जगा विश्व बंधुत्व का भाव
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शिमला
'वोसी' के अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी एवं युवा सम्मेलन में
विश्व विद्यार्थी एवं युवा संगठन (वोसी) के छठे अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के अवसर पर शिमला में 33 देशों के 200 से ज्यादा युवाओं ने दुनिया भर के युवाओं से शांति और सामाजिक बदलाव के लिए एकजुट होने की अपील की। 'सामाजिक परिवर्तन में युवाओं की भूमिका' पर 18 और 19 फरवरी को सम्पन्न इस सेमिनार में फिजी से लेकर अफगानिस्तान, मंगोलिया, तुर्कमेनिस्तान, ईरान, इराक, थाईलैंड, भूटान, नेपाल सहित तंजानिया, युगांडा, केन्या, जिम्बाब्वे जैसे अफ्रीकी देशों तथा जर्मनी व अमरीका तक के विद्यार्थियों ने भारत के वसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांत को प्रचारित करने का संकल्प लिया।
18 फरवरी को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रो.प्रेम कुमार धूमल ने सेमिनार का उद्घाटन किया। 'वोसी' के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व भर के युवाओं को रचनात्मक कार्यो के लिए प्रेरित करने से दुनिया में शांति के प्रयासों को बल मिलेगा। सेमिनार में विश्व अर्थव्यवस्था, युवाओं के व्यवहार और नैतिकता संबंधी मुद्दे, युवाओं पर सामाजिक मीडिया का प्रभाव और कई अन्य विषयों पर चर्चा हुई।
'वोसी' की अध्यक्ष डा.रश्मि सिंह ने कहा कि 'वोसी' विश्व बंधुत्व के लिए युवा पीढ़ी को तैयार कर रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन महामंत्री श्री सुनील अम्बेकर का कहना था कि 1985 में स्थापना के बाद से ही 'वोसी' ने भारत में शिक्षा प्राप्त करने आए विदेशी विद्यार्थियों को संगठित करके उन्हें बेहतर विश्व के निर्माण के लिए प्रेरित किया है।
सेमिनार में चेन्नै से आए श्री उमेश लोन्धे, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के डा.नागेश ठाकुर और राज्य तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा.शशि धीमान के साथ ही प्रदेश के पंचायती राजमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने भी सम्बोधित किया।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर वाजपेयी ने अपने समापन भाषण में कहा कि स्वयं में परिवर्तन लाने की शुरुआत ही सामाजिक बदलाव की ओर ले जाती है। उन्होंने कहा कि विश्व के विद्यार्थियों और युवाओं में अनंत संभावनाएं छिपी हैं जिन्हें तलाश कर कार्यरूप देने की आवश्यकता है। पाञ्चजन्य से बातचीत में तुर्कमेनिस्तान की दिलफुजा नूरुल्लायी ने कहा कि भारत में आकर पता चला कि समाज में उन जैसी युवतियों की क्या भूमिका है। हैदराबाद की इंग्लिश एंड फॉरेन लेंग्वेज यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में एम.ए.कर रहीं दिलफुजा अपने देश जाकर वहां 'वोसी' की शाखा शुरू करना चाहती हैं ताकि अन्य युवाओं को भी इस पहल में शामिल किया जा सके। फिजी की छात्रा मरियन के अनुसार, ऐसे कार्यक्रम दुनिया में परस्पर समझदारी और सद्भाव बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं। नेपाल की पूजा कारंजीत ने कहा, सभी देशों में सह अस्तित्व की भावना होनी चाहिए, यह पाठ 'वोसी' के कार्यक्रमों में सीखा जा सकता है।
अफगानिस्तान के मोहम्मद हाशिम पश्तून पुणे विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में सर्वश्रेष्ठ अंक लेकर उत्तीर्ण हुए। वे काबुल में जलापूर्ति विभाग में इंजीनियर हैं। उन्होंने कहा, 'युवा वर्ग को जिहाद की मानसिकता से हटाकर सहिष्णुता सिखाने की जरूरत है।' लगभग यही बात इराक के युवा तहसीन अलावी ने कही। उन्होंने कहा, 'मजहबी कट्टरता और जिहादी मानसिकता दुनिया के लिए खतरा है।'
इंडोनेशिया से आईं अनीसा भारत की विविधता में एकता को यहां की सबसे बड़ी दौलत मानती हैं। युवाओं के लघु विश्व कुंभ में विभिन्न देशों के प्रतिभागियों को एक-दूसरे की संस्कृति एवं वहां की समस्याओं को समझने का अवसर भी मिला।
शिमला से अजय श्रीवास्तव
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