राजनीति ने
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

राजनीति ने

by
Nov 3, 2011, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

राजनीति ने बिगाड़ा रेल का खेल

दिंनाक: 03 Nov 2011 11:48:35

बिगाड़ा रेल का खेल

अरुण कुमार सिंह

भारतीय रेल दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था है। अमरीका, रूस और चीन के बाद भारत ही एक ऐसा देश है जिसके पास रेलवे का इतना बड़ा संजाल है। भारतीय रेल प्रतिदिन करोड़ों सवारियों को ढोती है। रेल गाड़ियों में इतनी भीड़ रहती है कि लोगों को जल्दी आरक्षण नहीं मिल पाता है। देश में माल ढुलाई का भी सबसे बड़ा जरिया रेल ही है। माल ढुलाई भी खूब होती है। यानी रेलवे के पास न तो सवारियों की कमी है, न ही ढोने वाले माल की। फिर भी भारतीय रेल दिनोंदिन घाटे में जा रही है। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि रेल को सुव्यवस्थित चलाने के लिए सरकारी मदद की दरकार पड़ गई है। अगस्त माह में रेल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से 20 हजार करोड़ रु. की मदद मांगी थी। किन्तु वित्त मंत्रालय ने मदद से इनकार कर दिया है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि रेलवे अपने खर्च का जुगाड़ अपने संसाधन से ही करे।

अपने कर्मचारियों को बोनस देने के लिए पिछले दिनों रेल मंत्रालय ने 2000 करोड़ रु. की मांग वित्त मंत्रालय से की थी। रेलवे की यह मांग वित्त मंत्रालय ने पूरी की, तब कर्मचारियों को बोनस मिला। रेलवे का परिचालन व्यय सलाना 73,650 करोड़ रु. पहुंच गया है, जबकि 2007-08 में यह व्यय 41,033 करोड़ रु. था। रेलवे का पेंशन खर्च भी वार्षिक 7,953 करोड़ रु. से बढ़कर 16 हजार करोड़ रु. हो गया है।

सस्ती लोकप्रियता की राजनीति

लोग हैरान हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि रेल के संचालन के लिए कर्ज लेने की नौबत आ पड़ी? भारतीय रेलवे मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाशनाथ शर्मा कहते हैं, “रेल दो कारणों से घाटे में जा रही है- एक, कुप्रबंधन और दूसरा, सस्ती लोकप्रियता की राजनीति। रेलवे की जो सम्पत्ति है उसे गैर-जरूरी कार्यों में लुटाया जा रहा है। कई स्टेशनों को अन्तरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया गया, फिर भी कोई स्टेशन अन्तरराष्ट्रीय स्तर का नहीं बना। सस्ती लोकप्रियता के लिए रेलवे का न्यूनतम किराया 2 रु. है, जबकि प्लेटफार्म टिकट 3 रु. का है। 2 रु. में एक आदमी किसी भी लोकल ट्रेन से कम से कम 15 कि.मी. जा सकता है। इतने कम किराये से तो रेल की लागत भी वसूल नहीं होती है। छोटे-छोटे खुदरा व्यापारियों के लिए “इज्जत” योजना  चलती है। इसके अन्तर्गत मात्र 25 रु. प्रतिमाह पर एक व्यापारी सामान सहित स्थानीय स्तर पर यात्रा करता है। ऐसी ही लोक-लुभावन नीतियां रेलवे को घाटे की ओर ले जा रही हैं। सस्ती लोकप्रियता की राजनीति ने रेलवे को एयर इंडिया की कतार में खड़ा कर दिया है, जिसके पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं हैं।”

दरअसल, जो भी रेल मंत्री बनता है वह रेलवे का इस्तेमाल अपनी और अपनी पार्टी की राजनीति को चमकाने के लिए करता है। अपनी राजनीति चमकाने के लिए नेताओं ने रेलवे के गलत आंकड़े गढ़ कर पूरे देश को अंधेरे में रखा। गलत आंकड़े गढ़ने में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद को महारत हासिल है। बिहार में खोई अपनी राजनीतिक जमीन को हासिल करने के लिए उन्होंने 2004 में रेल मंत्री बनते ही रेलवे के साथ पूरे देश को धोखा देना शुरू किया। यह अलग बात है कि बिहार में उनकी राजनीतिक जमीन और खराब हो गई है। सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए उन्होंने किराया तो नहीं बढ़ाया, किन्तु लम्बी दूरी की सभी एक्सप्रेस एवं मेल गाड़ियों को “सुपर फास्ट” घोषित कर 20 रु. प्रति सीट शुल्क वसूलना शुरू किया। तत्काल सेवा की अवधि 24 घंटे से बढ़ाकर तीन दिन कर दी गई। इस कारण तत्काल सेवा का आम आदमी के लिए कोई मायने नहीं रहा, जबकि इसके माध्यम से रेलवे के राजस्व में वृद्धि होने लगी। फिर लालू प्रसाद ने पुराने लोहे और जमीन आदि को बेचकर रेलवे के खजाने को बढ़ा हुआ दिखाया। इसके साथ ही उन्होंने यह ढिंढोरा पीटना शुरू किया कि उनके अच्छे प्रबंधन से रेलवे मुनाफे में है। 2009 के आम चुनाव से पहले लालू प्रसाद ने यह घोषणा की कि रेलवे को 91 हजार करोड़ रु. का लाभ हुआ। अपनी इस “उपलब्धि” को जनता तक पहुंचाने के लिए लालू प्रसाद लाखों रुपए खर्च करके अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन देते थे। इससे उनकी छवि एक “प्रबंधन गुरु” के रूप में उभरी और वे प्रबंधन पर भाषण देने के लिए अमरीका भी पहुंच गए। भारतीय प्रबंधन संस्थान, अमदाबाद के छात्रों को भी उन्होंने प्रबंधन के गुर सिखाए। किन्तु रेल मंत्री के पद से हटते ही उनके “कुशल प्रबंधन” की असलियत बाहर आ गई। उनके बाद रेल मंत्री बनीं ममता बनर्जी ने लालू के मुनाफे की बात को नकारा और रेलवे की हालत पर एक श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की। किन्तु सरकारी दखल के कारण ममता बनर्जी श्वेत पत्र जारी नहीं कर पाईं। इसके बाद ममता ने भी रेल की सेहत सुधारने के बजाय अपनी राजनीतिक सेहत पर ध्यान दिया। प. बंगाल के मतदाताओं को लुभाने के लिए उन्होंने रेल को माध्यम बनाया। जितनी भी परियोजनाएं बनीं, उनमें से अधिकांश प. बंगाल में क्रियान्वित हुईं। जितनी भी नई गाड़ियां चलीं उनमें से अधिकतर प. बंगाल पर ही केन्द्रित रहीं। रेल मंत्रालय भी वह कोलकाता में बैठकर ही चलाती थीं। इस कारण प्राय: रोज ही रेलवे के अधिकारी दिल्ली से कोलकाता जाते-आते थे। किराया आदि में लाखों रुपए खर्च किए जाते थे। रेलवे के पैसे को फूंककर ममता प. बंगाल की मुख्यमंत्री तो बन गईं, किन्तु दूसरी ओर रेल का तेल निकलने लगा है।

