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*आलोक गोस्वामी
किम जोंग के बाद किम उन
शनिवार (17 दिसम्बर) को एक रेल यात्रा के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उत्तरी कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग द्वितीय की मृत्यु हुई, पर देश-दुनिया को इसकी खबर दो दिन बाद सोमवार, 19 दिसम्बर को ही लग पाई। सिवाय निकटतम दायरे के कुछ कामरेडों को छोड़कर किम के जाने की भनक दो दिन तक देश को लगने ही नहीं दी गई। इस बीच तख्त और ताज सिधारे नेता के बेटे किम जोंग उन को देने की तैयारी करने के बाद ही सरकारी मीडिया ने मृत्यु की खबर जारी की। उत्तर कोरिया के “सुप्रीम नेता” ने तानाशाही और हेकड़ी भरे स्वभाव की ऐसी मिसालें गढ़ी थीं कि गद्दाफी भी फीका पड़ जाए। उनकी मृत्यु के बाद पड़ोसी और खांटी दुश्मन दक्षिण कोरिया ने दोनों देशों के बीच दुनिया में सबसे ज्यादा पहरेदारी वाली सीमा पर चौकसी बढ़ा दी। इस घटना पर जहां चीन ने उत्तर कोरिया से हमदर्दी जताई, वहीं अमरीका सहित कई पश्चिमी देश चोरी छुपे परमाणु हथियार बनाने की तैयारी में जुटे रहे उत्तर कोरिया के सर्वोच्च कामरेड नेता की मृत्यु के बाद बनने वाली परिस्थितियों पर पैनी निगाह रखे हुए हैं।थ्
नितिन के हत्यारे किशोर को
13 साल की जेल
पिछले साल आस्ट्रेलिया में वहां रह रहे भारतीयों पर एक के बाद एक हिंसक हमलों की लहर सी चली थी। मेलबोर्न, सिडनी, पर्थ जैसे बड़े शहरों में सालों से बसे भारतीय परिवार सहमे हुए थे, वहां पढ़ने गए भारतीय छात्र डर हुए थे, क्योंकि उन हमलों के पीछे नस्लीय दुर्भावना की गंध आ रही थी। उसी दौरान जनवरी, 2010 में 21 साल के नितिन गर्ग की एक पार्क में उस समय हत्या कर दी गई थी जब वह काम पर जा रहा था। हत्यारे का सुराग नहीं मिला था। लेकिन बाद में गवाहों की तहकीकात के बाद 15 साल के एक किशोर को पकड़ा गया। अभी 22 दिसम्बर को वहां की एक अदालत ने उस किशोर को 13 साल कैद की सजा सुनाई। जज ने उसे आवेश में की गई हत्या बताते हुए इसमें नस्लीय दुर्भावना से इनकार किया। किशोर होने के कारण उस अपराधी का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। वह किशोर अपने कुछ दोस्तों के साथ पार्क में था जब नितिन मोबाइल फोन पर बतियाता हुआ वहां से गुजरा। उस लड़के का एक दोस्त नितिन के मोबाइल को देख ललचा गया था। बस, उसी मोबाइल को छीनने के चक्कर में अपराधी किशोर ने चाकू चला दिया था और होनहार नितिन के प्राण निकल गए। थ्
“पकड़ो उपराष्ट्रपति को”
इराकी उच्च न्यायालय ने देश के उपराष्ट्रपति तारिक अल-हाशिमी को आतंकवाद का दोषी मानते हुए उनकी गिरफ्तारी के आदेश जारी किए हैं। देश के बड़े वाले सुन्नी नेता हाशिमी पर आरोप है कि उनके ऐसे आतंकवादी संगठनों से संबंध हैं जिन्होंने बड़े अधिकारियों की हत्या की योजनाएं बनाई थीं। इराक में शिया-सुन्नी राजनीतिक नेतृत्व अरसे से एक दूसरे के खिलाफ खम ठोककर खड़ा है और दोनों ताक में रहते हैं कि सामने वाले का पलड़ा हल्का हो तो दांव चल दें। अभी पिछले ही दिनों इराक से अमरीकी सेना की वापसी हुई है, ऐसे में दोनों गुटों के बीच रस्साकशी बढ़ने के आसार हैं। प्रधानमंत्री नूरी अल-मालिकी ने, जो शिया हैं, शिया बहुल संसद का सत्र बुलाकर उपप्रधानमंत्री सालिह अल-मुतलक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। बहरहाल 19 दिसंबर को इराक के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने एक प्रेस कांफ्रेंस में हाशिमी के तीन पहरुओं का कथित इकबालिया बयान जारी किया, जिन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति ने सरकारी अधिकारियों और ऊंचे पद के अफसरों का काम तमाम करने के लिए पैसे दिए थे। थ्
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