कब तक बचेंगे चिदम्बरम?
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कब तक बचेंगे चिदम्बरम?

by
Jan 9, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पाठकीय

दिंनाक: 09 Jan 2012 15:33:37

अंक-सन्दर्भ *18 दिसम्बर,2011

सम्पादकीय “दकरने लगा चिदम्बरम का रक्षा कवच” संप्रग सरकार पर एक तीखा प्रहार है, जो दस जनपथ के विश्वस्त और चहेते गृहमंत्री को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाती दिखाई दे रही है। जबकि 2 जी स्पेक्ट्रम के मामले में तत्कालीन संचार मंत्री ए. राजा जितने दोषी हैं उतने ही दोषी उस समय के वित्तमंत्री चिदम्बरम भी हैं। डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सीबीआई की विशेष अदालत से 2जी स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने में इन दोनों की मिलीभगत के सबूत पेश करने की अनुमति प्राप्त करके यह साबित भी कर दिया है। चिदम्बरम खुद ही नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दें।

-आर.सी.गुप्ता

द्वितीय ए-201, नेहरू नगर, गाजियाबाद-201001 (उ.प्र.)

द यह तो तय है कि एक दिन जीत सच्चाई की ही होती है, भले ही उसे थोड़ा समय लगे। झूठ के आवरण से सच छिप नहीं सकता। अब गृहमंत्री पी. चिदम्बरम या केन्द्र सरकार कितनी भी लीपापोती करें सच तो उजागर होकर रहेगा। जिस दिन न्यायालय को लगेगा कि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में चिदम्बरम भी शामिल हैं, उस दिन वे जेल के अन्दर रहेंगे।

-अनूप कुमार शुक्ल “मधुर”

संस्कृति भवन, राजेन्द्र नगर, लखनऊ-226004 (उ.प्र.)

बड़ी अपेक्षाएं हैं भाजपा से

भाजपा अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी ने श्री बल्देव भाई शर्मा को दिए साक्षात्कार में गृहमंत्री पी.चिदम्बरम को 2 जी घोटाले की आंच से बचाने के सरकारी प्रयासों की चर्चा की है। वास्तव में भ्रष्ट कांग्रेसियों के जमावड़े को सरकार का रूप दे दिया गया है। इन कांग्रेसियों की नीयत सरकार के बनते ही बिगड़ गई थी। यह तो देश का सौभाग्य है कि अभी न्यायालय निष्पक्ष है। इसलिए भ्रष्टाचारी कुछ डर भी रहे हैं, अन्यथा ये लोग देश को खोखला कर देते।

-वीरेन्द्र सिंह जरयाल

28-ए, शिवपुर विस्तार, कृष्ण नगर, दिल्ली-51

द भाजपा अध्यक्ष ने जो कहा है वह भाजपा के कार्यकर्ताओं के लिए तो ठीक है। किन्तु आम आदमी भाजपा पर विश्वास कैसे करे, यह भी उन्हें बताना चाहिए। कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनको लेकर भाजपा की चुप्पी से लोग दु:खी हैं। इन पर भाजपा को ध्यान देना चाहिए। भाजपा से लोगों की बड़ी अपेक्षाएं हैं।

-मनीष कुमार

तिलकामांझी, भागलपुर (बिहार)

आरक्षण रूपी दानव

“मुस्लिम आरक्षण की राजनीति” शीर्षक सम्पादकीय सराहनीय व मंथन करने वाला है। आज यदि आरक्षण को बिना जात-पांत, मजहब, पिछड़ा वर्ग आधारित किया जाता है और इसे आर्थिक आधार पर दिया जाता है तो बहुत अच्छी बात होती। परन्तु वोट बैंक की राजनीति ऐसा किसी भी पार्टी या सरकार से नहीं करवा सकेगी। आरक्षण रूपी दानव ने पहले ही सामाजिक ताना-बाना खराब किया है व मुस्लिमों को ओबीसी में जोड़ने से और अधिक कटुता आयेगी व देश विकास से वंचित हो दिशाहीन होगा।

-नित्यानन्द शर्मा

335/8, शिल्ली सड़क-सोलन (हि.प्र.)

खुला आमंत्रण क्यों?

चर्चा सत्र में डा. अश्विनी महाजन का लेख “सच्चाई को तो समझें” पसन्द आया। सच्चाई को न देखने और समझने से ही हम भूल पर भूल करते जा रहे हैं। क्या हम भूल गए कि ईस्ट इंडिया कम्पनी व्यापार करने के लिए ही भारत आई थी और बाद में वही इस देश को चलाने लगी। फिर व्यापार के लिए विदेशी कम्पनियों को खुला आमंत्रण क्यों? ये विदेशी कम्पनियां पहले स्वहित को देखेंगी, इसमें कोई शंका नहीं है।

-लक्ष्मी चन्द

गांव-बांध, डाक-भावगड़ी, जिला-सोलन-173233 (हि.प्र.)

सदाबहार देवानन्द

सदाबाहर अभिनेता स्व. देवानन्द को श्री आलोक गोस्वामी की लेखनी से दी गई श्रद्धांजलि पढ़ी। देवानन्द जी जैसे कलाकार कम ही होते हैं। वे फिल्म में जितने सक्रिय थे उतने ही भारत-हित के लिए भी तत्पर रहते थे। उन्होंने आपातकाल की खुलकर निन्दा की थी और जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन का समर्थन किया था।

-देशबन्धु

आर.जेड- 127, सन्तोष पार्क, उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059

ये विषवमन ही करते हैं

वामपंथी मानसिकता को रेखांकित करता श्री देवेन्द्र स्वरूप का आलेख “वामपंथी इतिहासकारों का प्रचारतंत्र” पढ़ा। सोमनाथ ध्वंस को स्वीकार न करना एक ऐसी मानसिकता है जो तथ्यों की अवहेलना करती है। दरअसल, वामपंथी मानसिकता और देश के कतिपय तथाकथित विद्वानों ने सनातन संस्कृति के विरुद्ध सदैव विषवमन किया है। तथ्यों और प्रमाणों की अवहेलना कर हिन्दू समुदाय के विरुद्ध विष वमन करना आज प्रगतिशीलता समझी जा रही है।

-मनोहर “मंजुल”

पिपल्या-बुजुर्ग, प.निमाड़-451225 (म.प्र.)

द पाञ्चजन्य ही एक ऐसा पत्र है, जो वामपंथियों और छद्म सेकुलरों की करतूतों का पर्दाफाश करता रहता है। सेकुलर मीडिया में तो वामपंथियों के खिलाफ जाने वाली खबरें कभी छपती ही नहीं हैं।

-बी.एल. सचदेवा

263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023

द वामपंथी विचारधारा पर चलने वाले लोग भारत की सदियों पुरानी संस्कृति और परम्परा को तुच्छ और अपनी बातों को ही सत्य मानते हैं। ये लोग ऐसा इसलिए करते हैं कि ताकि उन्हें पुरस्कार मिले। क्योंकि यही देखा जाता है कि जो लोग भारतीयता के विरुद्ध बातें करते हैं, उन्हें बड़े-बड़े देशी-विदेशी पुरस्कारों से नवाजा जाताहै।

-उदय कमल मिश्र

गांधी विद्यालय के समीप, सीधी-486661 (म.प्र.)

असीमानन्द की पीड़ा

पिछले अंक में अम्बाला जेल से स्वामी असीमानन्द द्वारा राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र की जानकारी मिली। उस पत्र में उन्होंने विस्तार से बताया है कि उनके साथ सीबीआई, एन.आई.ए. और ए.टी.एस. के अधिकारी कैसी बर्बरता के साथ पेश आते हैं। उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जा रही हैं। जांच एजेन्सियों द्वारा कथित घटनाओं में शामिल होने का कबूलनामा लिया जा रहा है। जो सेकुलर मीडिया स्वामी असीमानन्द के बारे में अपमानजनक बातें परोसता रहता है, उसने उनकी इस चिट्ठी पर गौर क्यों नहीं किया?

-क्षत्रिय देवलाल

उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया, कोडरमा-825409

द स्वामी असीमानन्द के साथ बेबुनियाद आरोपों को लेकर बहुत ही बुरा बर्ताव किया जा रहा है। इस तरह की घटनाओं से यह सोचने के लिए मजबूर हूं कि क्या भारत का इस्लामीकरण हो चुका है? असली आतंकवादियों को छुड़ाने के लिए कुछ हिन्दुओं को पकड़कर प्रताड़ित किया जा रहा है।

-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर

दिलसुखनगर, हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)

पुरस्कृत पत्र

आरक्षण का रोग

समाज का विभाजन अन्तत: भूमि के विभाजन में परिवर्तित हो जाता है। अंग्रेजों को इस भारतभूमि से तनिक भी स्वाभाविक लगाव नहीं था। उनका एकमात्र उद्देश्य था- अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए इस देश के संसाधनों का अधिकतम दोहन। बिना सत्ता में रहे यह संभव नहीं था। हिन्दुस्थान पर राज करने के लिए उन्होंने जिस नीति का सफलतापूर्वक संचालन किया, वह थी- फूट डालो और राज करो। महात्मा गांधी का सत्प्रयास भी हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच अंग्रेजों द्वारा योजनाबद्ध ढंग से निर्मित खाई को पाट नहीं सका। अंग्रेजों के समर्थन और प्रोत्साहन से फली-फूली मुस्लिम लीग की पृथक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र की मांग, पृथक देश की मांग में कब बदल गई, कुछ पता ही नहीं चला। राष्ट्रवादी शक्तियों के प्रबल विरोध और महात्मा गांधी की अनिच्छा के बावजूद अंग्रेज कुछ कांग्रेसी नेताओं और जिन्ना के सहयोग से अपने षड्यंत्र में सफल रहे- 1947 में देश बंट ही गया, भारत माता खंडित हो ही गईं।

यह एक स्थापित सत्य है कि जो देश अपने इतिहास से सबक नहीं लेता है, उसका भूगोल बदल जाता है। भारत की सत्ताधारी कांग्रेस ने बार-बार देश का भूगोल बदला है। इस पार्टी को भारत के इतिहास से कोई सरोकार ही नहीं, अत: सबक लेने का कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता। 1947 में पाकिस्तान के निर्माण के साथ इस प्राचीनतम राष्ट्र के भूगोल से एक भयंकर छेड़छाड़ की गई। एक वर्ष भी नहीं बीता था, 1948 में कश्मीर समस्या को पं. जवाहर लाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले जाकर दूसरी बार देश का भूगोल बदला। सरदार पटेल हाथ मलते रह गए। तिब्बत पर चीनी आधिपत्य को मान्यता देकर तीसरी बार हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने 1962 में भारत का भूगोल बदला। साम्राज्यवादी चीन से हमारी सीमा इतिहास के किसी कालखण्ड में नहीं मिलती थी। तिब्बत को चीन की झोली में डाल हमने उसे अपना पड़ोसी बना लिया और इसी पड़ोसी ने नेफा-लद्दाख की हमारी 60,000 वर्ग किलो मीटर धरती अपने कब्जे में कर ली। नेहरू परिवार को न कभी भारत के भूगोल से  प्रेम रहा है और न कभी भारत के इतिहास पर गर्व। इस परिवार ने सिर्फ “इंडिया” को जाना है और उसी पर राज किया है। इस परंपरा का निर्वाह करते हुए सोनिया गांधी ने मुस्लिम आरक्षण का जिन्न देश के सामने खड़ा कर दिया है। मजहब के आधार पर आरक्षण का हमारे संविधान में कहीं भी कोई प्रावधान नहीं है। मुस्लिम और ईसाई समाज स्वयं को जातिविहीन समाज होने का दावा करते हैं। उनके समाज में न कोई वंचित जाति है, न कोई पिछड़ी जाति, फिर अन्य पिछड़ा वर्ग और वंचित वर्ग के कोटे में इन्हें आरक्षण देने का क्या औचित्य? दुर्भाग्य से हिन्दू समाज में अगड़े, पिछड़े और वंचित वर्गों में सैकड़ों जातियां हैं। इसे संविधान ने भी स्वीकार किया है। इन जातियों में परस्पर सामाजिक विषमताएं पाटने के लिए संविधान में मात्र दस वर्षों के लिए आरक्षण की व्यवस्था थी। आज सोनिया और कांग्रेस हिन्दू वंचितों और पिछड़ों के मुंह का निवाला छीन, मुसलमानों को देना चाहती हैं।