रेल का खेल बिगाड़ने में सिर्फ लालू और ममता की नीतियां ही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि जितने भी रेल मंत्री हुए, उन सबकी नीतियां भी कम दोषी नहीं हैं। जिसे भी रेल मंत्रालय मिला वही नई परियोजनाओं की घोषणा करने और पुरानी परियोजनाओं को बन्द करने में पीछे नहीं रहा। इसकी शुरुआत मुख्य रूप से मालदह (प.बंगाल) के कांग्रेसी सांसद ए.बी.ए. गनी खान चौधरी ने रेल मंत्री के रूप में की थी। वर्षों से देशभर में चल रहीं कई परियोजनाओं को वे प. बंगाल ले गए। झारखण्ड के साहिबगंज से मालदह नजदीक है। साहिबगंज में रेलवे की एक बड़ी लोको वर्कशॉप थी। यहां हजारों लोग काम करते थे। रेलवे के कर्मचारी भी बड़ी संख्या में थे। सबको आवास की सुविधा मिली थी। वर्कशॉप भी बढ़िया काम कर रही थी। किन्तु गनी खान चौधरी इस वर्कशॉप को मालदह ले गए। वहां नए सिरे से सब कुछ खड़ा किया गया। दूसरी ओर साहिबगंज वीरान हो गया। रेलवे क्वाटर््र्स खाली हो गए। वहां करोड़ों रु. का लोहा भी वर्षों तक पड़ा रहा। वर्कशॉप मालदह चली गई। इससे गनी खान चौधरी को लाभ तो हुआ, किन्तु साहिबगंज में रेलवे की करोड़ों रु. की सम्पत्ति बेकार चली गई। इसी नीति पर बाद के भी प्राय: सभी रेल मंत्री चले। इससे उन नेताओं की राजनीति तो अच्छी तरह चलती रही, पर रेलवे का फालतू खर्च बढ़ता गया। कहीं चल रही किसी परियोजना को उखाड़कर हजारों कि.मी. दूर ले जाकर दुबारा शुरू करने में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। सैकड़ों ऐसी भी परियोजनाएं हैं, जो वर्षों से अधूरी हैं। इन कारणों से भी रेल की हालत खराब होती जा रही है।

गलत नीतियों का परिणाम

रेल की माली हालत को बिगाड़ने में केन्द्र सरकार भी जिम्मेदार है। भारत सरकार पूर्व और वर्तमान सांसदों, खिलाड़ियो, वीरता पुरस्कार प्राप्त वीरों, स्वतंत्रता सेनानियों आदि को मुफ्त में “आजीवन रेल यात्रा पास” देती है। किन्तु इसके बदले भारत सरकार रेलवे को एक पैसा भी नहीं देती है। दूसरी ओर भारत सरकार ने वर्षों पूर्व रेलवे में निवेश के रूप में जो पैसा लगाया है, उस पर सलाना 8 प्रतिशत लाभांश लेती है।

पिछले 8 साल से रेल किराया नहीं बढ़ा है, जबकि रेलवे की लागत बढ़ती जा रही है। लोहा, सीमेन्ट, तेल, बिजली आदि की कीमतें बढ़ने से रेल का खर्च दुगुने से भी अधिक बढ़ गया है। जरूरत है रेलवे को व्यावसायिक रूप देने की। किसी आपदा में राष्ट्र के लोगों की मदद करने में रेलवे आगे रही है। किन्तु रेलवे को रेबड़ी की तरह बांटने से उसकी सेहत बिगड़ रही है। रेलवे के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिजूल-खर्ची बन्द हो जाए तो रेल का दु:ख-दर्द ही न रहे। पूर्व रेलवे में तैनात एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रेलवे के पास इतनी सम्पत्ति है कि उसका समुचित उपयोग करने से ही रेलवे का खर्च पूरा हो जाएगा। देशभर में रेलवे की हजारों एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा है। नेताओं की देखरेख में कहीं झुग्गी बस्तियां बस गई हैं, कहीं बाजार बन गए हैं। कहीं मस्जिद, मजार, तो कहीं मन्दिर खड़ा हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि रेलवे की सबसे अधिक जमीन प. बंगाल में कब्जाई गई है। परंतु इस पर ध्यान देने में वोटों की राजनीति आड़े आती है। इस तरह यह राजनीति ही रेल का खेल बिगाड़ रही है।*

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

वैष्णो देवी यात्रा की सुरक्षा में सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

Britain NHS Job fund

ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट: एनएचएस पर क्यों मचा है बवाल?

कारगिल विजय यात्रा: पूर्व सैनिकों को श्रद्धांजलि और बदलते कश्मीर की तस्वीर

four appointed for Rajyasabha

उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला समेत चार हस्तियां राज्यसभा के लिए मनोनीत

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies