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झारखण्ड/मंगल पाण्डेय
हिन्दू विचार से मिटेगा भ्रष्टाचार
हिन्दुस्थान समाचार का “महात्मा गांधी और हिन्दुत्व” विशेषांक लोकार्पित
पूर्व केंद्रीय मंत्री व जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि भौतिकतावाद के कारण भ्रष्टाचार बढ़ा है। वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) के दौर में पैसे के आधार पर प्रतिष्ठा दिखाने का दौर चल पड़ा है, भ्रष्टाचार इसी की देन है। भौतिकतावाद से लालच पनपता है और लालच से भ्रष्टाचार। इसे हिन्दुत्व की विचारधारा से ही खत्म किया जा सकता है, क्योंकि हिन्दू चिंतन कभी पैसे के बल पर बनी प्रतिष्ठा को नहीं मानता है। लेकिन आज हिन्दू तो हैं पर हिन्दुत्व के गुण कहीं गौण हो गये हैं। डा. स्वामी ने गत 29 अक्तूबर को झारखण्ड की राजधानी रांची के श्रीकृष्ण लोक प्रशासन संस्थान (एटीआई) सभागार में आयोजित एक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार (झारखंड) के वार्षिक समारोह के अवसर पर आयोजित “महात्मा गांधी और हिन्दुत्व” विषयक संगोष्ठी के मुख्य वक्ता थे डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी, जबकि मुख्य अतिथि थे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुण्डा, विशिष्ट अतिथि थे रा.स्व.संघ के प्रांत प्रचारक श्री मिथिलेश नारायण एवं अध्यक्षता की प्रभात खबर के सम्पादक श्री हरिवंश ने।
डा. स्वामी ने इस अवसर पर कहा कि गांधी जी के अहिंसावादी विचारों को सभी मानते हैं और जानते हैं, लेकिन उन्होंने एक और बात कही थी कि अन्याय कभी सहन नहीं करना चाहिए। लेकिन आज गांधी विचार को एक दल ने निहित स्वार्थों के लिए बंधक बना रखा है। हमें राष्ट्रहित में गांधी चिंतन को सर्व-समाज के लिए मुक्त कराना चाहिए। आज आतंकवाद के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है उसे अहिंसा के संदेश से नहीं निपटाया जा सकता। आतंकवादी की हिंसा का जवाब हिंसा से ही देना होगा। हिन्दुत्व की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व को राजनीति से न जोड़ें। हिन्दुत्व गुण और शिष्टाचार है। महात्मा गांधी सनातनी हिन्दू थे। वे कहते थे कि देश में रामराज्य होना चाहिए। सात्विक हिन्दुत्व यानि अहिंसा का पालन होना चाहिए। पूर्णत: अहिंसा को गांधी जी ने भी कभी कारगर नहीं बताया था। लेकिन आज सिर्फ सात्विक नहीं बल्कि आग्रही हिन्दुत्व को लेकर चलने की आवश्यकता है। डा. स्वामी ने कहा कि गांधी जी के नाम पर आज नकली गांधी देश में शासन कर रहे हैं। इस अवसर पर डा. स्वामी ने हिन्दुस्थान समाचार की ओर से प्रकाशित “महात्मा गांधी और हिन्दुत्व” विषयक विशेषांक का भी लोकार्पण किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुण्डा ने इस अवसर पर कहा कि गांधी जी के सपनों के अनुसार सत्ता का केन्द्र गांव में होना चाहिए। विशिष्ट अतिथि, रा.स्व. संघ के प्रांत प्रचारक श्री मिथिलेश नारायण ने कहा कि गांधी चिंतन और हिन्दुत्व एक-दूसरे के पूरक हैं। समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रभात खबर के प्रधान संपादक श्री हरिवंश ने कहा कि आज चरित्र गढ़ने की जरूरत है ताकि नये भारत का निर्माण हो सके।
समारोह में झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष सीपी सिंह, मानव संसाधन विकास मंत्री वैद्यनाथ राम, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेशानंद गोस्वामी, प्रदेश संगठन मंत्री प्रसन्न मिश्र, पूर्व अध्यक्ष यदुनाथ पांडेय, सांसद सुदर्शन भगत, विधायक कमलेश उरांव, रांची एक्सप्रेस के संपादक बलबीर दत्त, पूर्व विधायक सरयू राय, विकास भारती के सचिव अशोक भगत सहित बड़ी संख्या में गण्यमान्य जन उपस्थित थे। द
केरल/प्रदीप कृष्णन
मानती नहीं मिशनरियां
संगीत के नाम पर ईसाइयत का प्रचार, पादरी को देश छोड़ने का निर्देश
पर्यटक वीजा पर भारत-भ्रमण के लिए आने वाले लोगों द्वारा किसी भी प्रकार के धार्मिक-पांथिक आयोजन पर प्रतिबंध है। बावजूद इसके ईसाई मिशनरियों से जुड़े लोग पर्यटन के नाम पर भारत आते हैं और भिन्न-भिन्न नामों से कुछ न कुछ कार्यक्रम या समारोह आयोजित करते हैं, जिनमें ईसाई मत का प्रचार करते हैं और लोगों को ईसाइयत अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। सजग हिन्दू संगठनों द्वारा जब उनका भांडा फोड़ा जाता है तब कहीं जाकर पुलिस उनके विरुद्ध कार्रवाई करती है और उन्हें देश के बाहर धकेलती है। इस तरह के मामलों में केरल इन दिनों सबसे आगे है। हालांकि पर्यटक के वेश में घूम रहे विदेशी मिशनरियों के बारे में हिन्दू संगठनों द्वारा दी गई जानकारी को केरल की कथित अल्पसंख्यकवादी वाम या संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चो की सरकारें अधिक महत्व नहीं देतीं। लेकिन जब प्रमाण सहित तथ्य सामने रखे जाते हैं तो मजबूरन मिशनरियों को देश छोड़कर जाना ही पड़ता है।
ऐसा ही एक मामला गत दिनों केरल की व्यावसायिक राजधानी कहे जाने वाले कोच्चि में सामने आया, जहां मुख्य दण्डाधिकारी के निर्देश के बाद अमरीकी मूल के ईसाई मत प्रचारक विलियम आर्थर ली को उसके देश वापस भेजा जा रहा है। मुख्य दण्डाधिकारी ने पाया कि ली वीजा नियमों का उल्लंघन कर संगीत समारोह की आड़ में ईसाई मत का प्रचार कर रहा था। इस आरोप में ली को 3 दिन के कारावास और 10 हजार रुपए का जुर्माना भरने के बाद कोच्चि पुलिस को सौंप दिया गया, ताकि वे पूरी प्रक्रिया का पालन कर उसे देश से निष्कासित (डिपोर्ट) कर सके। उल्लेखनीय है कि अमरीका मूल का ईसाई मत प्रचारक विलियम आर्थर ली गत 21 सितम्बर को भारत आया था और उसके पास 20 मार्च, 2012 तक उसका वैध पर्यटक वीजा था। लेकिन आते ही वह “म्यूजिकल स्प्लैस-2011” के नाम से आयोजन करने लगा, जिसकी आड़ में वह ईसाइयत अपनाने के व्याख्यान देता था। इसके पुख्ता सूचना मिलने और हिन्दू संगठनों द्वारा सबूत उपलब्ध कराने के बाद गत 12 अक्तूबर को पुलिस ने कोच्चि के कल्लूर स्थित जवाहरलाल इन्टरनेशनल स्टेडियम पर छापा मारा, जहां इसी प्रकार का एक कार्यक्रम आयोजित होना था, पुलिस ने उन्हें कार्यक्रम रद्द कर देश छोड़कर जाने के लिए कहा तो ली व उसके दो साथी भूमिगत हो गए। तब पुलिस ने सभी “एयरपोट्र्स” पर निगरानी तेज कर दी, इन लोगों को “ब्लैक लिस्ट” किया और भारत में इसका आयोजन कराने वाली संस्था “फेथ लीडर्स चर्च आफ गाड” के कर्ताधर्ताओं को खोजने लगी। आखिरकार 48 घंटे के भीतर ही ली पकड़ में आ गया। पुलिस ने खुफिया विभाग की रपट का भी उल्लेख किया जिसमें साफ बताया गया था कि पर्याटक वीजा पर आए ली, उसके संगीत दल के प्रमुख रॉन केनोली व मिजामोर हारमोनिक संगीत समारोहों के नाम पर लोगों को जुटाकर ईसाइयत का प्रचार कर रहे हैं। इन सब जानकारियों के आधार पर मुख्य दण्डाधिकारी (कोच्चि) ने आरोपियों को सजा सुनाई और देश छोड़ने का निर्देश दिया।द
जम्मू-कश्मीर/प्रतिनिधि
झूठ का व्यापार
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी किस प्रकार लोगों की भावनाओं को भड़काते हैं और उन्हें भारत से बाहर की सोच से जोड़ते हैं, इस संबंध में कुछ रोचक बातें सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में इन दिनों नारियल बहुत लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि यह नारियल (गोला) वहां यह कहकर बेचा जाता है कि यह श्रीनगर से आया है या फिर पुंछ से। इसको वहां “कश्मीर का खोवा” कहकर एक उपहार या प्रसाद के रूप में लोगों के घरों तक पहुंचाया जाता है और इस तरह उनकी भावनाएं कश्मीर के साथ जोड़ने की कोशिश की जाती है। जबकि वास्तविकता यह है कि श्रीनगर तो दूर, इस पूरे राज्य में कहीं भी नारियल पैदा ही नहीं होता है।
उल्लेखनीय है कि नियंत्रण रेखा अर्थात ऊड़ी और पुंछ के रास्ते पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, जिसे पाक अधिकृत कश्मीर भी कहा जाता है, के साथ जो व्यापार हो रहा है उसमें भारत की ओर से नारियल, बड़ी इलाइची, लाल मिर्च तथा अधिकांश ऐसी वस्तुएं उस पार भेजी जा रही हैं जिनका इस राज्य में उत्पादन नहीं होता। इसी प्रकार सीमा पार से जो वस्तुएं इस ओर लायी जा रही हैं उनमें मजहबी पुस्तकें, बादाम, छुहारे, मूंगदाल तथा कुछ अन्य ऐसी वस्तुएं आ रही हैं जो उस क्षेत्र में पैदा नहीं होती हैं बल्कि अधिकांश वस्तुएं पेशावर और अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित सीमांत क्षेत्रों से लायी जाती हैं।
सीमा के दोनों ओर स्थित कश्मीर के बीच व्यापार अक्तूबर, 2008 में इस योजना के साथ शुरू किया गया था ताकि राज्य के दोनों भागों के उत्पादन को व्यापार का एक साधन बनाया जाए। दोनों ओर रहने वालों को पास लाने व आपसी विश्वास का वातावरण बन सके। इसीलिए इस व्यापार पर कोई कर (टैक्स) भी नहीं लगाया गया है। किन्तु जानकारों के अनुसार इस व्यापार में चोरी छिपे दोनों ओर के कुछ बड़े व्यापारी भी शामिल हो गए हैं और यह व्यापार कर चोरी का एक बड़ा माध्यम बनकर करोड़ों नहीं अरबों रुपए तक पहुंच रहा है।
यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि इस राज्य में पाकिस्तान से चट्टानी नमक लाने पर प्रतिबंध है क्योंकि वह आयोडीनयुक्त नहीं होता। किन्तु कश्मीर के कुछ तत्व इस नमक की तस्करी करते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि कई स्थानीय नेता एक लम्बे समय तक पाकिस्तान का यह चट्टानी नमक दिखाकर स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार बहुत कुछ इशारों ही इशारों में कह जाते थे। ऐसा करने वालों में शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और उनके अनुयायी भी थे। चट्टानी नामक स्थानीय लोगों की भावनाएं भड़काने के लिए प्रयोग में लाया जाता था। आज भी इसकी तस्करी कई रूपों में सामने आ रही है। गत दिनों जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बताया गया कि नियंत्रण रेखा के पार से व्यापार में अनियमितताओं के मामलों में 48 लोगों को पकड़ा गया है, जो हवाला द्वारा धन आदि आतंकवादियों तथा अलगाववादी नेताओं तक पहुंचाते थे।द
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