वामपंथियों का दोमुंहापन
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

वामपंथियों का दोमुंहापन

by
Nov 25, 2011, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पाठकीय

दिंनाक: 25 Nov 2011 17:39:41

पाठकीय

अंक-सन्दर्भ 6 नवम्बर,2011

हिन्दुस्थान में प्रसिद्धि पाने के लिए हिन्दुओं को गाली देकर सेकुलर की उपाधि लेने का एक सिलसिला चल पड़ा है। सेकुलर बनने के इस संक्रमणकारी रोग ने ऐसा प्रभाव दिखाया है कि इस नाम पर विदेशों से पुरस्कार और धन लेने की होड़ सी मच गयी है। हाल के दिनों में नक्सलियों और माओवादियों के संरक्षक वामपंथी दलों के कुछ पिट्ठू संगठनों द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग से रामानुजम के घृणित लेख हटाये जाने पर विरोध करना इसी रोग का एक लक्षण है। सेकुलर बनने की छटपटाहट में भगवान राम और माता सीता के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़े किये जा रहे हैं। यह विरोध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को सादे चेक की तरह इस्तेमाल कर भारत के स्थापित मूल्यों व मान्यताओं पर लगातार हमले किये जाने के इतिहास की एक कड़ी है। देशद्रोहियों व विदेशी ताकतों के पैसे से पलने वाले इन भाड़े के टट्टुओं की सक्रियता से दिल्ली विश्वविद्यालय का माहौल जेएनयू की तरह प्रदूषित हो रहा है। अपने को महान बुद्धिजीवी समझने वाले इन तथाकथित इतिहासकारों ने दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद् के 120 सदस्यों में से 111 सदस्यों के निर्णय का मजाक उड़ाते हुए परिषद् को कठपुतली कहा और पूरी निर्णय प्रक्रिया को कठघरे में रखने की कोशिश करते हुए इस फैसले को अलोकतांत्रिक, गैर अकादमिक बताया। लेकिन जनभावनाओं का सम्मान करते हुए और विद्यार्थियों के मनमस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए लेख हटाने का जो फैसला लिया गया है, वह न केवल तर्कसंगत है, बल्कि संवैधानिक दृष्टि से भी बिलकुल सही फैसला है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। धार्मिक सौहार्द में खलल उत्पन्न करने वाले, अश्लील बातों से भरे, धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचाने वाले और समाज में शत्रुता व घृणा पैदा करने की आशंका वाले इस लेख को हटाना जरूरी भी था, क्योंकि भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 153 (क), 292, 295 (क) और 505 के अंतर्गत विवादास्पद लेख पाठ्यक्रम में शामिल करके पढ़ाना भारतीय संविधान का उल्लंघन है। बुद्धिजीविता का ढोंग रचकर ये लोग भारतीय इतिहास के महानायक, महान योद्धा, धर्म और सत्य के रक्षक भगवान राम का अपमान कर रहे हैं, वह कैसे करोड़ों हिन्दुओं को स्वीकार्य होगा।

सोच, विचार व चिंतन की कमी वाले लेखों को इतिहास का अंग बताने वाले ये लोग कल्पनाओं के आधार पर इतिहास लिखने की वकालत करते हैं, जिसका एकमात्र मकसद स्थापित मान्यताओं को समाप्त कर अपसंस्कृति और अनास्था पर आधारित इतिहास लिखना है। तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने वाले व अश्लील कथाओं को भी इतिहास में पढ़ाने के समर्थक इन तथाकथित बुद्धिजीवियों और इतिहासकारों के गिरोह का भारत विरोधी एजेंडा पुराना है। समझ से बाहर की चीज है कि भगवान राम जनवादी और गरीबों के प्रति तथाकथित जवाबदेह राजनीति के मार्ग में कहां बाधा उत्पन्न करते हैं? राम तो सर्वव्यापी थे इसलिए सभी जगहों पर पहुंचे। सभी ने उन्हें अपनी सोच व परिवेश के अनुसार ढाला। कुछ ने मनोरंजन के लिए रामकथा अपनाई, तो कुछ ने नैतिक आदर्श के रूप में मार्गदर्शन देने वाले चरित्र के रूप में। देश की बहुसंख्यक जनता की मान्यताओं की धज्जियां उड़ाते इस लेख को पाठ्यक्रम से हटाये जाने पर बवाल मचाना वामपंथियों के ऐतिहासिक दोगलेपन को दर्शाता है।

-अभिषेक रंजन

बी-50, क्रिश्चियन कालोनी  समीप पटेल चेस्ट, नई दिल्ली-110007

सेना के बिना शान्ति कहां?

सम्पादकीय “कश्मीर में राजनीतिक खेल” से जम्मू-कश्मीर सरकार की वोट बैंक राजनीति का एक सच और सामने आया। कश्मीर घाटी से सुरक्षा बल विशेषाधिकार कानून को वापस लेने की कोशिश करना आतंकवादी संगठनों, देशद्रोहियों और अलगाववादियों को अपनी गतिविधियों को तेज करने हेतु खुला अवसर देना है। जम्मू-कश्मीर सरकार प्रदेश की विभिन्न समस्याओं को गंभीरता से न लेकर उन्हें वोट बैंक की चुनावी राजनीति के तौर पर देखती है।

-निमित जायसवाल “अन्नू वैश्य”

ग-39, ई.डब्लू.एस., रामगंगा विहार, फेस प्रथम मुरादाबाद (उ.प्र.)

द सुरक्षा बल विशेषाधिकार कानून के बल पर ही सेना कश्मीर घाटी में आतंकवादियों से जूझ रही है। यह कानून सेना को शक के आधार पर किसी घर की तलाशी लेने, लोगों से पूछताछ करने, आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए किसी क्षेत्र विशेष को अपने अधिकार में लेने आदि की इजाजत देता है। अगर यह कानून हटा लिया गया तो सेना एक तरह से निहत्थी हो जाएगी।

-मनीष कुमार

तिलकामांझी, भागलपुर (बिहार)

द कश्मीर से सुरक्षा बल विशेषाधिकार कानून तब तक नहीं हटाया जाना चाहिए जब तक कि विस्थापित कश्मीरी हिन्दू कश्मीर के अपने पुश्तैनी मकानों में न रहने लगें। ऐसा होगा तभी कहा जा सकता है कि कश्मीर से आतंकवाद समाप्त हो गया। श्रीनगर में सैलानियों की बढ़ती संख्या आतंकवाद की समाप्ति की सूचक नहीं है। इसी सेना के संरक्षण में सैलानियों को घुमाया जाता है।

-विजय मण्डल

शिवाजी नगर, वाडा, जिला-थाणे (महाराष्ट्र)

लें भीष्म प्रतिज्ञा

श्री नरेन्द्र सहगल का आलेख “कश्मीर को बचाने के लिए करना होगा प्रचण्ड जनान्दोलन” आज समय की पुकार है। यदि सरकारों और राजनेताओं के सहारे चलते रहे तो न आतंकवाद समाप्त होगा और न ही घुसपैठ समाप्त होगी। सरकारों की नींद तभी खुलती है जब लोग संघर्ष करके आन्दोलन खड़ा करते हैं। यदि अमरनाथ यात्रा के लिए संघर्ष न होता तो वह यात्रा आज बन्द हो गई होती।

-लक्ष्मी चन्द

गांव-बांध, डाक-भावगड़ी, जिला- सोलन (हि.प्र.)

द वास्तव में हमारे देश की तथाकथित पंथनिरपेक्ष सरकारें वोट बैंक के लिए कश्मीर को उसके हाल पर छोड़ रही हैं और इसी का भरपूर लाभ पाकिस्तान, अलगाववादी व आतंकवादी उठा रहे हैं। कश्मीर का मुद्दा हमारे लिए अहम होना चाहिए। किसी भी हालत में कश्मीर की रक्षा की जाए।

-वीरेन्द्र सिंह जरयाल

28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर दिल्ली-110051

द कश्मीर समस्या को सदा-सदा के लिए हल करना ही होगा। जन-प्रतिकार का बिगुल अब बजना ही चाहिए। राष्ट्रभक्तों के लिए यह संकल्प लेने का समय आ गया है कि जब तक कश्मीरी हिन्दू अपने घरों को लौट नहीं जाते हैं तब तक वे चैन से न बैठेंगे। हमें भीष्म प्रतिज्ञा करनी ही होगी।

-क्षत्रिय देवलाल

उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया

कोडरमा-825409 (झारखण्ड)

लुप्त होती कल्याण भावना

आवरण कथा के अन्तर्गत कमलेश सिंह की रपट “सोनिया की मनमोहन सरकार कर रही है देश का बेड़ा गर्क” चिन्ता पैदा करती है। यह समझ नहीं आता कि जब सरकार की सारी जरूरतें पूरी हो रही हैं, तो आम आदमी की जरूरतें पूरी क्यों नहीं होती हैं? सरकार चलाने वाले शायद यह भूल गए हैं कि प्रजातंत्र में प्रजा का कल्याण ही सर्वोपरि है। पहले प्रजा-हित, बाद में स्वहित। संविधान में कहा गया है कि भारत एक लोककल्याणकारी राज्य है। किन्तु कल्याण की यह भावना ही लुप्त होती जा रही है।

-दयाशंकर मिश्र

सेवाधाम विद्या मन्दिर, मण्डोली, दिल्ली-91

रेल के साथ घटिया राजनीति

श्री अरुण कुमार सिंह की रपट “राजनीति ने बिगाड़ा रेल का खेल” बताती है कि रेल का दुरुपयोग राजनीति के लिए किस प्रकार किया जा रहा है। वास्तव में घटिया राजनीति की वजह से रेल पटरी से उतर रही है। रेल को लोक-लुभावन राजनीति का माध्यम नहीं बनाया जाना चाहिए। रेल जो सेवा कर रही है, उसकी पूरी कीमत उसे मिलनी चाहिए। अन्यथा एक दिन रेल बन्द हो सकती है।

-राममोहन चंद्रवंशी

अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर, स्टेशन रोड टिमरनी, हरदा-461228 (म.प्र.)

सनातन संस्कृति पर हमला

डा. सतीश चन्द्र मित्तल का आलेख “हिन्दुओं के सांस्कृतिक प्रतीक और कांग्रेसी संस्कृति” पढ़ा। कांग्रेस ने पंथनिरपेक्षता के नाम पर पाखंड रचा और सनातन संस्कृति पर हमला किया। जब मैं प्राथमिक कक्षा का छात्र था, स्कूल में “हे प्रभो आनंददाता ज्ञान हमको दीजिए” और “ओम तत्सत् प्रभु नारायण” की प्रार्थना होती थी। ग-गणेश और म-मंदिर पढ़ाया जाता था। परंतु सनातन संस्कृति की इस व्यापकता में कांग्रेस को साम्प्रदायिकता की गंध नजर आई। प्रार्थना बंद कर दी गई और गणेश, मंदिर हटा लिये गये।

-मनोहर “मंजुल”

पिपल्या, बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)

ॐ व स्वस्तिक की महत्ता

ॐ, श्री, स्वस्तिक की वैदिक सनातन धर्म में विशेष महत्ता है। ॐ प्रणव मंत्र है। भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचना कर चौरासी लाख खिलौने बनाये। भगवान शिव ने उनको प्राणवान किया। भगवान विष्णु ने उनको आयु प्रदान कर पालन-पोषण का उत्तरदायित्व संभाला। तीनों ही ॐ में समाहित हो गये। ॐ के ऊपर अद्र्ध चन्द्र और अनुस्वार माता-पिता के रूप में बन गये। इसलिए हर मंत्र के पूर्व इस प्रणव मंत्र का उच्चारण होता है।

स्वस्तिक की अराधना महत्वपूर्ण मानी जाती है। स्वस्तिक में 6 रेखाएं, 4 बिन्दु तथा दोनों तरफ दो-दो रेखाएं हैं। 6 रेखाओं को 4 बिन्दुओं से गुणा करने पर 24 का अंक प्राप्त होता है। यह 24 अवतारों के प्रतीक हैं। अगर यह कहा जाये कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकर भी इसी से जुड़े हैं तो शायद गलत नहीं होगा। सिख पंथ के 10 गुरु भी तो उपरोक्त के हिसाब से इसी में जुड़ाव लिये हुए हैं। स्वस्तिक कार्य के शुभारम्भ के लिए भगवान गणेश जी से जुड़ा है। भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान सूर्य तथा भगवती 4 बिन्दु इस पंच देव पूजा के प्रतीक हैं। 6 रेखाएं षड्दर्शन वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग, मीमांसा, वेदान्त के प्रतीक हैं तथा 4 बिन्दु चारों वेदों के प्रतीक हैं।

भगवान मनु के अनुसार धृति, क्षमा, दम, अस्तेय, शौच, इन्द्रिय निग्रह, धी, विद्या, सत्य, अक्रोध 10 धर्म के लक्षण भी इसी से जुड़े हैं। अग्नि, इन्द्र, यमराज, गन्धर्व, वरुण, वायु, कुबेर, धर्मराज, ब्रह्मा, शेषनाग दस दिग्पाल तथा 10 इन्द्रियां भी इसी से जुड़ी हैं। इसी प्रकार दस रेखाएं गुणा 4 बिन्दु चालीसा के कारक हैं। जिसमें अभिजित सहित 28 नक्षत्र तथा 12 राशियां चालीसा के प्रतीक हैं। सुख-शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति के लिए पूजा पाठ दान इत्यादि के लिए चालीसा का पाठ तथा 40 दिन के उपाय इसी से पता चलते हैं। स्वस्तिक चिह्न के दोनों ओर की रेखाएं ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास चार आश्रमों की कारक हैं, क्योंकि मानव अवतारों में भी इन चार आश्रमों का पालन किया गया है। इसी प्रकार धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चार पुरुषार्थ भी इसमें सामहित हैं।

-पं. जगदीश लाल शर्मा

बी-64, रघुवीर इन्कलेव, नजफगढ़

नई दिल्ली-110043

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies