वकीलों की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण है। मामले की अधिक जांच करने पर पता चला है कि सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार एवं संबद्ध प्रभाग की पैरवी करने के लिए विगत डेढ़ साल में कोई प्रयास नहीं किये गये हैं। परिणामत: पहले जनता की सुविधा हेतु इन मामलों की कार्रवाई रविवार तथा छुट्टी के दिन भी जारी रहती थी, जो अब संभव नहीं है।
आम जनता की नजर में सड़क से लेकर संसद तक एवं मैदान से लेकर मंत्रिमंडल तक भ्रष्टाचार के विरोध में प्रखर आंदोलन छेड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे के गृह राज्य महाराष्ट्र में भ्रष्टाचारी नेता तथा सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार के हजारों लंबित मामलों की जांच तक नहीं होना दु:खद ही है।द
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