उजागर हुई कांग्रेसी कुसंस्कृति
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भंवरी देवी मामले में फंसी गहलोत सरकार के हाथ पांव फूले, चेहरा बचाने को फेरबदल उजागर हुई कांग्रेसी कुसंस्कृति
* विवेकानंद शर्मा
राजस्थान में लगभग पिछले तीन माह से चल रहे भंवरी प्रकरण का पटाक्षेप अभी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है, लेकिन इस मामले ने कांग्रेस की राजनीतिक कुसंस्कृति का बदनुमा चेहरा उजागर कर दिया है। इस मामले में सरकार के कद्दावर मंत्री महिपाल मदेरणा की बलि ली जा चुकी है, कांग्रेसी विधायक मलखान सिंह विश्नोई घिरे हुये हैं और बयानों की बात की जाये तो मामले के तार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंच रहे हैं। मामले में आरोपी कांग्रेसी नेताओं ने अपने बचाव के लिए अपने राजनीतिक ताव का भरपूर दुरुपयोग करने का प्रयास किया, किन्तु कांग्रेस की अन्दरूनी राजनीति में व्याप्त गुटबाजी के कारण मामला शीघ्र निपटने के आसार नहीं हैं। भंवरी देवी मामले में बुरी तरह फंसी गहलोत सरकार के हाथपांव फूल रहे हैं और मुख्यमंत्री को चेहरा बचाने के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल की कवायद तक करनी पड़ी है।
जाट राजनीति की बिसात
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की कांग्रेसी राजनीति में जाट समुदाय का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। लेकिन पिछले 15 वर्षों में पार्टी का दो बार शासन रहने के बावजूद जाट समुदाय से किसी नेता का मुख्यमंत्री न बन पाना जाट बिरादरी के लिए असंतोष का कारण बना हुआ था। अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने पर कई दिग्गज जाट नेता विरोध में सामने आये थे। उनमें परसराम मदेरणा मुख्य थे। मौजूदा भंवरी मामले में बर्खास्त मंत्री महिपाल मदेरणा परसराम मदेरणा के पुत्र हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सत्ता में जाट बिरादरी के बढ़ते दबदबे को संतुलित करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भंवरी मामले के रूप में ब्रह्मास्त्र मिल गया है।
लगभग तीन महीने पहले यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब नर्स के रूप में कार्यरत भंवरी देवी संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गयी। उसके पति अमरचन्द की कई कोशिशों के बाद शिकायत दर्ज की गयी। वह मीडिया के सामने चीख-चीखकर महिपाल मदेरणा का नाम लेता रहा, किन्तु कई दिनों तक किसी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। राजनीतिक दांव-पेच के तहत मुख्यमंत्री के निर्देश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। इस दौरान न्यायपालिका की सक्रियता भी तारीफ के काबिल रही।
सबसे कमजोर सरकार
राजस्थान उच्च न्यायालय ने मौजूदा कांग्रेसी सरकार को अब तक के इतिहास की सबसे कमजोर और निकम्मी सरकार बताया। साथ ही मामने की प्रगति रपट से समय समय पर न्यायालय को अवगत कराने का निर्देश दिया। जैसे जैसे सीबीआई मामले पर शिकंजा कसती गई वैसे वैसे कई सनसनीखेज रहस्य उजागर होते गये। लूणी से कांग्रेसी विधायाक मलखानसिंह विश्नोई की बहन इन्दिरा विश्नोई तथा भंवरी देवी के बातचीत के टेप सार्वजनिक हुए। उस बातचीत से स्पष्ट हुआ कि भंवरी देवी किसी विवादित सीडी का सौदा करना चाहती थी। सौदे की रकम के लिए भी लगभग सात-आठ करोड़ रु. तक की चर्चा की गई। साथ ही टेप में गहलोत सरकार पर संभावित संकट के संबंध में भी चर्चा है।
सीबीआई ने एक एक कर कई लोगों को पूछताछ के लिए बुलाना शुरू किया, जिनमें महिपाल मदेरणा, लीला मदेरणा, मलखान सिंह विश्नोई, इन्दिरा विश्नोई, सोहन लाल विश्नोई, बल्देव जाट तथा भंवरी के अपहरण का मुख्य सूत्रधार माना जा रहा शहाबुद्दीन प्रमुख रूप से शामिल हैं। मामले का एक और मुख्य आरोपी सहीराम अभी तक फरार है। सीबीआई के सामने जांच के दौरान ही कई आरोपी एक दूसरे से भिड़ गए। इंदिरा विश्नोई ने इस प्रकरण में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लपेटते हुए कहा कि चर्चित विवादास्पद सीडी की जानकारी मुख्यमंत्री को दो-तीन साल पहले से थी।
न्यायालय की कड़ी प्रतिक्रिया
बहरहाल, सीबीआई पूरे मामले को निपटाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है, किन्तु भंवरी देवी और पूर्व उप जिला प्रमुख सहीराम का गायब होना उसके लिए जी का जंजाल बना हुआ है। इस मामले पर राजस्थान उच्च न्यायालय पूरी नजर रखे हुए है और समय-समय पर सीबीआई को फटकारते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दे रहा है। सीबीआई ने भंवरी देवी का सुराग देने के लिए इनामी राशि पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दस लाख रुपये कर दी है, साथ ही सहीराम के बारे में जानकारी देने के लिए भी इनामी राशि एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई है।
हिंसक तेवर
वहीं दूसरी ओर, विवादास्पद सीडी के सार्वजनिक होने के बाद मदेरणा परिवार तथा उनके समर्थकों में भयंकर रोष व्याप्त है। महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा का मीडिया विरोधी बयान कि, “टीवी मत देखो, अखबार मत पढ़ो और मीडिया वालों के कैमरे तोड़ दो”, काफी चर्चित रहा। इस बयान के बाद कांग्रेस ने इस मामले की खुलकर आलोचना करनी शुरू की, किन्तु इस पर भी जोधपुर में मीडियाकर्मियों को मदेरणा समर्थकों की मारपीट का शिकार होना पड़ा। लीला मदेरणा के बौखलाहट भरे बयान आते रहे। लीला मदेरणा ने चरित्रहीनता को “राजसी शौक” बताकर महिपाल का बचाव करने का प्रयास किया। पूरे मामले में एक बड़ा पहलू लूणी से कांग्रेसी विधायक मलखान सिंह विश्नोई से सम्बन्धित है। बताया जाता है कि भंवरी देवी अपनी एक पुत्री को मलखान सिंह की सन्तान बताती रही थी और इसके लिए वह डीएनए जांच करवाना चाहती थी।
अभी तक की जांच में सीबीआई को भंवरी के गायब होने के रास्तों का तो आभास होने लगा है, किन्तु वह राजनीति के किस भंवरजाल में फंसाई गई है, इसका पता लगना अभी शेष है । राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि इस मामले के सामने आने से प्रदेश में जाट बिरादरी की सियासत और गरमाएगी, किन्तु कहने वाले कह रहे हैं कि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए जाट बिरादरी की शक्ति के संतुलन को धरातल पर लाने का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा। द
नट बिरादरी की एक साधारण सी नर्स का काम कर रही भंवरी देवी ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह प्रदेश की राजनीति को हिला देने वाला मोहरा साबित होगी। अपनी ऊंची पहुंच का उपयोग करते हुए वह जोधपुर क्षेत्र में लम्बे समय तक चर्चाओं में बनी रही। आलीशान मकान, महंगी गाड़ियां, कई जमीनें और लकदक जिन्दगी की चाह में भंवरी देवी ने हर प्रकार के समझौते किए। कई जगह उसके “ब्यूटी पार्लर” भी बताये जाते हैं। कई गीत-संगीत वीडियो सीडी में भी उसे देखा जा सकता है। वह पाली से सांसद बद्री जाखड़ से भी गैस एजेंसी आवंटन हेतु मिली थी। अपने क्षेत्र में सरकारी कर्मचारियों के स्थानान्तरण को लेकर वह हमेशा चर्चाओं में बनी रहती थी। मूल्य विहीन लकदक जीवन शैली की चाह में भंवरी न जाने किस भंवर जाल में फंसती गई, यह अब चर्चा का विषय बना हुआ है।
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