अमरीका नहीं देगा 1.1 बिलियन डालर
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अमरीका नहीं देगा 1.1 बिलियन डालर

by
Jan 7, 2012, 12:00 am IST
in Archive
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दृष्टिपात

दिंनाक: 07 Jan 2012 17:33:47

   आलोक गोस्वामी

पाकिस्तान तिलमिलाया

अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने अखिरकार उस विधेयक पर दस्तखत कर ही दिए जिसके तहत पाकिस्तान को जाने वाली 1.1 बिलियन डालर की राशि के रास्ते में रोड़ा अटक जाएगा। 662 बिलियन डालर के रक्षा खर्च विधेयक में शामिल पाकिस्तान को सहायता राशि रोकने का मसौदा राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद अमल में लाए जाने को तैयार है। उधर पाकिस्तान फुफकार रहा है, क्योंकि उसके कटोरे को ज्यादातर अमरीका ही भरता आ रहा था। लेकिन पिछले दिनों पाकिस्तानी फौजी अफसरों की हेकड़ी से गुस्साए अमरीका ने उसकी चूलें हिलाने को पैसे की जावक रोक दी है। 2012 के अमरीका रक्षा खर्च विधेयक में पाकिस्तान को आतंकवाद निरोधी फंड के तहत राशि दिए जाने पर तब तक रोक लगाने की मांग की गई है जब तक कि अमरीकी विदेश और रक्षा मंत्री कांग्रेस को यह रपट न दे दें कि इस्लामाबाद आतंक के खिलाफ लड़ाई में आगे बढ़ रहा है, खासकर रिमोट संचालित बम बनाने के विरुद्ध तैयार रणनीति पर अमल कर रहा है। पाकिस्तान के गली-कूचों में तैयार हो रहे इन रिमोट संचालित बमों ने ही अफगानिस्तान में अमरीकी सैनिकों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

पाकिस्तानी मीडिया में अमरीकी पैसा रुकने की बाबत खबर आने के बाद तिलमिलाते पाकिस्तान में अमरीका को लानतें भेजने का सिलसिला जारी है। हालांकि ओबामा प्रशासन ने कहा है कि किसी भी सूरत में विधेयक पाकिस्तान को अमरीकी सैन्य सहायता देना स्थगित नहीं करता।थ्

भारतीय राजनयिक पर चीनी व्यापारियों का हमला

दिल्ली का चढ़ा पारा यू ने उतारा

$img_titleचीन के पूर्वी शहर यीवू की एक अदालत में जज और पुलिस की मौजूदगी में कुछेक चीनी कारोबारियों ने भारत के शंघाई कोंसुलेट में कार्यरत एक राजनयिक एस. बालाचंद्रन के साथ इतनी हाथापाई की कि वे बेहोश होकर गिर पड़े। मामला 31 दिसम्बर की शाम को घटा, पर बीजिंग होकर नई दिल्ली पहुंचने में इस खबर को तीन दिन लग गए! दरअसल बालाचंद्रन वहां दो भारतीय व्यापारियों दीपक रहेजा और श्यामसुंदर अग्रवाल को चीनी व्यापारियों की गिरफ्त से छुड़ाने गए थे। चीनी व्यापारी उन दोनों को दो हफ्ते से बंधक बनाए हुए थे, क्योंकि उनकी कंपनी ने व्यापारियों से माल लेने के बाद उनका बकाया पैसा नहीं चुकाया था। चीनी व्यापारियों ने उन दोनों भारतीयों को लाखों युआन का भुगतान करने को कहा था। बीच-बचाव करके दोनों भारतीयों को गिरफ्त से आजाद कराने गए बालाचंद्रन को देख चीनी व्यापारी तैश में आ गए और तमाम कायदों को ताक पर रखकर उनसे हाथापाई करने लगे। चोटिल और बेहोश बालाचंद्रन को अस्पताल ले जाया गया।

नई दिल्ली ने घटना की जानकारी होने के बाद, बीजिंग को फोन खड़काया और कहा कि उनके किसी राजनयिक से ऐसा बर्ताव स्वीकार्य नहीं है। भारत के विदेश मंत्रालय ने, बताते हैं, घटना पर कड़ा आक्रोश व्यक्त किया। नई दिल्ली में चीनी राजदूत झांग यू को विदेश मंत्रालय बुलाया गया और मामले पर नाराजगी जाहिर की गई। यू ने बाद में बताया कि घटना को “गंभीर” मानते हुए चीन ने पांच स्थानीय संदिग्धों के खिलाफ आपाराधिक कार्रवाई शुरू कर दी है। यू ने यह भी कहा कि चीन में भारतीय नागरिकों और कारोबारियों की हिफाजत का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।थ्

“घर से निकला तो मारा जाऊंगा”

हक्कानी को तासीरी डर

वाशिंगटन से पिछले दिनों वापस बुला लिए गए पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी को
मौत का डर सता रहा है। वे बेहद सदमे में हैं, भयभीत हैं और अपनी पनाहगाह यानी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के सरकारी घर के दायरे के अंदर जिंदगी की सलामती के लिए दुआएं मांग रहे हैं। ऐसा उन्होंने हाल ही में एक ब्रिटिश अखबार को दिए सा$img_titleक्षात्कार में बताया है। हक्कानी ने मई 2011 में एक अमरीकी फौजी अफसर को गुप्त चिट्ठी लिखकर पाकिस्तान के फौजी हुक्मरानों को काबू करने के लिए मदद मांगी थी। लेकिन चिट्ठी का खुलासा तूल पकड़ गया और पाकिस्तान के कट्टरवादियों के कान खड़े हो गए, हक्कानी को वापस बुलाने की मांग के साथ ही पूरे मामले की शहरी छानबीन कराने का गिलानी पर भारी दबाव डाला गया था। लिहाजा हक्कानी वापस बुला लिए गए और आई.एस.आई. और फौजी कट्टरवादियों से हिफाजत के लिए उन्हें प्रधानमंत्री के ही घर के अंदर पनाह दी गई।

लेकिन लोग उन सलमान तासीर की दिनदहाड़े की गई हत्या को भुला नहीं पाए हैं जिन्हें मजहबी उन्माद में भरकर एक सुरक्षाकर्मी ने ही “कुफ्र” के जुर्म में गोलियों से छलनी कर दिया था। उस हत्यारे को कट्टरवादियों ने मालाएं पहनाई थीं और उसकी वाहवाही की थी। हक्कानी पर भी भौहें तनी हुई हैं। उन्हें लगता है कि पाकिस्तानी मीडिया में उन्हें अमरीका का पिट्ठू और “देशद्रोही” करार दिया जा रहा है, यह बात कुछ ताकतवर लोगों को भड़का रही है। उन्हें डर है कि कहीं उनकी भी गत तासीर जैसी न हो। जबकि हक्कानी की मानें तो, उनके खिलाफ कानूनी तौर पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। उनके अनुसार, गिलानी और राष्ट्रपति जरदारी उनके साथ हैं। वह गिलानी के घर बतौर “मेहमान” रह रहे हैं, जो कि उनके लिहाज से सबसे सुरक्षित पनाहगाह है।थ्

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