राहुल की रैली में आओ, दो सौ रु. पाओ!
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मेरठ में कांग्रेसी मजमा–मण्डली का तमाशा
दो सौ रु. पाओ!
मेरठ से अजय मित्तल
…लेकिन चुनाव आयोग रहा खामोश,
न कांग्रेस से पूछताछ, न कोई कार्रवाई
राहुल गांधी की चुनावी सभा में भीड़ इकट्ठी करने के लिए दो सौ रुपए प्रति व्यक्ति बांटे जाने के मामले में चुनाव आयोग ने दो सप्ताह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की है। मेरठ के रामलीला मैदान में 2 फरवरी को राहुल गांधी और अजीत सिंह की चुनाव सभा थी। इसमें जुटायी गयी भीड़ में काफी लोगों को पैसे का लालच देकर लाया गया था। हिन्दी अखबार दैनिक जागरण ने अपने 3 फरवरी के अंक में भीड़ के कुछ लोगों से बात कर उनके नाम व स्थान प्रकाशित करते हुए जानकारी दी थी कि ये लोग दो सौ रुपए प्रति व्यक्ति के लालच में सभा में आये। यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन और निर्वाचन कानून के अन्तर्गत भ्रष्ट आचरण है। पर चुनाव आयोग इस मामले में कार्रवाई न कर इसे चुपचाप लटकाये हुए है।
इस संवाददाता ने चुनाव आयोग के प्रदेश मुख्यालय (लखनऊ ) में बात की तो कहा गया कि मेरठ के जिला निर्वाचन अधिकारी (मेरठ के डी.एम.) इस मामले में कार्रवाई कर सकते हैं, अत: उनसे बात करें। मेरठ के जिलाधिकारी अनिल कुमार ने उपजिलाधिकारी (सदर) से बात करने को कहा। उपजिलाधिकारी अरबिन्द मिश्र ने कहा कि उन्होंने दैनिक जागरण को (सभा के आयोजकों को नहीं) नोटिस जारी कर समाचार का स्रोत पूछा है। उन्हें यह बताये जाने पर कि समाचार में ही पैसा लेने वालों में से कुछ के नाम और उनके स्थान के नाम भी छपे हैं और इतना पर्याप्त है, तो वे उखड़ गये और बोले कि केवल इस आधार पर सभा करने वालों को नोटिस जारी नहीं किया जा सकता! लगता है चुनाव अधिकारी हर जगह कांग्रेस के दबाव में काम कर रहे हैं।
इस रैली के लिए, जिसमें न्यूनतम 20 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है (भीड़ को बांटे गये पैसे को शामिल किये बिना), का खर्च कांग्रेस ने केवल 3 लाख 94 हजार रुपए दिखाया है। प्रशासन को जमा किये गये विवरण में उन 750 बसों और सैकड़ों चौपहिया वाहनों पर हुआ व्यय कहीं अंकित नहीं है, जो भीड़ जुटाने में शामिल थे। उप जिला निर्वाचन अधिकारी ए.डी.एम. (प्रशासन) दिनेश चंद्र ने माना कि बसों का खर्चा दिखाया जाना चाहिए था। पर दो सप्ताह बाद भी कांग्रेस से इस बारे में कोई पूछताछ नहीं की गयी है। मेरठ की घटना के अलावा और भी कुछ घटनाएं इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं कि चुनाव आयोग कांग्रेस के पक्ष में काम कर रहा है। छत्रपति शाहूजी महाराज नगर के जिलाधिकारी, जिन्होंने नियम-विरुद्ध निकाली जा रही रॉबर्ट वाड्रा की मोटर साइकल रैली रोक कर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी, के तत्काल गोवा स्थानान्तरण का आदेश आयोग ने दे दिया था। हालांकि बाद में जब मीडिया में इसकी निंदा हुई तो आदेश निरस्त हुआ। ध्यान रहे, रॉबर्ट वाड्रा सोनिया गांधी के दामाद हैं।
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