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तिकड़ी की तलाश

by
Nov 12, 2011, 12:00 am IST
in Archive
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बात बेलाग

दिंनाक: 12 Nov 2011 13:50:26

 समदर्शी

स्विस बैंकों में जमा काले धन वाले भारतीय सांसदों के नाम उजागर करने के लिए पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी ने सूचना के अधिकार को अपना हथियार बनाया है, क्योंकि मनमोहन सिंह सरकार की दिलचस्पी बताने से ज्यादा छिपाने में है। कभी दूसरे देशों से संबंध खराब होने के नाते गोपनीयता का राग अलापा जाता है तो कभी मामला न्यायालय में लंबित होने का हवाला दे दिया जाता है। सूचना का अधिकार सरकार के आगे भी कारगर होता है या नहीं, यह तो वरुण की कोशिश से पता चल ही जाएगा, लेकिन फिलहाल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक को उस तिकड़ी के नाम तय करने का काम मिल गया है, जिसका काला धन स्विस बैंकों में बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जिन तीन सांसदों का काला धन स्विस बैंक में है, उनमें से एक हरियाणा का है, एक उत्तर प्रदेश का और एक केरल का। वैसे तो सांसदों की समृद्धि के आंकड़े उनकी कलाकारी की कहानी खुद ही बयां करते हैं, पर किसी सामान्य सांसद द्वारा अपना काला धन विदेशी बैंक में जमा करने की बात ज्यादातर लोगों के गले नहीं उतर पा रही। नतीजतन उन सांसदों के नाम पर बहस शुरू हो गयी है, जो कुछ खास हैसियत रखते हैं। ऐसे में बात उत्तर प्रदेश के दो, हरियाणा के भी दो और केरल के एक सांसद पर आकर रुक जाती है। अब यह कहने की जरूरत तो नहीं ही होनी चाहिए कि ये काला धन वाले तीनों सांसद केन्द्र में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के ही होंगे। शायद यही कारण है कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी केन्द्र सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि वह विदेशों में काला धन रखने वालों के नाम सार्वजनिक करे, पर सरकार है कि कुछ बोलती ही नहीं।

'युवराज' का गुस्सा

कांग्रेस के  'युवराज' राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के निवासियों को एक हिंदी फिल्म का यह चर्चित संवाद याद दिला दिया है कि अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है? पता नहीं फैशन के अंदाज में राजनीति करने वाले राहुल ने कला सिनेमा का यादगार नमूना कही जाने वाली वह फिल्म देखी भी है या नहीं, लेकिन वह अपने 'मिशन 2012' के तहत उत्तर प्रदेश में घूम-घूम कर लोगों से पूछ रहे हैं कि क्या उन्हें गुस्सा नहीं आता? वैसे उनके बिना पूछे ही उत्तर प्रदेश वाले उसका जवाब कई बार दे चुके हैं। दरअसल यह उस जवाब का ही परिणाम है कि कभी चार दशक तक देश पर निष्कलंक और निरंकुश भी, राज करने वाली कांग्रेस आज देश के सबसे बड़े राज्य में चौथे नम्बर की पार्टी है। जाहिर है, राहुल मायावती के जंगलराज और भ्रष्टाचार के विरुद्ध गुस्से की बाबत लोगों से सवाल पूछ रहे हैं, पर उन्हें कौन बताए कि उनके परिवार के वर्चस्व वाली कांग्रेस ही इन तमाम बुराइयों की जननी है और जिस कांग्रेस को वह विकास व खुशहाली का इंजन प्रचारित कर रहे हैं, उसी के कुशासन का यह परिणाम है कि मतदाताओं ने मुलायम सिंह यादव और मायावती सरीखे जातिवादी नेताओं को भी सरकार बनाने और चलाने का मौका दे दिया।

कांग्रेसी हथकंडे

अण्णा हजारे के नेतृत्व में जन लोकपाल विधेयक की मुहिम को मिले अपार जन समर्थन से केन्द्र सरकार और कांग्रेस, दोनों ही बुरी तरह बौखला गयी लगती हैं। केन्द्र सरकार की बौखलाहट तो उसके मंत्रियों के मौके-बे-मौके घमंडी व भड़काऊ बयानों से उजागर होती रहती है, पर कांग्रेसी अब इससे आगे बढ़ आए हैं। पहले जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह के समर्थन संबंधी बयान के बहाने श्रीराम सेना या भगत सिंह क्रांति सेना की आड़ में प्रशांत भूषण को सर्वोच्च न्यायालय स्थित उनके चैंबर में घुसकर पीटा गया तो अब अरविंद केजरीवाल निशाने पर हैं। केजरीवाल पर पहले उत्तर प्रदेश में चप्पल फेंकी गयी तो फिर महाराष्ट्र में काले झंडे दिखाने के बहाने हाथापाई की कोशिश की गयी। जाहिर है, ऐसा करने वालों को कांग्रेस फिलहाल अपना मानने से ही इनकार कर रही है, पर ऐसे असामाजिक व अपराधी तत्वों को पुरस्कृत करने का उसका इतिहास पुराना है। आपको याद है न कि सत्तर के दशक में जनता पार्टी शासन में गिरफ्तार की गयीं इंदिरा गांधी की रिहाई पर जोर देने के लिए विमान का अपहरण करने वाले उत्तर प्रदेश के युवक को कांग्रेस ने बाद में नेता बना दिया था?

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