नौकरी नहीं, न्याय चाहिए
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

नौकरी नहीं, न्याय चाहिए

by
Feb 18, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

नौकरी नहीं, न्याय चाहिए

दिंनाक: 18 Feb 2012 17:35:55

द  लक्ष्मीकांता चावला

इसे हम अपने देश और देश की गरीब जनता का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि छह दशक से भी ज्यादा स्वतंत्रता के जश्न मनाने के बाद भी आज देश के लाखों नहीं, करोड़ों परिवार गरीब ही नहीं अपितु गरीबी रेखा से नीचे हैं। जिस देश के बहुत बड़े क्षेत्र में स्वच्छ पानी, स्वच्छ हवा और साफ सुथरा वातावरण भी जनता को उपलब्ध नहीं, वहां अन्य मूलभूत सुविधाओं की तो बात करना ही व्यर्थ है। देश के लोकतंत्रीय नेताओं के लिए जनता की यह गरीबी वैसे ही है जैसे “बिल्ली के भागों छींका टूटा”। चुनाव के दिनों में जब मुफ्त-मुफ्त की वर्षा होती है और सभी राजनीतिक दल पूरे जोर-शोर से बरसते हैं, तब गरीब आदमी जो कुछ मिल सकता है, उसे पाकर ही अपने जीवन के और चुनाव के चार दिनों की चांदनी का सहारा पाकर पेट भर          लेता है।

भारत के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुफ्त की बांट के पिछले सारे रिकार्ड टूट गए। किसी ने साइकिल किसी ने एक रुपये किलो आटा देने का आश्वासन दिया, तो जिस देश में करोड़ों बच्चे स्कूल ही नहीं जा पाए, उसी देश के कुछ विद्यार्थियों को अब कम्प्यूटर, लैपटॉप मुफ्त में देने की घोषणा हो चुकी है। यह कहा जा सकता है कि इस मुफ्तखोरी के सहारे ही राजनीतिक दल चुनावी वैतरणी को पार करने की आस लगाए बैठे हैं।

चुनावी उपहारों की सारी सीमाएं पार करते हुए उ.प्र. में समाजवादी  पार्टी के प्रमुख ने जो नया पैंतरा फेंका, निश्चित ही वह निंदनीय है। यद्यपि घोषणा करने वाले ने इसे पीड़ितों के प्रति सहानुभूति प्रकट करने, घावों पर मरहम लगाने का एक प्रभावी साधन समझा होगा। समाजवादी पार्टी ने यह घोषणा कर दी कि सरकार में आने के बाद वे हर बलात्कार पीड़िता को सरकारी नौकरी देंगे। आज तक किसी ने यह घोषणा नहीं की कि बलात्कार जैसा घृणित अपराध करने वाला हर व्यक्ति सलाखों के पीछे होगा और पूरी जिंदगी उसे बंदीगृह में ही बितानी पड़ेगी। बहुत अच्छा होता अगर यह कहा जाता कि ऐसा कठोर दंड दिया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति इस तरह का कुकृत्य करने की सोच भी न पाए। वैसे यह कितनी अव्यावहारिक घोषणा है, इस पर घोषणा करने वालों ने कभी विचार भी नहीं किया होगा।

निश्चित ही मुलायम सिंह जानते होंगे कि देश में कितनी महिलाएं इस घिनौने अपराध का शिकार हो चुकी हैं। उनकी सरकारी नौकरी देने की चुनावी चर्चा के बाद भी अनेक ऐसे ही अपराध हो चुके हैं। राष्ट्रीय अपराध शाखा के आंकड़े भी यह बताते हैं कि प्रतिदिन 60 घटनाएं बलात्कार की होती हैं और हर घंटे 15 व्यक्ति आत्महत्या करते हैं। भारत सरकार की महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीर्थ ने भी संसद की परामर्श समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए इस संबंध में चिंता प्रकट की है। मंत्री महोदया ने यह भी कहा कि वैसे तो इस अपराध का शिकार हर आयु की महिलाएं होती हैं, पर 18 से 30 वर्ष आयु समूह की महिलाएं इस मामले में ज्यादा संवेदनशील हैं। मध्यप्रदेश में ऐसी घटनाएं ज्यादा हुई हैं। याद रखना होगा कि इस अपराध से पीड़ित सभी महिलाएं कानून से न्याय मांगने नहीं आतीं और 75 प्रतिशत से ज्यादा बलात्कार के केस दर्ज नहीं होते।

पंजाब में भी पिछले पांच वर्षों में थानों में लगभग 2600 रपट इस अपराध की दर्ज हुई हैं। कौन नहीं जानता कि यह संख्या वास्तविकता से दूर है, क्योंकि परिवार की इज्जत के नाम पर अधिकतर महिलाएं और पीड़ित अबोध बच्चियां पुलिस के पास नहीं जातीं। परिवार की इज्जत और लड़की का भविष्य ध्यान में रखते हुए इसे छिपाने में ही  भलाई समझी जाती है। पुरुष प्रधान समाज में प्रताड़ित होने के बाद भी महिलाओं को ही सामाजिक, मानसिक और शारीरिक स्तर पर इसकी यातना सहनी पड़ती है। कौन विश्वास करेगा कि सभी अपराधियों को दंड मिलता रहा है और भविष्य में मिलेगा? ज्यादातर मामलों में तो अपराधी को बचाने और अपराध पीड़ित को खामोश रखने का ही प्रयास किया जाता है।

प्रश्न यह नहीं कि महिलाओं के साथ यौन शोषण की घटनाएं किस प्रदेश में ज्यादा हो रही हैं। प्रश्न यह है कि दिन प्रतिदिन ये बढ़ क्यों रही हैं। और दुख की बात है कि ज्यादातर अपराधी बच क्यों जाते हैं? दूसरा प्रश्न यह है कि जिस समाजवादी पार्टी ने बलात्कार पीड़िता को नौकरी देने की घोषणा कर दी, क्या वह उत्तरप्रदेश की उन सभी महिलाओं और बालिकाओं को नौकरी दे देंगे, जिन्हें शारीरिक शोषण या बलात्कार का शिकार होना पड़ा? क्या उनके लिए आरक्षण का प्रावधान होगा, क्या यह एक प्रकार का हर सरकारी कार्यालय में ढिंढोरा देने वाली बात नहीं होगी कि  ये सभी महिलाएं इज्जत गवांकर भी न्याय नहीं पा सकीं, इन्हें नौकरी देकर ही खामोश रखा गया है! बहुत अच्छा होता अगर सभी राजनीतिक दल मुफ्तखोरी के सहारे वोट लेने की जगह यह घोषणा करते कि हर कमजोर और गरीब बेटी को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा दी जाएगी तथा दहेज एवं विवाह से जुड़ी देन-लेन की कुरीतियों को समाप्त किया जाएगा।

कोई राजनीतिक दल यह घोषणा करके तो देखे कि उनके सभी चुनावी प्रत्याशी एकमत से सामाजिक कुरीतियों का विरोध करेंगे, स्वयं अपनी तथा बच्चों की शादी में दहेज का देन-लेन नहीं करेंगे। बेटियों को शिक्षा प्राप्ति के सभी साधन देंगे। गरीबी के कारण कोई भी शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा और महिलाओं के विरुद्ध अपराध करने वालों को कठोर दंड दिया जाएगा। एक बार इस चुनावी भरोसे को विश्वास में बदलकर कोई  भी राजनीतिक दल आने वाले अनेक वर्षों के लिए सत्ता का अधिकारी हो सकता है। याद यह भी रखना चाहिए कि जो महिलाओं को अपराध से बचाना चाहते हैं उन्हें शराब पर भी नियंत्रण करने के लिए कठोर प्रभावी कदम उठाने होंगे। समाज को शराबी और नशेड़ी बनाकर न महिलाओं की सुरक्षा हो सकती है, न बचपन सुरक्षित रह सकता है। वैसे समाजवादी पार्टी ने यह घोषणा करके महिलाओं का सम्मान नहीं, अपितु अपमान किया है। दान नहीं, सम्मान चाहिए, बलात्कार पीड़िता को नौकरी नहीं, अपितु अपराधी सलाखों में बंद रहकर शेष जीवन काटे, ऐसा कानून चाहिए। द

 

संस्कृत भारती की “समीक्षा बैठक” में निर्णय

देशभर में होगा “सरला” परीक्षा का आयोजन

गत 11-12 फरवरी को कुल्लू (हि.प्र.) में संस्कृत भारती की अखिल भारतीय समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। इसमें संस्कृत भारती के 19 राज्यों के अध्यक्ष, मंत्री, सहमंत्री और संगठन मंत्री सम्मिलित हुए। बैठक में कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया कि आगामी वर्ष में देश के सभी प्रांतों में “सरला” परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। यह परीक्षा गत वर्ष संस्कृत भारती ने पहली बार संस्कृत भाषा में विद्यार्थियों की रुचि बढ़ाने के लिए आयोजित की थी। इसका परिणाम भी अप्रत्याशित रहा। कुल 11 प्रांतों में सम्पन्न हुई परीक्षा में 823 विद्यालयों के 79404 विद्यार्थियों ने इसमें भाग लिया।

इसके अलावा बैठक में निर्णय लिया गया कि आने वाले वर्ष में युवाओं को संगठन के साथ जोड़ना तथा प्रशिक्षण के लिए कुशल शिक्षकों का निर्माण भी किया जाएगा। बैठक में जानकारी दी गई कि देशभर में 24 प्रशिक्षण शिविर लगाये गए, जिनमें 1686 नए शिक्षकों का प्रशिक्षण हुआ।

बैठक के दौरान नागरिकों की एक सभी भी आयोजित की गई। सभा को संबोधित करते हुए संस्कृत भारती के अखिल भारतीय प्रकाशन प्रमुख श्री चमू कृष्ण शास्त्री ने कहा कि संस्कृत ज्ञान भाषा है और ज्ञान के बल पर ही विकास संभव है। इसलिए न तो केवल पश्चिम के और न केवल पौर्वात्य ज्ञान के बल पर किसी का विकास  होगा, बल्कि दोनों ज्ञान भंडार जिसके पास होंगे वही विकास की दौड़ में आगे निकलेगा। भारत के नाम का अर्थ ही है ज्ञान में जो रत, वह भारत। उन्होंने कहा कि विदेशियों की रुचि संस्कृत में बढ़ रही है। यद्यपि प्रधानमंत्री वैश्विक संस्थानों में कार्यरत रहे फिर भी उन्होंने जनवरी मास में हुए विश्व संस्कृत सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में अपना मूल अंग्रेजी भाषण पढ़ने से पहले स्वयं की आन्तरिक आवाज को उद्घाटित किया। उनका वाक्य था “संस्कृत भारत की आत्मा है”। सभा को संस्कृत भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डा. चान्दिकरण सलूजा ने भी संबोधित किया। सभा में कुल्लू के राजा और पूर्व सांसद श्री महेशसिंह भी उपस्थित थे। द प्रतिनिधि

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies