विविध
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शिवपुरी में रा.स्व.संघ का “विशाल हिन्दू संगम”
पुनस्र्थापना का
कार्य कर रहा है संघ
-सुरेश सोनी, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ
“विश्व आज संक्रमण काल से गुजर रहा है। इसके कल्याण का दर्शन हिन्दू संस्कृति में है। भारत की ताकत उसके युवाओं में है। देश में बढ़ता भ्रष्टाचार, द्वेषभाव और परिवारों में विघटन, नैतिकता एवं सदाचार का क्षरण चिंता जगाता है। रा.स्व.संघ हिन्दू जीवन मूल्यों की पुनस्र्थापना के लिए कार्य कर रहा है। इससे ही विश्व का मंगल हो सकेगा”। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने गत दिनों शिवपुरी (म.प्र.) में आयोजित विशाल हिन्दू संगम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्री सोनी ने आगे कहा कि समाज के अंदर संघ के प्रति प्रेम का भाव बढ़ रहा है। संघ, देश में समाज और संस्कृति की रक्षा का कार्य करने में लगा हुआ है। उन्होंने अन्य संस्कृतियों से तुलना करते हुए हिन्दू संस्कृति को श्रेष्ठ बताया।
श्री सोनी के उद्बोधन से पूर्व कार्यक्रम में उपस्थित करीब 12 हजार स्वयंसेवकों का शहर में पथ संचलन निकला। संचलन में स्वयंसेवकों के अनुशासन और शक्ति को हर किसी ने सराहा। जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया गया। द प्रतिनिधि
रा.स्व.संघ के मालवा प्रांत का “कार्यकर्ता सम्मेलन”
देश को कमजोर कर रही हैं राष्ट्रविरोधी ताकतें
गत दिनों रा.स्व.संघ के मालवा प्रांत का प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन रतलाम (म.प्र.) में सम्पन्न हुआ। इसमें खंड से लेकर प्रांत स्तर तक के करीब 2000 कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।
सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि देश की आंतरिक एवं बाह्य राष्ट्रविरोधी शक्तियां स्वयंसेवकों को रोकने व देश को कमजोर करने का षड्यंत्र निरन्तर कर रही हैं। स्वयंसेवकों पर लगातार हमले हो रहे हैं, लेकिन वे अपने जीवन की परवाह किए बगैर राष्ट्रसेवा के कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश में भ्रष्टाचार, अनैतिकता एवं आतंकवाद जैसी समस्याएं हैं। परन्तु इन सब चुनौतियों का सामना करते हुए भारत जिस तरह खड़ा है, उसे देखकर सम्पूर्ण विश्व अचंभित है। श्री होसबले ने कहा कि आज देश में हिन्दू समाज को आपस में लड़वाने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए संघ के साथ-साथ समाज को भी राष्ट्र कार्य में जुटना होगा, तभी भारत बलशाली बन सकेगा। इस अवसर पर मालवा प्रांत के प्रांत संघचालक श्री कृष्ण कुमार अष्ठाना, प्रांत कार्यवाह श्री अशोक सोहनी, प्रांत प्रचारक श्री पराग अभ्यंकर आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। सम्मेलन को त्रिस्तरीय स्वरूप प्रदान किया गया था। प्रथम, प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन, द्वितीय, रतलाम व जावरा जिले के 1000 स्वयंसेवकों द्वारा प्रकट कार्यक्रम और तृतीय बाजना व सैलाना क्षेत्र के 2000 वनवासियों का नगर के 1000 चयनित परिवारों में भोजन। तीनों तरह के कार्यक्रमों को लेकर कार्यकर्ताओं में बड़ा उत्साह दिखा। द प्रतिनिधि
स्व. रज्जू भैया के 89वें
जन्मदिवस पर कार्यक्रम
रज्जू भैया की विनम्रता अनुकरणीय
राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) स्मृति सेवा न्यास, प्रयाग के तत्वावधान में गत दिनों रा.स्व.संघ के चौथे सरसंघचालक रहे स्व. प्रो. राजेन्द्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया के 89वें जन्मदिवस पर न्यास के प्रयाग स्थित कार्यालय परिसर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
कार्यक्रमों का शुभारम्भ हमेशा की तरह सुन्दर कांड के पाठ से हुआ। इसमें संघ और न्यास से जुड़े कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। सुन्दर कांड की समाप्ति पर हवन हुआ।
शाम के समय एक व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता ज्योर्तिपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने की।
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने स्व. रज्जू भैया से जुड़े अनेक संस्मरण सुनाए। रज्जू भैया की समयबद्धता और विनम्रता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि रज्जू भैया में सहजता, विनम्रता, दूरदृष्टि तथा राष्ट्र के प्रति समर्पण का अद्भुत भाव था। आज समाज में ऐसे मनीषी की बहुत आवश्यकता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज वह हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम रज्जू भैया के व्यक्तित्व और कृतित्व से समाज और राष्ट्र को अवगत कराएं। यही उनके जन्मदिवस पर उन्हें सबसे बड़ा उपहार होगा।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राज्यसभा सदस्य श्री तरुण विजय ने कहा कि रज्जू भैया एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना करते थे, जिसमें शक्ति, संस्कार, वैभव, तेज और प्रगतिशीलता हो। न्यास के अध्यक्ष प्रो. के.बी. पांडेय ने न्यास के गठन से अब तक हुई प्रगति का विवरण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे। द प्रयाग से हरिमंगल
पाकिस्तान पीड़ित हिन्दुओं की सहायता को आगे आए
गत दिनों मेरठ में रा.स्व.संघ के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में लंबे समय से ठहरे पाकिस्तानी हिन्दुओं की सहायता के लिए खाद्य तथा अन्य सामग्री एकत्रित की। इस कार्य में भारतीय जनता पार्टी एवं अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी सहयोग किया। कार्यकर्ताओं ने 300 किलो आटा, 300 किलो चीनी, 300 किलो दाल, 30 किलो सरसों का तेल के अलावा पहनने के लिए कपड़े तथा जरूरत की हर सामग्री एकत्रित की। इससे पूर्व यहां के कार्यकर्ताओं ने इन हिन्दुओं की एक बार 21 हजार और एक बार 31 हजार रुपए की आर्थिक मदद देकर भी सहायता की है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के 27 परिवारों के 146 हिन्दू पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के चलते दिल्ली आ गए थे। द अजय मित्तल
श्रद्धाञ्जलि
प्रो. राजेन्द्र अग्रवाल
पंचतत्व में विलीन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत के पूर्व संघचालक प्रो. राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल का गत दिनों लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया।
प्रो. अग्रवाल विद्यार्थी जीवन में संघ से जुड़ गए थे। समय के साथ-साथ उनका संघ से जुड़ाव बढ़ता चला गया। इसी के चलते संघ ने उन्हें काशी प्रांत के संघचालक का दायित्व सौंपा। जून 1975 में देश में आपातकाल लगने के बाद प्रयाग के जिन लोगों को संघ से जुड़ाव होने के कारण जेल भेजा गया था, उनमें प्रो. अग्रवाल भी सम्मिलित थे। द प्रतिनिधि
नई दिल्ली में “स्वामी विवेकानंद व नेताजी सुभाष
चंद्र बोस के सपनों का भारत” विषयक संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा
स्वामी विवेकानंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत के स्वत्व को जगाया
गत 28 जनवरी को नई दिल्ली के दीनदयाल शोेध संस्थान में “स्वामी विवेकानंद व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सपनों का भारत” विषयक संगोष्ठी आयोजित हुई। दिल्ली प्रवर समिति द्वारा आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध संत विजय कौशल महाराज थे। मुख्य वक्ता थे भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और सांसद श्री रविशंकर प्रसाद, जबकि विषय प्रवर्तक थे प्रसिद्ध चिंतक एवं रा.स्व.संघ, उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक डा. बजरंग लाल गुप्त। अध्यक्षता उद्योगपति श्री रमेश अग्रवाल ने की।
अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इसके बाद संबोधित करते हुए डा. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि स्वामी विवेकानंद और सुभाष चंद्र बोस भारत को समृद्ध, स्वावलंबी, शक्तिशाली और स्वाभिमानी बनाना चाहते थे। स्वामी विवेकानंद ने भारत के स्वत्व को जगाया। उन्होंने कहा कि भारत का स्वत्व, भारत का आधार, भारत का प्राणतत्व धर्म है। धर्म का अर्थ “रिलीजन” नहीं है। जिन मर्यादाओं से इस सृष्टि का रक्षण, पोषण, धारण होता है, वही धर्म है। किन्तु आज धर्म की गलत व्याख्या प्रस्तुत की जा रही है और लोगों को भ्रम में डाला जा रहा है।
श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद एक ही जीवन के दो पहलू थे। हिन्दू धर्म की गंगा रामकृष्ण परमहंस के कमंडल में समाई हुई थी। स्वामी विवेकानंद भगीरथ की भूमिका अपनाकर उस गंगा को धरती पर लाए। स्वामी विवेकानंद केवल तीन साल तक विदेश में रहे और उसी अवधि में उन्होंने हिन्दुत्व का ऐसा डंका बजाया कि चर्च द्वारा भारत के विरुद्ध किया गया कुप्रचार खत्म हो गया। चर्च कुप्रचारित करता था कि भारत अज्ञान के अंधकार में जी रहा है। किन्तु स्वामी विवेकानंद ने अपनी प्रखरता से यह सिद्ध किया कि भारत में कितनी क्षमता है, औरों के मुकाबले भारत कितना आगे है।
संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस और स्वामी विवेकानंद भारत के संदर्भ में क्या सपने देखते थे, यह बताना तो कठिन है। किन्तु वे दोनों क्या चाहते और करते थे यह जरूर बताया जा सकता है। महाराज जी ने सुभाष चंद्र बोस एवं स्वामी विवेकानंद से जुड़ी अनेक घटनाओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री श्रीकांत जोशी, पूर्व राज्यपाल श्री केदारनाथ साहनी, हिन्दुस्थान समाचार के अध्यक्ष श्री नंद किशोर त्रिखा, सम्पादक श्री राम प्रकाश त्रिपाठी सहित अनेक प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन प्रवर समिति के अध्यक्ष श्री दीनदयाल ने किया। समारोह में बहुभाषी संवाद समिति “हिन्दुस्थान समाचार” द्वारा प्रकाशित वार्षिक स्मारिका का लोकार्पण भी हुआ। द प्रतिनिधि
श्रद्धाञ्जलि
श्रद्धाञ्जलि युवा साहित्यकारों के प्रेरणा स्रोत
पत्रकार रामनारायण त्रिपाठी “पर्यटक” पंचतत्व में विलीन
पत्रकार और साहित्यकार श्री रामनारायण त्रिपाठी “पर्यटक” गत 30 जनवरी की दोपहर लखनऊ के गोमती तट स्थित भैंसाकुण्ड श्मशान घाट पर पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके शव को अनुज ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के अवसर परबड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार, राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। श्री रामनारायण त्रिपाठी का गत 29 जनवरी को निधन हो गया। वे करीब 55 वर्ष के थे।
स्व. त्रिपाठी की शवयात्रा राजाजीपुरम् स्थित उनके आवास से रवाना हुई। राजेन्द्र नगर स्थित राष्ट्रधर्म कार्यालय पर उनके शव को अन्तिम दर्शन के लिए रखा गया। करीब 12 बजे भैसाकुण्ड श्मशान घाट पर अन्त्येष्टि की गई। इस अवसर पर उनके परिवारीजनों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे। अन्त्येष्टि के अवसर पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक सर्वश्री ओमप्रकाश, अशोक बेरी, प्रांत प्रचारक श्री कृपा शंकर, सह प्रांत प्रचारक श्री मुकेश, क्षेत्र कार्यवाह श्री राम कुमार, प्रांत संघचालक श्री प्रभु नारायण श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार सर्वश्री नन्द किशोर श्रीवास्तव, आनन्द मिश्र “अभय” सहित बड़ी संख्या में लेखक, साहित्यकार उपस्थित थे।
राष्ट्रीय नवोदित साहित्य परिषद् के संस्थापक अध्यक्ष, राष्ट्रीय साहित्य परिषद् के अखिल भारतीय महामंत्री और मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म के सह सम्पादक श्री रामनारायण त्रिपाठी विलक्षण प्रतिज्ञा के पत्रकार और साहित्यकार थे। स्व. त्रिपाठी मूल रूप से उन्नाव जनपद के निवासी थे। इन दिनों वे राजाजीपुरम् में पत्नी, दो पुत्रियों के साथ रह रहे थे।
स्व. त्रिपाठी ने युवा साहित्यकारों को दिशा देने तथा राष्ट्रवादी साहित्य की चेतना जगाने के लिए राष्ट्रीय नवोदित साहित्य परषिद् की स्थापना की। इसके उपरान्त राष्ट्रीय स्तर पर बनी राष्ट्रीय साहित्य परिषद् के भी वे राष्ट्रीय महामंत्री निर्वाचित हुए। वे विगत लगभग दो दशक से पूर्णकालिक पत्रकार के रूप में राष्ट्रधर्म को अपनी सेवाएं दे रहे थे। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़े तथा कुछ समय प्रचारक भी रहे। पाञ्चजन्य परिवार की ओर से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धाञ्जलि। द
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