अब तो हद हो गई। कांग्रेस ने तुष्टीकरण की सारी सीमाएं तोड़ते हुए लोकपाल में भी मुस्लिम आरक्षण का प्रावधान कर दिया है। जब लोकपाल जैसी प्रमुख संस्था में मजहब के नाम पर आरक्षण दिया जा सकता है, तो सेना, पुलिस, लोकसभा, विधान सभा, चुनाव आयोग, सी.बी.आई., सी.ए.जी., सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, क्रिकेट टीम, हाकी टीम इत्यादि में भी आरक्षण की मांग उठेगी। सत्ता और वोट के लिए कांग्रेस कुछ भी कर सकती है। खंडित भारत के अन्दर एक और पाकिस्तान के निर्माण की नींव पड़ चुकी है। अगर जनता नहीं चेती, तो चौथी बार भारत के भूगोल को परिवर्तित होने से कोई नहीं बचा सकता। इस आरक्षण से यदि नेहरू परिवार का कोई सदस्य प्रभावित होता, तो आरक्षण की व्यवस्था कभी की समाप्त हो गई होती। क्या राहुल गांधी अपनी प्रतिभा के बल पर कोई साधारण पद भी प्राप्त पा सकते हैं? लेकिन कांग्रेसी उन्हें प्रधानमंत्री पद के योग्य बता रहे हैं। क्योंकि उस पद पर उनका खानदानी आरक्षण है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रतिभा का दमन सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है। इसकी निगरानी कौन लोकपाल करेगा?

-विपिन किशोर सिन्हा

लेन नं.-8 सी, प्लॉट नं.-78, महामनापुरी, वाराणसी (उ.प्र.)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

देखिये VIDEO: धराशायी हुआ वामपंथ का झूठ, ASI ने खोजी सरस्वती नदी; मिली 4500 साल पुरानी सभ्यता

VIDEO: कांग्रेस के निशाने पर क्यों हैं दूरदर्शन के ये 2 पत्रकार, उनसे ही सुनिये सच

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

देखिये VIDEO: धराशायी हुआ वामपंथ का झूठ, ASI ने खोजी सरस्वती नदी; मिली 4500 साल पुरानी सभ्यता

VIDEO: कांग्रेस के निशाने पर क्यों हैं दूरदर्शन के ये 2 पत्रकार, उनसे ही सुनिये सच

Voter ID Card: जानें घर बैठे ऑनलाइन वोटर आईडी कार्ड बनवाने का प्रोसेस

प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और जनरल असीम मुनीर: पाकिस्तान एक बार फिर सत्ता संघर्ष के उस मोड़ पर खड़ा है, जहां लोकतंत्र और सैन्य तानाशाही के बीच संघर्ष निर्णायक हो सकता है

जिन्ना के देश में तेज हुई कुर्सी की मारामारी, क्या जनरल Munir शाहबाज सरकार का तख्तापलट करने वाले हैं!

सावन के महीने में भूलकर भी नहीं खाना चाहिए ये फूड्स

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधिमंडल

विश्व हिंदू परिषद ने कहा— कन्वर्जन के विरुद्ध बने कठोर कानून

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies