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Dec 3, 2011, 12:00 am IST
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पाठकीय

दिंनाक: 03 Dec 2011 14:49:58

 

मणिपुर में मनमानी

 13 नवम्बर,2011

आवरण कथा के अन्तर्गत श्री बासुदेब पाल की रपट 'मणिपुर में उबाल' से केन्द्र सरकार की लापरवाही उजागर होती है। मणिपुर जैसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रान्त की समस्या को सुलझाने में सरकार को 92 दिन कैसे लग गए? इस घटनाक्रम से यह बात साफ हो रही है कि केन्द्र सरकार में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता का अभाव है। इतनी निर्बल सरकार इस देश में कभी नहीं         रही है।

–मृत्युंजय दीक्षित

123, फतेहगंज, गल्ला मण्डी

लखनऊ-226018 (उ.प्र.)

n यूनाइटेड नागा काउंसिल की जबरन नाकेबंदी से मणिपुर में जन-जीवन तीन महीने से भी ज्यादा प्रभावित रहा। इसका मतलब है कि मणिपुर में सरकार की नहीं चलती है, बल्कि अलगाववादी संगठनों की तूती बोलती है। ऐसा क्यों हो रहा है, इस पर भारत सरकार को बड़ी गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए। आखिर अलगाववादी इतने मजबूत क्यों हो रहे हैं, उन्हें कौन हथियार और पैसा उपलब्ध करा रहा है?

–मनीष कुमार

तिलकामांझी, भागलपुर (बिहार)

ओछी मानिसकता से ग्रस्त कांग्रेस

चर्चा सत्र में श्री राजनाथ सिंह 'सूर्य' के सामयिक आलेख 'कांग्रेस के समाज-बांटो षड्यंत्र से सावधान' में बिल्कुल ठीक कहा गया है कि 'कांग्रेस राजनीतिक कारणों से अपनी सरकारों द्वारा मुसलमानों में पृथकता की भावना को बनाए रखने का कोई भी अवसर हाथ से जाने नहीं देती है', जो देश के विनाश का द्योतक है। इसका ज्वलंत प्रमाण है कि यदि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुस्लिम वोटों को आकर्षित करने की गरज से देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का बताते हैं तो उनके सिपहसालार दिग्विजय सिंह दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी ओसामा बिन लादेन को 'ओसाम जी' कहकर मुस्लिम वोटों की तिजारत करते हैं।

–आर.सी. गुप्ता

द्वितीय ए-201, नेहरू नगर

गजियाबाद-201001 (उ.प्र.)

राष्ट्रभक्त मुसलमान सोचें

श्री नरेन्द्र सहगल ने अपने लेख 'मुसलमानों की तरक्की में बाधक है मुस्लिम वोट बैंक' में सही कहा है कि राष्ट्रभक्त मुसलमानों को मुस्लिम समाज के कुछ कट्टरवादी पीछे धकेल देते हैं। कभी वे फतवा जारी करते हैं, तो कभी मुस्लिम समाज की भावनाओं को भड़काने का काम करते हैं। लेकिन यह तो उन राष्ट्रभक्त मुसलमानों को सोचना है कि वे किस प्रकार से बेबुनियाद फतवों को छोड़कर राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं। अल्पसंख्यक के नाम पर मुस्लिमों को बहुत सारी सुविधाएं मिल रही हैं। किन्तु जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक भी नहीं माना जा         रहा है।

–वीरेन्द्र सिंह जरयाल

28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर

दिल्ली-110051

सुनो इमरान

पाकिस्तान में क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान के जहरीले भाषणों पर श्री मुजफ्फर हुसैन का आलेख अच्छा लगा। इमरान खान को कश्मीर की चिन्ता छोड़कर सिंध और बलूचिस्तान के लोगों के हितों पर ध्यान देना चाहिए जहां निर्दोषों की हत्या आम बात है। कश्मीर के हालात ठीक हो जाएंगे, बशर्ते इमरान जैसे लोग जहरीले बयान न दें।

–बी.एल. सचदेवा

263, आई.एन.ए. मार्केट

नई दिल्ली-110023

खतरे में देश की सुरक्षा

श्री अरुण कुमार सिंह की रपट 'विदेशी घुसपैठिए भी बन जाएंगे भारत के नागरिक' में वर्तमान राष्ट्रीय परिस्थिति की एक कटु सत्यता दिखती है। भारत में करोड़ों विदेशी घुसपैठिए रह रहे हैं। वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेता इन घुसपैठियों को बाहर नहीं करना चाहते हैं। इसलिए षड्यंत्रपूर्वक वे लोग यहां के नागरिक बन रहे हैं। मुसलमानों में परिवार नियोजन जैसी बात है ही नहीं। इस कारण हिन्दुओं के मुकाबले मुस्लिमों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में एक दिन भारत में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। इसलिए परिवार नियोजन का कानून हर सम्प्रदाय पर लागू हो।

–पारुल शर्मा

36, तीरथ कालोनी, हर्रावाला

देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)

n भारत में रह रहे बंगलादेशी घुसपैठियों का आधार-कार्ड बनाना देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के समान है। ऐसे लोगों के पहले से ही राशनकार्ड बने हुए हैं। इस हालत में देश की सुरक्षा का क्या होगा? सरकार से निवेदन है कि  वह फर्जी राशनकार्ड और आधार-कार्ड बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे।

–देशबन्धु

आर.जेड-127, सन्तोष पार्क

उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059

n सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस गन्दे से गन्दा काम करना 'कर्तव्य' समझती है। विदेशी घुसपैठियों को आधार-कार्ड बनाकर देना भी कांग्रेस का एक गन्दा कार्य है। यह देश बचेगा कैसे?

–प्रमोद प्रभाकर वालसांगकर

1-10-81, रोड न. 8 बी द्वारकापुरम, दिलसुखनगर

हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)

 

हिन्दू विचार से मिटेगा भ्रष्टाचार

पिछले दिनों रांची में 'महात्मा गांधी और हिन्दुत्व' स्मारिका का लोकार्पण करते हुए डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, 'गांधी के नाम पर नकली गांधी देश पर शासन कर रहे हैं।' इस स्पष्टवादिता के लिए उन्हें धन्यवाद। आज देश में गांधी जी के विचारों पर चलने वाला कोई संगठन है तो वह है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। इसके स्वयंसेवक स्वदेशी, स्वभाषा, ग्राम विकास आदि के लिए कार्य कर रहे हैं। गांधी जी भी यही चाहते थे।

–काली मोहन सिंह

गायत्री मन्दिर, मंगलबाग, आरा, भोजपुर (बिहार)

n डा. स्वामी के कथन में सच्चाई है कि आज हिन्दू तो हैं पर हिन्दुत्व के गुण कहीं गौण हो गए हैं। भौतिकवाद ने चौतरफा बुरा प्रभाव डाला है। भारत अगर गांधी जी के प्रति ईमानदार होता तो हिन्दुत्व का वर्चस्व दुनिया पर होने को होता। नकली गांधी ही प्रभावशाली बनने की होड़ में हैं।

–क्षत्रिय देवलाल

उज्जैन कुटीर, अड्डी  बंगला, झुमरी तलैया

कोडरमा-825409 (झारखण्ड)

n 'हिन्दू विचार से मिटेगा भ्रष्टाचार'- यह वाक्य अक्षरश: सत्य है। हमारे पूर्वज दस नाखूनों की कमाई को सही मानते थे। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को महत्व देते थे। इस कारण यह परम्परा थी कि दूसरे का धन पाप का धन है, उसे स्वीकार नहीं किया जाता था। परन्तु जब विदेशी भारत आए तो उन्होंने लोभ-लालच देकर हमें भ्रष्ट कर दिया और वे अपना स्वार्थ साधते चले गए।

–लक्ष्मी चन्द

गांव–बांध, डाक–भावगढ़ी

जिला–सोलन-173233 (हि.प्र.)

सराहनीय स्तम्भ

स्वास्थ्य स्तम्भ में डा. हर्षवर्धन के लेख बड़े उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। आज आम आदमी को स्वास्थ्य के बारे में सही सलाह नहीं मिल पाती है। इस स्तम्भ से पाञ्चजन्य के पाठक अवश्य लाभान्वित होंगे।

–रतनलाल अग्रवाल

के-56, महावीर नगर, अयप्पा मन्दिर के पास दुर्गापुर, जयपुर-302018 (राज.)

n स्वास्थ्य स्तम्भ में पाठकों के स्वास्थ्य संबंधी प्रश्नों के उत्तर भी दिए जाएं। लोगों को बड़ा फायदा होगा।

–लक्ष्मी चन्द

सरस्वती मार्ग, अजमेरी गेट

जयपुर-302030 (राज.)

हमारी चिन्ता दूर करें

हमारे प्रधानमंत्री सदैव अंग्रेजी ही बोलते हैं। इस कारण देश के 98 प्रतिशत लोग यह समझ नहीं पाते हैं कि ये क्या बोलते हैं। यदि वे हिन्दी बोलेंगे तो देश के लोगों से सीधे जुड़ जाएंगे। अभी तो वे समाचार माध्यमों से जनता से जुड़ते हैं। उनके भाषणों को न समझने से हम जैसे लोग परेशान और दु:खी रहते हैं। हमारी चिन्ता का भी समाधान होना आवश्यक है। प्रधानमंत्री जी अंग्रेजी में कहते हैं हिन्दुस्थान पर अंग्रेजी राज बहुत अच्छा था, देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है, आतंकवादियों को पालने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी को 'शान्ति पुरुष' कहते हैं। यही बातें हमारी चिन्ता को बढ़ाती हैं। यदि प्रधानमंत्री हमारी चिन्ता को हिन्दी में दूर करें, तो हमें अच्छा लगेगा।

–शान्ति स्वरूप सूरी

365/1, नेहरू मार्ग, झांसी (उ.प्र.)

आरक्षण आर्थिक आधार पर हो

हमारा संविधान भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के अभ्युदय के लिए पूरी तरह असमर्थ है। इसके मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद में भी नागरिकों के समान अधिकार की स्वीकृति है। परन्तु यही संविधान 'आरक्षण' के जरिये विभाजन स्वीकार करता है। सन् 1932 में तत्कालीन बंबई के गवर्नर रोडिक्स ने तत्कालीन गवर्नर जनरल वेलिंगटन को लिखा था कि उपनिवेश की स्थिरता के लिए आवश्यक है कि हिन्दू समाज के निचले वर्ग को 'दलित' के नाम से अलग कर दिया जाये। 'आरक्षण' इसी चिंतन का प्रतिफल है। इस्लाम और अंग्रेजी शासन के एक हजार साल में ब्राह्मण- हरिजन सभी समान रूप से पददलित थे। इसलिए आरक्षण केवल आर्थिक आधार पर होना चाहिए, जाति-मजहब के नाम पर नहीं। इससे गरीब मुसलमान भी सहज रूप में आगे बढ़ेंगे। सभी दलों के विचारवान लोगों को इस पर समान रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।

–डा. प्रणव कुमार बनर्जी

पेंड्रा, बिलासपुर (छ.ग.)

प्रधानमंत्री से निवेदन

किसी भी देश में ऐतिहासिक-पौराणिक पर्यटन स्थल, जो उस देश की सभ्यता-संस्कृति की छटा बिखेरते हों, सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र होते हैं। परन्तु ऐसा लगता है कि हमारी सरकार की सोच इससे एकदम अलग है। अभी हाल ही में देश में पर्यटन के विकास के लिए प्रधानमंत्री ने 14 मंत्रालयों की एक समिति का गठन किया है। इसमें सड़क परिवहन, रेल, उड्डयन, शहरी विकास  आदि मंत्रालय हैं। परन्तु पर्यटन के विकास के लिए जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मंत्रालय है वह है संस्कृति मंत्रालय और दुर्भाग्य से प्रधानमंत्री ने इसे उस समिति से अलग ही रखा है। सरकार ने ऐसा क्यों किया? यह समझ से परे है। यह तो सीधे-सीधे देश की संस्कृति के साथ अन्याय और देश के साथ धोखा है। यह सच है कि देश का आर्थिक विकास आवश्यक है। परन्तु इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि विकास के नाम पर देश की संस्कृति और पुरातत्व विभाग के महत्व को नकार दिया जाए। देश की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता देश की पहचान होती है और देश की पहचान को छुपा कर किया जाने वाला विकास कार्य अस्थायी होता है, अलाभकारी होता है। अगर ऐसे किसी पर्यटन स्थल , जो देश की सभ्यता और संस्कृति से अनजान हो, पर विदेशी पर्यटक आते हैं, तो उनके मन में हमारे देश की छवि नकारात्मक ही बनेगी, सकारात्मक नहीं। प्रधानमंत्री से मेरा निवेदन है कि अगर गलती से संस्कृति मंत्रालय उस समिति से छूट गया है तो तुरंत उस गलती को सुधारें। यदि ऐसा जानबूझ कर किया गया है तो इसकी जितनी निंदा की जाए कम है।

–राजेन्द्र गोयल

बल्लभगढ़, फरीदाबाद (हरियाणा)

 

पञ्चांग

वि.सं.2068   तिथि   वार    ई. सन् 2011

पौष कृष्ण   1   रवि  11 दिसम्बर, 2011

”     ”        2   सोम 12     ”    “

”     ”        3   मंगल       13    ”     “

”     ”        4   बुध  14    ”     “

”     ”        5   गुरु  15    ”     “

”     ”        6   शुक्र  16     ”     “

”     ”        7   शनि 17    ”     “

 

अब खुदरा व्यापार पर, संकट घिरा अपार

पर मस्ती में चूर है, भारत की सरकार।

भारत की सरकार, भाड़ में जनता जाए

मगर विदेशी आकाओं पर आंच न आए।

कह 'प्रशांत' मैडम इटली को सिर बैठाना

कितना भारी पड़ा, देश ने अब है जाना।।   

-प्रशांत

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