पाठकीय (22 जनवरी,2012)
|
पाठकीय
अंक-सन्दर्भ
22 जनवरी,2012
सम्पादकीय “मुस्लिम लीग की राह पर कांग्रेस” संप्रग सरकार की देशघातक राजनीति को पूरी तरह उजागर कर देता है। कांग्रेस ने सारी लोकतांत्रिक मर्यादाओं और देशहित को ताक पर रख दिया है। कांग्रेसी अपने आपको मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में लगे हैं। उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने की हड़बड़ी में कांग्रेस ने जिस तरह पिछड़ा वर्ग के 27 प्रतिशत कोटे से पिछड़े मुसलमानों को पहले साढ़े चार और अब नौ प्रतिशत आरक्षण देने का चुनावी वादा किया है, यह समाज का मजहबी आधार पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश है, जो देश के बंटवारे से पहले मुस्लिम लीग की टेढ़ी चाल से मेल खाता है।
-आर.सी.गुप्ता
द्वितीय ए-201, नेहरू नगर, गाजियाबाद-201001 (उ.प्र.)
द चाहे राहुल गांधी हों या दिग्विजय सिंह ऐसे नेताओं की एक लम्बी कतार है, जो मुस्लिमों के वोट के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा रहे हैं। दिग्विजय सिंह बटला हाउस मुठभेड़ को फर्जी बताते हैं, जबकि गृहमंत्री चिदम्बरम असली। जो नेता वोट के लिए समाज में वैमनस्य फैला रहे हैं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है?
-वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर, दिल्ली-110051
द कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग के कोटे (27 प्रतिशत) में से 4.5 प्रतिशत मुसलमानों को देकर पिछड़ा वर्ग के साथ धोखा किया है। कांग्रेस के इस निर्णय के खिलाफ पिछड़ा वर्ग के लोगों को एकजुट होकर सड़कों पर उतरना होगा। मजहब के नाम पर आरक्षण देना तो खतरे से खाली नहीं है।
-चौधरी रंगलाल सिंह लमोरिया
ग्रा.व पो.- जोधाकाबास, वाया-अरडावता
जिला-झुन्झुनू-333027 (राजस्थान)
द सत्ता के लिए कांग्रेस ही नहीं, अन्य तथाकथित सेकुलर दल बहुत ही नीच हरकत कर रहे हैं। यदि ये लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आएंगे तो देश में मजहबी कट्टरता बढ़ेगी। 1947 के पहले कट्टरता बढ़ी थी तो पाकिस्तान बना था। अब क्या होगा, यह सोचकर ही लोग परेशान हो रहे हैं।
-मनीष कुमार
तिलकामांझी, भागलपुर (बिहार)
द तुष्टीकरणवादी केन्द्र सरकार के लिए मुसलमानों का वोट देशहित से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। वित्त मंत्रालय विभिन्न बैंकों से बार-बार पूछ रहा है कि कितने अल्पसंख्यकों को ऋण दिया गया। वोट के लिए पूरी तरह अंधी हो चुकी केन्द्र सरकार को अल्पसंख्यकों के अलावा और कोई वर्ग दिखता ही नहीं है।
-राममोहन चंद्रवंशी
विट्ठल नगर, स्टेशन रोड, टिमरनी, जिला-हरदा (म.प्र.)
चुनावी रावणों का करो सफाया
शशि सिंह की रपट “मुश्किल में माया” अच्छी लगी। मुलायम सिंह यादव के गुण्डाराज से मुक्ति पाने के लिए लोगों ने मायावती को भारी समर्थन दिया था। किन्तु मायावती भी मुलायम की राह पर ही चलीं। बसपा के नेता ही कई जगह “गुण्डा” बन गए। हालांकि इनमें से कई अभी जेल की हवा खा रहे हैं। इस कारण लोग मायावती से भी नाराज हैं।
-प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर
1-10-81, रोड नं.-3 बी, द्वारकापुरम, दिलसुखनगर
हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)
द नोएडा में मायावती ने 52 हाथी साल के 52 हफ्तों के लिए बनवाए हैं कि इनको खाने के लिए पूरे साल “हफ्ता” दो। आज भी उत्तराखण्ड के लोग मुलायम सिंह की पुलिस के अमानुषिक अत्याचार की कल्पना कर सिहर उठते हैं। पूरे देश में एक ही “एजेण्डा” उभरकर सामने आता है कि इन चुनावी रावणों का सफाया करो।
-प्रो. परेश
1251/8सी, चण्डीगढ़
यह कैसा जुनून?
श्री नरेन्द्र सहगल का लेख “महिला आतंकवादी फौज” चिन्ता पैदा करता है। जिस इस्लाम में महिलाओं को बुर्के में रहने की हिदायत दी जाती है, अब उसी इस्लाम में महिलाओं को बंदूकें थमाई जा रही हैं। यह कैसा जुनून है? मुस्लिम बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए।
-कुन्ती रानी
नया टोला, कटिहार (बिहार)
द इस्लाम के नाम पर जुनून और आतंक फैलाने वाले संगठन अब महिलाओं के माध्यम से आतंक फैला रहे हैं। जो लोग महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में जाने से रोकते हैं, अब वही उन्हें आतंकवाद की भट्ठी में झोंक रहे हैं। जो कट्टरपंथी सलमान रुश्दी, तस्लीमा नसरीन का विरोध करते हैं, वे आतंकवादी संगठनों की करतूतों पर चुप क्यों हैं?
-मनोहर “मंजुल”
पिपल्या-बुजुर्ग, पश्चिम निमाड़-451225 (म.प्र.)
ऐसा क्यों किया जाता है?
श्री मुजफ्फर हुसैन के लेख “पाकिस्तान की झोली में भारत का डीजल और बिजली” में एक जमीनी सच्चाई बाहर आई है। हमारे प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री हैं। किन्तु शायद उन्हें अर्थशास्त्र का पहला सूत्र भी ज्ञात नहीं है। एक आवश्यकता की पूरी होते ही दूसरी आ खड़ी होती है। पहले पाकिस्तान को मांस भेजना शुरू किया। फिर मिर्च-मसाला, शाक-सब्जी। अब बिजली और डीजल दे रहे हैं। दूसरी ओर हम भारतीय इन वस्तुओं की कमी से जूझ रहे हैं। इन्हें ज्यादा पैसा देकर खरीदना पड़ता है। ऐसा क्यों किया जाता है? कुछ भी कर लें पाकिस्तान भारत का हितैषी नहीं हो सकता।
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला, कटिहार-854105 (बिहार)
द पाकिस्तान आर्थिक रूप से कमजोर होता जा रहा है। विदेशी सहायता पर वह कब तक जिन्दा रहेगा? 1947 के बाद भारत कहां से कहां पहुंच गया और पाकिस्तान की हालत क्या है, यह पूरी दुनिया जानती है।
-बी.आर. ठाकुर
सी-115, संगम नगर, इन्दौर-6 (म.प्र.)
स्वामी विवेकानन्द के सदुपदेश
मंथन में श्री देवेन्द्र स्वरूप स्वामी विवेकानन्द के बारे में अत्यन्त महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। स्वामी जी ने अपने समय के पाखण्डी पुरोहितों द्वारा किए अनुचित व्यवहारों की भत्र्सना की व इसमें वांछित सुधार की पैरवी की। गरीबों, पतितों व पददलितों के प्रति सहृदयता अपनाकर उन्होंने रामकृष्ण मठ के मंच से लाखों को उस समय मतान्तरण से बचाया। आज हमें उनके द्वारा दिए सदुपदेशों पर चलकर समाज के उत्थान का काम करना चाहिए।
-नित्यानन्द शर्मा
335/8, शिल्ली सड़क, सोलन (हि.प्र.)
द मंथन में ऐसे विचार आ रहे हैं कि स्वामी विवेकानन्द की विदेश यात्रा का उद्देश्य धर्म प्रसार एवं संगठन खड़ा करने के लिए धन इकट्ठा करना भी था। आश्चर्य है कि स्वामी जी को भारत में संगठन खड़ा करने के लिए धन का अभाव महसूस हुआ। शायद ऐसा नहीं हो सकता। हमारी समझ का फेर है। भारत के लोगों में दान देने की तो एक अद्भुत परम्परा है। भारतीय दानवीरों के बल पर ही मालवीय जी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
-उदय कमल मिश्र
गांधी विद्यालय के समीप, सीधी-486661 (म.प्र.)
पुरस्कृत पत्र
ऐसे हुआ भारत निर्माण!!
राहुल गांधी अपनी तमाम सभाओं में “इंडिया शाइनिंग” नारे का मखौल उड़ाते हैं। 2004 के आम चुनाव में राजग द्वारा दिये गये इस नारे की आज आलोचना करने की तुक क्या है? आज तो संप्रग के नारे “हो रहा भारत निर्माण” को कसौटी पर कसा जाना चाहिए। संप्रग सरकार के कथित भारत-निर्माण का परिणाम यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था, जो 2003 में वाजपेयी सरकार के समय विश्व में अमरीका, चीन व जापान के बाद चौथे स्थान पर थी, 2011 में दसवें स्थान पर पहुंच गयी है। अब उक्त 3 देशों के अलावा जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, रूस और कनाडा भी भारत से आगे निकल गये हैं। वाजपेयी सरकार के कार्यकाल 1998-2004 में देश में मुद्रास्फीति की औसत दर 3 फीसदी से कम रही, जबकि संप्रग सरकार के समय में औसत मुद्रास्फीति 9 प्रतिशत है। गरीबी उन्मूलन के मामले में भी राजग सरकार की उपलब्धि संप्रग सरकार को निहायत बौना सिद्ध करती है। भारत सरकार के “नेशनल सैम्पल सर्वे आर्गेनाइजेशन” की रपट (2007) के अनुसार 1998-1999 से 2004-05 (राजग का शासनकाल) के मध्य देश की कुल गरीबी 26.1 प्रतिशत से घटकर 21.2 प्रतिशत पर आ गयी थी। ग्रामीण गरीबी में तो इस मध्य और तेज गिरावट दर्ज की गयी, जो 27.1 से 21.2 पर आयी। उसके बाद से गरीबी 21.2 प्रतिशत के आसपास ही अटकी हुई है। भ्रष्टाचार से निपटने के मामले में भी वाजपेयी सरकार संप्रग से बहुत आगे थी। “ट्रांस्पेरैंसी इंटरनेशनल” के अनुसार राजग सरकार के समय ईमानदारी के पैमाने पर भारत का विश्व के राष्ट्रों में 69वां स्थान था, पर 2011 आते-आते भारत खिसक कर 95वें स्थान पर पहुंच गया। संप्रग सरकार ने घोटालों का रिकार्ड कायम किया है। संप्रग शासन के घोटालों की इकाई खरब (10 हजार करोड़ रुपए) है।
वैज्ञानिक क्षेत्र में भी संप्रग सरकार ने देश का सम्मान गिराया है। हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बात पर दु:ख प्रगट किया था कि चीन इस क्षेत्र (वैज्ञानिक अनुसंधान) में भी अब भारत से आगे निकल गया है। यह एक तल्ख सच्चाई है। वाजपेयी जी ने जब “जय जवान-जय किसान” नारे में “जय विज्ञान” जोड़ा था, तो साथ-साथ देश को नव अनुसंधान के पथ पर तेजी से चलाया भी था। इसीलिए 2003 में भारत सुपरकम्प्यूटर क्षमता में दुनिया में चौथा स्थान हासिल कर पाया। उस समय विश्व का तीसरा तीव्रतम सुपर कम्प्यूटर “काब्रू” भारत के पास था। संप्रग सरकार के दौर में भारत सुपर कम्प्यूटर क्षमता में 24वें पायदान पर पहुंच गया हैै और “काब्रू” दसवें स्थान पर खिसक चुका है। एक किलो टन से कम क्षमता वाला नाभिकीय बम, जिसे कोई भी पैदल सैनिक रॉकेट लांचर से छोड़ सकता है तथा सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूस मिसाइल राजग शासन के वैज्ञानिक अनुसंधान की देश को अनुपम देन हैं। इसके विपरीत संप्रग शासन कुछ भी उल्लेखनीय नया अनुसंधान देश को देने में अक्षम रहा है। यह है भारत निर्माण के संप्रग के नारे का कुछ क्षेत्रों से संबंधित सत्य।
-अयज मित्तल
97 खन्दक, मेरठ (उ.प्र.)
पञ्चांग
वि.सं.2068 तिथि वार ई. सन् 2012
फाल्गुन कृष्ण 13 रवि 19 फरवरी, 2012
“” “” 14 सोम 20 “” “”
(महाशिवरात्रि)
फाल्गुन अमावस्या मंगल 21 “” “”
फाल्गुन शुक्ल 1 बुध 22 “” “”
“” “” 2 गुरु 23 “” “”
“” “” 3 शुक्र 24 “” “”
“” “” 4 शनि 25 “” “”
निर्णय में खामी
चिदम्बरम की सांस में, वापस आयी सांस
जाग उठी सरकार की, फिर से टूटी आस।
फिर से टूटी आस, कोर्ट हाउस पटियाला
कांग्रेस को मिला फैसला राहत वाला।
कह “प्रशांत” पर निर्णय में बतलाकर खामी
अभी लड़ेंगे और, कह रहे हैं श्री स्वामी।।
-प्रशांत
टिप्पणियाँ