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बहुसंख्यक समाज को कटघरे में

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Jan 14, 2012, 12:00 am IST
in Archive
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संविधान निर्माताओं की इच्छा के विरुद्ध है अल्पसंख्यकवाद

दिंनाक: 14 Jan 2012 18:19:51


जालंधर में “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” पर संगोष्ठी

खड़ा करने वाला है यह विधेयक

-इन्द्रेश कुमार, सदस्य, अ.भा.कार्यकारी मंडल, रा.स्व.संघ

“केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” के अनुसार गौतम बुद्ध, महावीर जैन, गुरु नानक एवं गांधी जैसे महापुरुष अत्याचारी हैं, क्यांेकि ये बहुसंख्यक समाज से संबंधित हैं। देश के बहुसंख्यक समाज को कटघरे में खड़ा करने का जो काम औरंगजेब, नादिरशाह, चंगेज खां जैसे अत्याचारी शासक नहीं कर पाए, उस काम को केन्द्र की संप्रग सरकार अंजाम देने जा रही है”। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने गत दिनों जालंधर में बाबा साहब आप्टे स्मारक समिति के तत्वावधान में “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” पर सम्पन्न हुई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

श्री इन्द्रेश कुमार ने देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से प्रश्न किया कि जो विधेयक बहुसंख्यक वर्ग से संबंधित होने के कारण उन्हें, राष्ट्रपति एवं सेनाध्यक्ष को अपराधियों की श्रेणी में शामिल करता है उसके पक्ष में वे कैसे मतदान करेंगे? उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान की उस प्रस्तावना के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें देश के नागरिकों को “हम भारत के लोग” कहकर संबोधित किया गया है। क्योंकि विधेयक की शुरुआती भाषा में ही समाज को “समूह” और “अन्य” की श्रेणियों में विभाजित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के किसी संविधान में ऐसी व्यवस्था नहीं है, जो अपने ही देश के नागरिकों को विभाजित करती हो। केन्द्र सरकार का यह कदम डा. भीमराव अंबेडकर के संविधान की मूल भावना और उनकी कृति की हत्या है।

श्री इन्द्रेश कुमार ने विधेयक को “प्रिवेंशन ऑफ कम्युनलिज्म एंड टारगेटेड वायलेंस बिल” कहने के बजाय “प्रमोशन ऑफ कम्युनल एंड टारगेटेड वायलेंस बिल” कहते हुए इसे तैयार करने वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को पूरी तरह असंवैधानिक और असंसदीय संस्था बताया। उन्होंने कहा कि इसमें न तो कोई विधि विशेषज्ञ है और न ही साम्प्रदायिकता जैसे संवेदनशील विषय से जुड़े लोग। उन्होंने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को भी भंग करने की मांग की। श्री इन्द्रेश कुमार ने भगवा आतंकवाद, हिन्दू आतंकवाद और संघ को आतंकवादी संगठन कहने को पापपूर्ण और अपराध बताते हुए आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी संप्रग सरकार आतंकवाद को प्रोत्साहन देकर आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रही है।

समारोह के मुख्य अतिथि व गुरु रविदास आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के उपकुलपति डा. ओम प्रकाश उपाध्याय ने आश्चर्य जताया कि कोई सरकार अपने नागरिकों के लिए ऐसा कानून भी बना सकती है, जो समाज में विभाजन के बीज बोता हो। इस अवसर पर संस्कृत के जाने माने विद्वान डा. चरणदास शास्त्री को संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही समारोह में प्रो. राजेन्द्र कुमार पराशर द्वारा सम्पादित पुस्तक “युगयुगीन जालंधर” का लोकार्पण भी किया गया। द प्रतिनिधि

विहिप की मांग

मतांतरण पर लगे पूर्ण प्रतिबंध

“मतांतरण से राष्ट्रांतरण बढ़ता है। इस पर पूरी तरह रोक लगानी होगी, क्योंकि इसी से राष्ट्रद्रोही पैदा होते हैं। गोवंश की हत्या, धर्म स्थलों पर हमले व भारतीय संस्कृति का उपहास इत्यादि सभी समस्याएं इसी के कारण पनपती हैं”। उक्त विचार विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री श्री जुगल किशोर ने गत 8 जनवरी को दिल्ली में सम्पन्न हुई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। संगोष्ठी का आयोजन स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में किया गया, जिसका विषय था “धर्मांतरण एक राष्ट्रीय संकट एवं उसका समाधान”।

श्री जुगल किशोर ने आगे कहा कि मतांतरण के कारण ही भारत के 48 जिले मुस्लिम बहुल तथा 23 जिले ईसाई बहुल हो गये हैं। पूर्वोत्तर के पांचों राज्य व पश्चिम बंगाल का बहुत बड़ा हिस्सा आज राष्ट्रद्रोहियों का अड्डा बन गया है। व्यापक पैमाने पर हो रहे मतांतरण के कारण ही देश में विदेशी घुसपैठ, नक्सलवाद, माओवाद व जिहादी आतंकवाद पनप रहा है। भारत सरकार को इस पर अविलम्ब अंकुश लगाना होगा, अन्यथा इसके और भी घातक परिणाम देश को भुगतने पड़ सकते हैं।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विहिप के धर्म-प्रसार विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री स्वदेश पाल गुप्ता ने कहा कि हिन्दू संस्कृति सर्वाधिक प्राचीन होते हुए भी उसके शांत सिद्धांंत आज भी राष्ट्र का मार्गदर्शन करने में पूरी तरह सक्षम हैं। मतांतरण रूपी राक्षस के समूल नाश के लिए हम सबको संकल्पित होना होगा तथा राष्ट्र की रक्षा के लिए केन्द्र सरकार को इसे पूरी तरह प्रतिबन्धित करना होगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विहिप के कार्यकर्ता तथा गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे। द प्रतिनिधि

स्वधर्म में वापसी

विश्व हिन्दू परिषद, पूर्व आंध्र प्रांत के तत्वावधान में गत दिनों श्रीकाकुलम जिले में स्वधर्म वापसी का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इसमें 8 गांव के 95 लोगों ने पुन: अपना मूल हिन्दू धर्म स्वीकार किया। इनमें 50 महिला तथा 45 पुरुष थे।

कार्यक्रम में सभी ने मिलकर यज्ञ किया तथा हिन्दू धर्म स्वीकार करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर विश्व हिन्दू के अनेक प्रांत तथा विभाग स्तरीय कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। द प्रतिनिधि

केन्द्र सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध

…फिर सड़कों पर

उतरेगी अभाविप

राष्ट्रवादी छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने एक बार फिर से केन्द्र सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है। विगत दिनों दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में सम्पन्न हुए अभाविप के 57वें राष्ट्रीय अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया। निर्णय के अनुसार आगामी 18 जनवरी, 2012 को देश के सभी जिला केन्द्रों के अलावा 2000 स्थानों पर लाखों युवा प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरेंगे। द प्रतिनिधि

 

श्रद्धाञ्जलि

पूरन चंद्र अग्रवाल दिवंगत

संस्कार भारती के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री पूरन चंद्र अग्रवाल का विगत 6 जनवरी को आगरा (उ.प्र.) में निधन हो गया। वे 77 वर्ष के थे।

2 जनवरी, 1935 को जन्मे श्री पूरन चंद्र बचपन में ही रा.स्व.संघ के स्वयंसेवक बन गए थे तथा अंतिम समय तक शाखा गए। जिस दिन उनका स्वर्गवास हुआ, उस दिन वे शाखा नहीं जा सके, जिसके चलते उनकी प्रार्थना नहीं हो पाई। आगरा के स्वयंसेवकों ने उनकी संघ के प्रति अगाध श्रद्धा को देखते हुए श्मशान घाट पर ही प्रार्थना करके उन्हें श्रद्धाञ्जलि अर्पित की।

श्री पूरन चंद्र अपने जीवन काल में अनेक सामाजिक, शैक्षिक तथा धार्मिक संगठनों में सक्रिय रहे। वे रा.स्व.संघ के आगरा विभाग के संघचालक भी रहे। उनकी लोकप्रियता एवं स्वच्छ छवि के चलते अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में आगरा की अनेक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित हुए।

दिल्ली में 'सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस' की एक दिवसीय कार्यशाला

संविधान निर्माताओं की इच्छा के विरुद्ध है अल्पसंख्यकवाद

–दत्तात्रेय होसबले, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ

'साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक' के विरुद्ध होगा जन जागरण  

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कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री दत्तात्रेय होसबले (मध्य में)।साथ में हैं न्यायमूर्ति बी.एस.कोकजे एवं श्री जगदीप धनखड़

विद्वानों के विचार सुनते हुए (बाएं से) श्री कमलेश, श्री सुरेश जैन, श्री इन्दू भूषण (पीछे) एवं प्रो. सुषमा यादव (अंत में)

गत दिनों दिल्ली में 'सेन्टर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस' के तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुई। इसमें संस्था से जुड़े देशभर के 70 से अधिक प्रतिनिधि सम्मिलित हुए तथा वर्ष 2011 में देश में मानवाधिकारों की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही संस्था ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा तैयार किए 'साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक' को देश के लिए घातक मानते हुए इसके विरुद्ध जन-जागरण अभियान चलाने का भी निर्णय लिया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता 'सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस' के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री जगदीप धनखड़ ने की। मुख्य वक्ता के रूप में रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले उपस्थित थे। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति वी.एस. कोकजे, प्रख्यात अर्थशास्त्री तथा संप्रग सरकार के भ्रष्टाचार की परत दर परत खोलने वाले डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी, रा.स्व.संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार, अधिवक्ता परिषद् के संगठन मंत्री श्री कमलेश एवं रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक तथा पश्चिम क्षेत्र के सह-सम्पर्क प्रमुख श्री सुरेश जैन विशेष रूप से उपस्थित थे।

श्री दत्तात्रेय होसबले ने अपने उद्बोधन में मुख्य रूप से अल्पसंख्यकवाद के मुद्दे को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं की इच्छा के विरुद्ध देश में इस विषय को खड़ा किया गया है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इस बात पर एकमत था कि राज्य की नीति और ढांचा मजहब के आधार पर नहीं होगा। यानी भारत के नागरिक एकजुट होंगे तथा राजनीति में कहीं भी अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक की बात नहीं होगी। यह सहमति संविधान सभा की बहस में भी दिखाई दी है। इन बहसों में ताजम्मुल हुसैन ने कहा था 'देश में कोई अल्पसंख्यक नहीं है। यह शब्द अंग्रेजों का दिया हुआ है, अंग्रेजों के चले जाने के बाद यह शब्द भी उनके साथ चला गया। इस शब्द को हमें अपने शब्दकोष से हटाना है'। श्री होसबले ने कहा कि जिन बातों के जरिए अल्पसंख्यकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। वे हैं- प्रथक निर्वाचन व्यवस्था, विकास के लिए अलग प्रावधान, अलग शैक्षिक संस्थान, अलग राजनीति और संवैधानिक तंत्र एवं अलग भाषा। उन्होंने कहा कि इन बातों को समाप्त किया जाना चाहिए।  अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि वर्ष 2011 मानवाधिकार की दृष्टि से अत्यंत चिंता और चिंतन का विषय रहा है। प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के वक्तव्य 'मुसलमानों का देश के संसाधनों पर प्रथम अधिकार है' की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने इसे असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करना देश के बहुसंख्यक समाज के मानवाधिकारों पर कुठाराघात है।

कार्यशाला में पांच प्रस्ताव भी पारित हुए। इनमें प्रमुख है- संविधान के अनुच्छेद 72 में संशोधन, जिसके जरिए राष्ट्रपति एक समय सीमा के अंतर्गत क्षमा याचनाओं पर फैसला सुनाने के लिए प्रतिबद्ध होंगे। संस्था का कहना है कि अफजल को फांसी की सजा हुए इतना समय बीत गया है, पर फिर भी अभी तक उसे फांसी नहीं हो सकी है। यह बहुत ही चिंता की बात है। कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता शैलेन्द्र बब्बर ने किया। कार्यशाला में संस्थान के उपाध्यक्ष श्री इन्दू भूषण एवं प्रो. सुषमा यादव भी उपस्थित थीं।  प्रतिनिधि

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