समस्याओं की जननी कांग्रेस
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समस्याओं की जननी कांग्रेस

by
Feb 4, 2012, 12:00 am IST
in Archive
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पाठकीय

दिंनाक: 04 Feb 2012 16:18:49

पाठकीय

अंक-सन्दर्भ *15 जनवरी,2012

आवरण कथा के अन्तर्गत श्री कमलेश सिंह की रपट “बिखरता संप्रग, कमजोर होती कांग्रेस” समायोचित और नग्न सत्य है। बिल्कुल सही समय पर इस सत्य को पाठकों तक लाया गया है। कांग्रेस जिन दलों के समर्थन पर अपनी सरकार चला रही है, उन्हें ही कोई महत्व नहीं देती है। इसलिए संप्रग में दरार बढ़ती जा रही है। वास्तव में कांग्रेस का स्वभाव ही सबको साथ लेकर चलने का नहीं रहा है।

-प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर

1-10-81, रोड नं.-8बी, द्वारकापुरम, दिलसुख नगर

हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)

द कांग्रेस अपना हित साधने में सदैव माहिर रही है। सबसे अधिक समय तक देश पर राज करने की वजह से कांग्रेस अपने को अन्य पार्टियों से अलग भी मानती है। अब वह समय गया जब लोग कांग्रेस के हाथ पर आंख मूंदकर ठप्पा लगाते थे। कांग्रेस ने इस देश के विशाल जनसमुदाय को जाति, सम्प्रदाय और मजहब के आधार पर बांट रखा है। अब लोग कांग्रेस की असलियत जानने लगे हैं, तो कांग्रेस कमजोर होने लगी है।

-मनीष कुमार

तिलकामांझी, भागलपुर (बिहार)

द कांग्रेस का कमजोर होना इस देश के लिए अच्छा है, क्योंकि इसने सत्ता के लिए देश को आर्थिक रूप से कमजोर तो किया ही है, साथ ही पांथिक रूप से भी लोगों के बीच खाई बढ़ाई है। सच कहा जाए तो देश की समस्याओं के लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है। चुनाव में गड़बड़ी, भ्रष्टाचार जैसी जो भी समस्याएं दिख रही हैं, उनकी जननी कांग्रेस ही है।

-रामावतार

कालकाजी, नई दिल्ली

द जनता अब कांग्रेस की कूटनीति समझने लगी है। कांग्रेस की छवि सत्ता-लोभी हो चुकी है। चाहे लोकपाल विधेयक हो या कुछ और, हर जगह वह घटिया राजनीति करती है।

-अनूप कुमार शुक्ल “मधुर”

संस्कृति भवन, राजेन्द्र नगर, लखनऊ-226004 (उ.प्र.)

उनकी जुबान बन्द करो

श्री  नरेन्द्र सहगल का लेख “महबूबा का महाझूठ” बताता है कि महबूबा मुफ्ती की गतिविधियां भारत की एकता और अखण्डता के लिए खतरनाक हैं। कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है। किन्तु महबूबा उसे विवादास्पद मानती हैं। आश्चर्य तो यह है कि उनके देशद्रोही बयानों पर केन्द्र सरकार चुप्पी साध लेती है। भारत सरकार अलगाववादी नेताओं और कट्टरवादियों को क्यों बर्दाश्त करती है? इन लोगों की जुबान पर जब तक ताला नहीं ठोंका जाएगा तब तक कश्मीर सुलगता रहेगा।

-मनोहर मंजुल

पिपल्या-बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)

द महबूबा की राजनीति ही झूठ पर टिकी है। झूठ बोलकर ही वह कश्मीरी युवाओं को भड़काती हैं। और वे युवा सेना पर पत्थर चलाने लगते हैं। जो नेता अलगाववाद को बढ़ावा देते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करने में देर नहीं होनी चाहिए।

-हरिहर सिंह चौहान

जंवरीबाग नसिया, क्रिश्चियन कालेज के सामने, इन्दौर-452001 (म.प्र.)

द सेना का मनोबल सिर्फ महबूबा ही नहीं गिरा रही हैं, बल्कि वे सभी सेकुलर नेता गिरा रहे हैं, जो मुस्लिम तुष्टीकरण में लगे हैं। ये लोग हिन्दुओं के विरुद्ध बोलते हैं और जिहादियों को भारत के खिलाफ उकसाते हैं।

-वीरेन्द्र सिंह जरयाल

28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर

दिल्ली-110051

हम पर रहम करिए साहब!

“चाहे कुछ भी करो साहब! हमें वापस पाकिस्तान मत भेजो। वहां हम पर जुल्म ढाया जाता है। हमें दुश्मन की नजर से देखा जाता है, वहां हमारी जिंदगी नर्क हो गई है। हम पर रहम करिये साहब!” यह करुण पुकार उन 27 हिन्दू परिवारों की है, जो पाकिस्तान से दुखी, हताश होकर भारत में शरण लेने के लिए आए हैं। जिस देश में करोड़ों बंगलादेशी और पाकिस्तानी मुस्लिम घुसपैठिए के रूप में रह रहे हों, वहां वीजा पर आए हिन्दुओं के साथ पुलिस-प्रशासन ऐसा बुरा बर्ताव कर रहा है, मानो इनका हिन्दू होना गुनाह है। पाञ्चजन्य ने इन हिन्दुओं की पीड़ा उजागर कर बखूवी अपना दायित्व निभाया है।

-रमन गुप्ता

1/6242, रोहताश नगर, शाहदरा, दिल्ली

द हमारी पंथनिरपेक्ष सरकार आस्ट्रेलिया में पकड़े गए हनीफ के कारण तो चिंतित हो उठती है, परन्तु मुसलमानों द्वारा सताए गए हिन्दुओं को दर-दर की ठोकरें खाने को खदेड़ रही है! क्या ये सब इसलिए सजा भुगत रहे हैं क्योंकि ये हिन्दू हैं और हिन्दू ही रहना चाहते हैं और इनके पूर्वज विभाजन के समय न तो भारत आये और न ही उन्होंने मतान्तरण किया। सन् 1947 में भारत के विभाजन का आधार मजहब ही था जिसके अनुसार हिन्दुओं की शरणस्थली भारत ही है। अत: भारत सरकार को पाकिस्तान से खदेड़ दिए गए हिन्दुओं को अपनाना ही चाहिए!

-विनोद कुमार सर्वोदय

नयागंज, गाजियाबाद (उ.प्र.)

द पाकिस्तानी हिन्दुओं का कष्ट किसी को क्यों नहीं दिख रहा है? पाकिस्तान में रह गए हिन्दुओं के साथ कांग्रेस ने जो विश्वासघात किया है उस पाप से इसका नामो-निशान अब तक मिट जाना चाहिए। महात्मा गांधी भी वहां के हिन्दुओं को भारत आने से मना कर रहे थे, जबकि बाबा साहब अम्बेडकर ने हिन्दुओं को भारत आने की सलाह दी थी।

-क्षत्रिय देवलाल

उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया, कोडरमा (झारखण्ड)

आतंकवाद का खुला समर्थन

भारत में हुईं अनेक आतंकवादी घटनाओं में इण्डियन मुजाहिद्दीन, सिमी जैसे संगठनों से जुड़े युवा पकड़े गए और अनेक की तलाश अभी भी जारी है। अक्सर देखा जाता है कि एक विशेष वर्ग से जुड़े इन युवाओं की गिरफ्तारी पर मजहबी और नकली सेकुलर नेता हंगामा मचाने लगते हैं। इस कारण इनके खिलाफ हो रही जांच प्रभावित हो जाती है और ठोस सबूत के अभाव में ये बरी हो जाते हैं। किसी भी मामले की गहराई तक निष्पक्ष रूप से जांच होनी चाहिए। जांच में जो लोग बाधा पहुंचा रहे हैं, वे आतंकवाद का खुला समर्थन कर रहे हैं।

-कपिल भारद्वाज

परीक्षितगढ़, मेरठ (उ.प्र.)

बड़बोले दिग्गी

पिछले दिनों योग गुरु स्वामी रामदेव पर एक युवक ने काली स्याही फेंक दी। विरोध का यह तरीका ठीक नहीं है। किन्तु इस मामले पर भी कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने बयान दिया कि वह युवक रा.स्व.संघ का कार्यकर्ता है। लगता है दिग्विजय सिंह अपना मानसिक सन्तुलन खो चुके हैं।

-प्रदीप सिंह राठौर

एम.आई.जी.-37, बी ब्लॉक, पनकी, कानपुर (उ.प्र.)

श्रीगुरुजी पर विशेषांक निकालें

कृपया राष्ट्रपुरुष श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरुजी की जन्मतिथि (19 फरवरी) को ध्यान में रखकर एक विशेषांक निकालें। यह अच्छी बात है कि इन पर अनेक खण्डों में ग्रंथावली बनी और बनेगी, किन्तु साधारण पाठक की क्षमता सात रुपए ही है।

-प्रो. परेश

1251/8 सी, चण्डीगढ़

बदल गया राजनीति का मापदण्ड

आज प्राय: सभी राजनीतिक दल उन्हीं लोगों को चुनाव लड़वाना चाहते हैं, जो दबंग हों, जो अनैतिक ढंग से कमाई गई मोटी रकम के मालिक हों या जो चाटुकारिता में माहिर हों। इससे लोगों में लोकतंत्र के प्रति अनास्था बढ़ती है। पहले लोग अपना सब कुछ त्याग कर देशसेवा के लिए राजनीति करते थे। लेकिन अब राजनीति का मापदण्ड बदल गया है। अब राजनीति स्वयं की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए की जाती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

-उदय कमल मिश्र

गांधी विद्यालय के समीप, सीधी-486661 (म.प्र.)

रेल की पटरियां क्यों टूट रही हैं?

समाचार पत्रों में आये दिन रेल पटरियों के चटखने और टूटने के समाचार पढ़ते रहते हैं। गत नवम्बर-दिसम्बर के एक महीने में ही दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर 13 बार रेल पटरियां चटखीं तथा टूटीं। रेल अधिकारी बताते हैं कि सर्दी के कारण रेल पटरियां सिकुड़ती हैं तथा गर्मी के कारण फैलती हैं, अत: वे चटख जाती हैं। सर्दी और गर्मी का यह प्रभाव तो पहले भी पड़ता होगा तो फिर तब इतनी पटरियां क्यों नहीं चटखती और टूटती थीं? कुछ लोगों का मत है कि आज के भ्रष्टाचार के युग में शायद अब पटरियों की ढलाई के समय लोहे के पुराने टुकड़े गला कर मिला दिए जाते हैं, जिसका परिणाम पटरियों का चटखना, टूटना, रेल दुर्घटना होना तथा जन-धन की हानि है। क्या भ्रष्टाचार विरोधी लोग इस बात की जांच कराएंगे?

-शान्ति स्वरूप गुप्त

60, जनकपुरी, अलीगढ़-202001 (उ.प्र.)

जवाहरलाल से राहुल तक

यह बात सार्वजनिक हो चुकी है कि मोतीलाल नेहरू ने अपने पुत्र जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का सुझाव एक पत्र के माध्यम से महात्मा गांधी को दिया था। इसके बाद नेहरू पहली बार 1929 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। वे इस पद पर दो बार बैठे। जबकि उस समय डा. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल, राजर्षि टण्डन आदि अपने-अपने क्षेत्र के जननेता थे, किन्तु नेहरू जननेता नहीं थे। फिर भी वे अध्यक्ष बने और आज भी कांग्रेस में नेहरू परिवार की ही तूती बोलती है। सोनिया गांधी की तो बात ही मत कीजिए। राहुल गांधी और प्रियंका वढ़ेरा के सामने वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं (प्रणब मुखर्जी, डा. मनमोहन सिंह आदि) की शायद ही कोई पूछ है। नेहरू के प्रभाव काल में ही उनके दामाद घोटले का आरोपी बनकर बचे रहे। बाद में कामराज योजना बनाकर नेहरू ने अपनी पुत्री इन्दिरा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनवाया। लालबहादुर शास्त्री की रहस्यमय मृत्यु के बाद गांधी परिवार के भक्तों ने इन्दिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाया। उनकी मृत्यु के बाद अनुभवहीन राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। सीताराम केसरी जैसे दिग्गज नेता को हटाकर सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं। अब उनका शायद एकमात्र उद्देश्य है अपने पुत्र राहुल को प्रधानमंत्री बनाना। जबकि राहुल इतने नासमझ हैं कि उन्हें कब क्या बोलना है, यही पता नहीं है।

-कालीमोहन सिंह

गायत्री मंदिर, मंगलबाग, आरा, भोजपुर-802301 (बिहार)

 

पञ्चांग

वि.सं.2068   तिथि   वार    ई. सन् 2012

फाल्गुन कृष्ण 5          रवि   12 फरवरी, 2012

“”     “”  6          सोम   13        “”    “”

“”     “”  7          मंगल  14        “”     “”

“”     “”  8          बुध   15        “”     “”

“”     “”  9          गुरु    16        “”     “”

“”     “”  10        शुक्र   17        “”     “”

“”     “”  12        शनि   18        “”     “”

(एकादशी तिथि का क्षय)

 

लोकतंत्र इक पर्व सुहाना

जनता फिर राजा बनी, डाला अपना वोट

मालाएं किसके लिए, और किसे है चोट ?

और किसे है चोट, बाद में पता लगेगा

तब तक नहीं युद्धवीरों को चैन मिलेगा।

है “प्रशांत” यह लोकतंत्र इक पर्व सुहाना

चाहे जो हो, लेकिन वोट डालकर आना।।

-प्रशांत

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