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खालिस्तानी आतंकवाद

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Dec 31, 2011, 12:00 am IST
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खालिस्तानी आतंकवाद

दिंनाक: 31 Dec 2011 15:35:10

पाकिस्तान की मदद से फिर सिर उठाने की कोशिश में है

 नरेन्द्र सहगल

अस्सी के दशक में देश के सर्वाधिक सशक्त एवं समृद्ध राज्य पंजाब में जिस पाकिस्तान प्रायोजित हिंसक खालिस्तान आन्दोलन को सुरक्षा बलों ने अनेकविध बलिदान देकर समाप्त कर दिया  था, वही देशद्रोही माहौल पुन: तैयार होता दिखाई दे रहा है। केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा के प्रति उदासीनता  के कारण “बब्बर खालसा इंटरनेशनल” जैसी अलगावादी शक्तियां पाकिस्तानी सरकार, सेना और आई.एस.आई की मदद से फिर सिर उठा रही हैं। यह अलग बात है कि पंजाब की सत्ता पर काबिज अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार की सतर्कता/सजगता की वजह से खालिस्तानी आतंकवादियों को फिलहाल सफलता नहीं मिल रही। परन्तु इस सम्भावित खतरे से आंखें मूंदे रहने की नीति देश की अखण्डता के लिए घातक साबित होगी।

“बी के आई” का पुनर्जन्म

दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान के संरक्षण से पुनर्जीवित हो रहा यह “बी.के.आई.” (बब्बर खालसा इंटरनेशनल) आतंकी संगठन अब दिल्ली-पंजाब सहित पूरे देश में हिंसा फैलाने की फिराक में है। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा 23 दिसम्बर, 2011 को गिरफ्तार आतंकवादी सर्बप्रीत सिंह (31) ने अपनी पूछताछ में इस भारत विरोधी साजिश की जानकारी दी है। पंजाब के रोपड़ जिले का रहने वाला यह आतंकी अपनी फोर्ड आईकान गाड़ी के साथ दिल्ली के शालीमार बाग इलाके से पकड़ा गया है। इसके ठिकाने की सूचना पंजाब पुलिस के खुफिया विभाग ने दिल्ली पुलिस के खुफिया विभाग एवं अपराध शाखा को दी थी।

पकड़े गए सर्बप्रीत सिंह की निशानदेही पर दिल्ली एवं पंजाब पुलिस ने एक संयुक्त अभियान के माध्यम से इसके दूसरे साथी आतंकी सरगना जसविंदर सिंह को पंजाब के आनंदपुर साहिब नामक प्रसिद्ध सिख तीर्थस्थल से दबोच लिया। यह दोनों खतरनाक अपराधी दिल्ली और पंजाब में कई बड़े राजनीतिक एवं धार्मिक नेताओं की हत्या करने के उद्देश्य से अनेक महत्वपूर्ण स्थानों की रेकी भी कर चुके थे। इनके कब्जे से लैपटाप, पैन ड्राइव, मोबाइल फोन के साथ भारी मात्रा में हथियार एवं विस्फोटक पदार्थ बरामद हुए हैं। दोनों से गहरी पूछताछ की जा रही है।

हत्याओं की साजिश बेनकाब

दिल्ली पुलिस की अपराध साखा के उपायुक्त अशोक चांद के अनुसार सर्बप्रीत सिंह और जसविंदर सिंह दोनों खालिस्तानी आतंकी हांगकांग में रह रहे खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता और बी.के.आई. के सुप्रीम कमांडर रंधावा सिंह के नियमित संपर्क में हैं। इनके एक साथी कुलबीर सिंह ने विस्फोटक पदार्थ, हथियार एवं नकली करंसी की व्यवस्था की है। पकड़े गए सर्बप्रीत सिंह का कुलबीर सिंह से पहला परिचय सन् 2001 में हांगकांग में हुआ था। तभी यह बी.के.आई. के खास युवाओं को एकत्रित करने के काम में सक्रिय था। अब यह “इंटरोगेशन सेंटर” में है।

अपराध शाखा के अधिकारियों को मिली सनसनीखेज जानकारी के अनुसार “बब्बर खालसा इंटरनेशनल” की ओर से सर्बप्रीत को कुछ विशेष राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हस्तियों को मारने का जिम्मा सौंपा गया था। इनमें बनिहारा (पंजाब) के डेरा प्रमुख बाबा प्यारा सिंह, सिरसा (हरियाणा) के डेरा सच्चा सौदा के मुखिया संत बाबा राम रहीम सिंह और दिव्य जागृति संस्थान के संस्थापक स्वामी आशुतोष जी महाराज शामिल हैं। सर्बप्रीत ने कुछ राजनीतिक नेताओं की “हिट लिस्ट” का खुलासा भी किया है।

खालिस्तानियों को पाक में शरण

उल्लेखनीय है कि पंजाब में निरंतर 13 वर्षों तक खालिस्तान के नाम पर हिंसक आतंक का संचालन करने वाले “बब्बर खालसा इंटरनेशनल” को पंजाब के तत्कालीन डी.आई.जी (अब सेवानिवृत्त) सरदार के.पी.एस. गिल के नेतृत्व में हुई कार्रवाई के दौरान पंजाब पुलिस ने धूल चटा दी थी। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आई. एस. आई. की संतान इस आतंकी संगठन और इसका पाकिस्तान-निर्धारित उद्देश्य “खालिस्तान” दोनों ने दम तोड़ दिया था? अधिकांश आतंकी कमाण्डर मारे गए, अनेकों ने समर्पण कर दिया और कई विदेश विशेषतया पाकिस्तान भागने में सफल हो गए।

पाकिस्तान की सरकारों एवं सेना ने इन खालिस्तानियों को शरण, सुरक्षा और सहायता देने में सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय कानूनों को ताक पर रख दिया। खालिस्तान और खालसा पंथ के नाम पर भारत को तोड़ने के अपने षड्यंत्र में पूरी तरह विफल हो जाने के बाद पाकिस्तान को इन भगोड़े परन्तु जुनूनी युवकों पर पूरा भरोसा है कि वे उसके भारत विरोधी मन्सूबों को पूरा करेंगे। जबकि वास्तविकता यह है कि पहले पंजाब और बाद में कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के गैरइन्सानी धंधे में पाकिस्तान बुरी तरह पिट चुका है और पिट रहा है। परन्तु भारत को तोड़ने की पाकिस्तानी मंशा ने अभी भी दम नहीं तोड़ा है।

विदेश में “बी.के.आई.” का विस्तार

पाकिस्तान के धन और हथियारों की मदद से “बब्बर खालसा इंटरनेशनल” ने अपना विस्तार कई देशों तक कर लिया है। पाकिस्तान की ही तरह अरब जगत के कई मुस्लिम देशों से इस संगठन को सहायता मिल रही है। पाकिस्तान में शरण लेने वाले खालिस्तानी आतंकी कमांडर रणजीत सिंह उर्फ नीटा द्वारा स्थापित “खालिस्तानी जिंदाबाद फोर्स” नामक संगठन का तालमेल भी “बब्बर खालसा “इंटरनेशनल” के साथ बना हुआ है। यह सभी सिख युवक दम तोड़ चुकी खालिस्तानी मुहिम को जिंदा करने में जुटे हैं।

पाकिस्तान समेत अनेक देशों में शरण लिए हुए यह खालिस्तान समर्थक अब दिल्ली में अपना आधार तैयार कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के उपायुक्त अशोक चांद कहते हैं कि “बब्बर खालसा इंटरनेशनल” पूरे जोश से वापसी की तैयारी में है। लेकिन उसकी मंशा अब खालिस्तानी आन्दोलन के बदले भारत में सीधे तौर पर आतंकी गतिविधियां बढ़ाने की है। इसके लिए आई.एस.आई. इस संगठन के संचालकों को भारी आर्थिक सहायता दे रही है। इस धन से नए आतंकियों की भर्ती की जाती है और अत्याधुनिक हथियार एवं विस्फोटक पदार्थ जुटाए जाते हैं।”

पाकिस्तान का आतंकवादी चेहरा

यह भी एक सच्चाई है कि इस समय विश्व जनमत पाकिस्तान में संरक्षण और प्रशिक्षण ले रहे आतंकी संगठनों और इनका आका आई.एस.आई. के खिलाफ एकजुट हो रहा है। अलकायदा, लश्करे तोयबा, जैशे मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन, अलबदर, हरकत उल मुजाहिद्दीन, जिहाद काउंसिल, जमात-उद-दावा जैसे अन्तरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की धरती पर पाला-पोसा जा रहा है।

पाकिस्तान का यह आतंकवादी चेहरा सारे संसार के सामने नंगा हो चुका है। अब तो आई.एस.आई ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए बब्बर आतंकवादियों को संगठित करने का अत्यंत जघन्य और खतरनाक खेल खेलना शुरू कर दिया है। दुनिया के सामने पाकिस्तान कितना भी सभ्य और शरीफ बनने की कोशिश करे, परन्तु उसकी सभ्यता एवं शराफत की धज्जियां उसके यहां पल रहे आतंकी संगठनों के कुकृत्यों से ही उड़             रही हैं।

पाकिस्तान की भीतरी परिस्थितियां खस्ता हो चुकी हैं। इस्लाम के नाम पर संसार को हिंसा की आग में धकेलने पर उतरे इस्लामाबाद में सत्ता के गलियारों और सैन्य तंत्र में पहले से चली आ रही परम्परागत दूरियों का आकार और भी ज्यादा गहरा हो गया है। पाकिस्तान सरकार और वहां के रक्षा मंत्रालय का सेना और आई.एस.आई. पर कोई नियंत्रण नहीं है, उलटा इन दोनों का शिकंजा वहां की सरकार पर कसता जा रहा है।

अपराधियों की आतंकी संगठन में भर्ती

पाकिस्तान सरकार सेना प्रमुख जनरल अशफाक कयानी और आई.एस.आई. के प्रमुख शुजा पाशा को बर्खास्त करने की फिराक में है और उधर सैन्याधिकारी परम्परागत इतिहास दुहराने का मौका तलाश रहे हैं। ऐसा समाचार कभी भी आ सकता है कि सेना ने पाकिस्तान की सत्ता हस्तगत करके राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को देश निकाला दे दिया है। सभी जानते हैं कि पाकिस्तानी सेना और आई.एस.आई. भारत के साथ सुलह सफाई नहीं चाहते। आतंकी घुसपैठ करवा कर भारत में आतंकी हिंसा जारी रखना पाकिस्तान की सैन्य विदेश नीति का आवश्यक हिस्सा है।

यही वजह है कि पंजाब में एक बार वहां की जनता, पुलिस और सुरक्षा बलों के हाथों पिट चुके “बब्बर खालसा इन्टरनेशनल” को पुन: मजबूती के साथ खड़ा करने के लिए पाकिस्तान की सेना और आई.एस.आई. ने कमर कसी है। उधर बब्बर आतंकी कमांडरों के सामने भर्ती की समस्या खड़ी हो रही है। मात्र खालसा पंथ और खालिस्तान के नाम पर सिख युवक आकर्षित नहीं हो रहे। अब बब्बर खालसा ने आपराधिक प्रवृत्ति वाले युवाओं एवं जरूरतमंद गरीबों की भर्ती प्रारम्भ की है। यह सारा अभियान पाकिस्तान के धन से चलेगा। इसका सबूत है दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार सर्बप्रीत सिंह और जसविंदर सिंह। यह दोनों युवक पहले भी 2003 और 2009 में हत्या एवं नशीली दवाओं की तस्करी में पकड़े जा चुके हैं।

हरकत में आए केन्द्र सरकार

पुन: जीवित हो रही इस अंतरराष्ट्रीय स्तर की आतंकी शक्ति को प्रारम्भ में ही दबा देने की आवश्यकता है। अमरीका, इंग्लैण्ड और कनाडा में “बब्बर खालसा इंटरनेशनल” को आतंकवादी संगठन घोषित करके इसे गैरकानूनी करार दे दिया गया है। परन्तु पाकिस्तान को एक शक्तिशाली एटमी इस्लामिक मुल्क मानने वाले अरब देशों में इस संगठन का दायरा बढ़ने की पूरी सम्भावनाएं मौजूद हैं।

पिछले दिनों ऐसे भी समाचार आए थे कि “बब्बर खालसा इंटरनेशनल”, पाकिस्तान स्थित खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों का गठजोड़ आई.एस.आई की रहनुमाई में अस्तित्व में आ चुका है। पंजाब में फिर “आजाद-खालिस्तान” के लिए हिंसक आन्दोलन “आजाद-कश्मीर” की तर्ज पर चलाने की भूमिगत तैयारियां चल रही हैं। इस आग की लपटें हरियाणा व दिल्ली के साथ पूरे देश में फैल सकती हैं।

दिल्ली और पंजाब पुलिस ने अपनी संयुक्त कार्रवाई में भविष्य की गोद में पनाह ले रहे इस खतरनाक आतंकी “माड्यूल” को तोड़ने अथवा पकड़ने में अद्भुत सफलता अर्जित की है। यह दोंनों पुलिस बल, खासतौर पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा बधाई की पात्र है। अब केन्द्र सरकार को तुरन्त सतर्क होकर हरकत में आना चाहिए।द

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