चरित्र में सुधार से होगा व्यवस्था परिवर्तन
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हरिद्वार में स्वामी प्रकाशानन्द के समाधि स्थल का लोकार्पण
–भैयाजी जोशी, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ
मनोज गहतोड़ी
'मनुष्य अपने चरित्र सुधार से महान बनता है। देश में अनेक महापुरुषों ने अपने चरित्र के द्रारा ही समाज में उच्च आदर्श स्थापित किए'। उक्त उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेशराव उपाख्य भैयाजी जोशी ने गत दिनों हरिद्वार के कनखल स्थित जगदगुरु आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी प्रकाशानन्द महाराज के समाधि स्थल के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
श्री भैयाजी ने आगे कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी प्रकाशानन्द महाराज ने समाज एवं राष्ट्र के लिए उच्च आदर्श प्रस्तुत किए और धर्म एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए सर्वस्व न्योछावर किया। आज देश को स्वामी जी जैसे चरित्रों की नितान्त आवश्यकता है। श्री भैयाजी ने कहा कि संतों ने हमेशा से समाज का दिशा दर्शन किया है। भारतीय सभ्यता, संस्कृति को देश की पहचान बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत को बौद्धिक ऊर्जा देने का काम अध्यात्म ने किया है।
भ्रष्टाचार पर बोलते हुए श्री भैयाजी ने कहा कि भारत में भ्रष्टाचार बहुत बड़ी समस्या है, लेकिन यह मात्र आन्दोलन करने से समाप्त नहीं हो सकता। भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए संस्कारों की आवश्यकता है। संस्कार ही व्यक्ति का चरित्र निर्माण कर उसे महान बनाते हैं। जब तक व्यक्ति के चरित्र में सुधार नहीं आता, तब तक व्यवस्था में परिवर्तन नहीं हो सकता हैं। उद्बोधन से पूर्व श्री भैयाजी ने स्वामी प्रकाशानन्द महाराज की समाधि का लोकार्पण किया।
जगद्गुरु आश्रम के अध्यक्ष शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम ने ब्रह्मलीन संत स्वामी प्रकाशानन्द महाराज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरुदेव का व्यक्तित्व जैसा दिखता था, वह अंतर्मन से भी वैसे ही थे। उनके अंदर वास्तव में साधुता थी। उन्होंने स्वामी प्रकाशानन्द के जीवन से संबंधित अनेक संस्मरण उपस्थित गण्यमान्यजनों को सुनाए। कार्यक्रम को पूर्व केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानन्द, भाजपा नेता श्री भगत सिंह कोश्यारी, महंत राकेश नाथ, स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, महंत राजेन्द्र दास, महंत रवीन्द्र पुरी एवं स्वामी कल्याणानन्द ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन महामण्डलेश्वर स्वामी देवानन्द सरस्वती ने किया। इस अवसर पर उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक विशेष रूप से उपस्थित थे।
महाराणा प्रताप के जौहर और मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास का सजीव चित्रण प्रस्तुत करेगा
प्रताप गौरव केन्द्र
प्रतिनिधि
अपने जौहर के बल पर मुगलों को नाकों चने चबवा देने वाले महाराणा प्रताप के जीवन की प्रेरणादायी कहानियां तो हमने खूब सुनी होंगी, पर शायद ही कभी हमने उन कहानियों का कहीं सजीव चित्रण देखा हो। लेकिन आने वाले समय में उदयपुर में महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े अनेक गौरव प्रसंगों का सजीव चित्रण देखा जा सकेगा। इस कार्य को करने का जिम्मा वीर शिरोेमणि महाराणा प्रताप समिति, उदयपुर ने लिया है। समिति इसके लिए शहर में 'प्रताप गौरव केन्द्र' का निर्माण करा रही है। समिति द्वारा तैयार किया जा रहा यह प्रकल्प बहुत ही वृहद है, जिसकी लागत करीब 100 करोड़ है।
टाइगर हिल पर 25 बीघा भूमि पर बन रहे इस केन्द्र में महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े गौरवशाली प्रसंगों की चित्र प्रदर्शनी तो होगी ही। साथ ही बप्पारावल, हम्मीर, कुम्भा, सांगा, राजसिंह सरीखे श्रेष्ठ राष्ट्रनायकों तथा भामाशाह, पूंजा भील, झाला मान, चूण्डा, रामसिंह तंवर, हकीम खां सूरी जैसे मेवाड़ रत्नों एवं पन्नाधाय, मीराबाई, हाड़ारानी जैसी तेजस्वी महिलाओं से जुड़े प्रसंगों की चित्र प्रदर्शनी भी होगी। इसके अलावा केन्द्र में महाराणा प्रताप की 57 फीट ऊंची प्रतिमा, राष्ट्रीय गौरव दीर्घा, मेवाड़ी दीर्घा, शस्त्रागार एवं हल्दीघाटी युद्ध का चित्रण, वनवासी संस्कृति को दर्शाती दीर्घा, मेवाड़ के सभी प्रमुख स्थलों की प्रतिकृतियां, मेवाड़ के भक्तिधामों के प्रतिरूप, भारतमाता मंदिर व ध्यान कक्ष, मेवाड़ शोध केन्द्र, प्रताप जलाशय व नौका विहार, भव्य सभागार, भव्य झरना व फव्वारा, मेवाड़ी स्थापत्य का त्रिपोलिया महाद्वार आदि भी आकर्षण के केन्द्र होंगे। हालांकि अभी तक यहां शोध केन्द्र, कुछ मूर्तियां तथा 250 चित्र ही बनकर तैयार हुए हैं। जिसका उद्घाटन 24 मई, 2012 को होगा।
निर्माणाधीन प्रताप केन्द्र के महामंत्री श्री मदनमोहन टांक ने बताया कि मेवाड़ की गौरवशाली परम्परा से देशवासी परिचित हों, इस उद्देश्य से इस भव्य केन्द्र का निर्माण हो रहा है। महाराणा प्रताप के जीवन एवं मेवाड़ के इतिहास की जीवंत जानकारी देने वाला इस तरह का भव्य केन्द्र देश में शायद ही कोई और होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र के निर्माण में अभी तक 3 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। केन्द्र को भव्यता प्रदान करने के लिए हमें धन की और आवश्यकता है। समिति देशवासियों से आह्वान करती है कि राष्ट्रगौरव के इस कार्य में सहयोग करें।
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