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जमीन लो, “वोटर” दो

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Oct 15, 2011, 12:00 am IST
in Archive
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पाठकीय

दिंनाक: 15 Oct 2011 15:42:42

पाठकीय

अंक-सन्दर्भ *25 सितम्बर,2011

आवरण कथा के अन्तर्गत श्री बासुदेब पाल की रपट “भारत की जमीन बंगलादेश को सौंपी” हर सच्चे भारतीय को पीड़ा देती है और यह भी सोचने को मजबूर करती है कि भारत सरकार ने ऐसी हरकत क्यों की? बंगलादेश को जमीन देने से पहले सरकार ने इस पर चर्चा भी नहीं कराई।

-प्रमोद वालसांगकर

1-10-81, रोड नं. -8 बी

दिलसुखनगर, हैदराबाद (आं.प्र.)

* लगभग 700 एकड़ भारतीय जमीन बंगलादेश को देने के खिलाफ असम में कई राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन किया। किन्तु उस समाचार को तथाकथित सेकुलर मीडिया ने महत्व नहीं दिया। यह मीडिया हत्या या बलात्कार की किसी घटना को तो आवरण पृष्ठ पर बड़े-बड़े अक्षरों में प्रकाशित करता है। पर राष्ट्रीय-हित के मुद्दों को कहीं छोटी-सी जगह पर छापता है।

-रामावतार

कालकाजी, नई दिल्ली

* देश के सैनिक एक-एक इंच जमीन की रक्षा के लिए प्राण गंवा रहे हैं। सर्दी, गर्मी, बरसात की परवाह किए बिना ये लोग मातृभूमि की रक्षा में डटे हुए हैं। दूसरी ओर भारत सरकार एक झटके में सैकड़ों एकड़ जमीन पड़ोसी देश को देने के लिए तैयार हो जाती है। देशद्रोह करना कांग्रेस की राजनीति का हिस्सा हो गया है।

-मनोहर “मंजुल”

पिपल्या-बुजुर्ग, पश्चिम निमाड़-451225 (म.प्र.)

द क्या भारतीय भूमि और धन मुस्लिमों के लिए लुटाया जाता रहेगा? 1990 में 3 बीघा गलियारा पट्टे पर 90 साल के लिए बंगलादेश को दिया गया था। अब 700 एकड़ जमीन दे दी गई। इधर कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने सारे कानून तोड़कर 25 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले जिलों को 3500 करोड़ रु. बांटे हैं। अफगानिस्तान को भी करोड़ों रु. की मदद दी जा रही है, जबकि वहां भारतीय कामगारों की हत्या हो रही है।

-महेश सत्यार्थी

टैक्नो इंडिया इन्वर्टर सर्विस, पुरानी अनाज मंडी उझानी, जिला-बदायूं (उ.प्र.)

* बंगलादेश को जमीन सौंपने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए उनके समर्थक “शांन्ति” के लिए नोबल पुरस्कार की मांग कर सकते हैं। कुछ दिन पहले मनमोहन सिंह को “भारत रत्न” देने की मांग भी हो चुकी है। महंगाई बढ़ाकर गरीबों का  जीना दुश्वार करने वाले मनमोहन सिंह वास्तव में “भारत-रत्न” के लायक हैं।

-बी.एल. सचदेवा

263, आई.एन.ए. मार्केट

नई दिल्ली-110023

“महान” हैं भारतीय

श्री मुजफ्फर हुसैन के आलेख “चीन में रमजान पर प्रतिबंध” में वर्णित तथ्यों की जानकारी से हैरानी हुई। पाकिस्तान का विश्वसनीय दोस्त चीन अपने यहां के उइगर मुसलमानों को मजहबी गतिविधियां करने की अनुमति भी नहीं दे रहा है। समाचार यह भी है कि अमरीका भी अपने यहां के सभी मुस्लिमों की खुफियागिरी करा रहा है। हम भारतीय सचमुच “महान” हैं कि देशघातक तत्वों को भी गले लगाए बैठे रहते हैं और उनकी अलगाववादी व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से आंखें मूंद लेते हैं।

-क्षत्रिय देवलाल

अड्डी बंगला, झुमरी तलैया, कोडरमा (झारखण्ड)

विकास पुरुष मोदी

श्री देवेन्द्र स्वरूप के आलेख “नफरत की राजनीति बनाम विकास पुरुष” एवं श्री आलोक गोस्वामी की रपट “मोदी विरोधियों को एक और झटका” के सन्दर्भ में यही कहूंगा कि लाख विरोध के बावजूद श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात को विकास के मार्ग पर दौड़ा चुके हैं। यही उनकी ताकत है। जनता उनके साथ है। विरोधी उन्हें बदनाम करने का प्रयास पिछले 10 साल से कर रहे हैं।

-वीरेन्द्र सिंह जरयाल

28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर

दिल्ली-110051

* कांग्रेसी और अन्य तथाकथित सेकुलर नरेन्द्र मोदी को राजनीतिक अछूत बनाने का प्रयास कर रहे हैं। गुजरात पर कुछ कहने से पहले कांग्रेस अपना अतीत भी झांक ले। इसी ने 1947 में देश का विभाजन कराया। 1984 में सिखों का नरसंहार किया। कांग्रेसी मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के समय गुजरात में हजारों मुसलमान मारे गए थे। यदि गोधरा में रामभक्त नहीं जलाए जाते तो गुजरात नहीं जलता।

-कालीमोहन सिंह

मंगलबाग, आरा, भोजपुर (बिहार)

टोपी विलाप

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीन दिन के उपवास और सद्भावना मिशन का कुछ कट्टरवादियों  ने नतीजा यह निकाला है कि उन्होंने एक मौलाना द्वारा दी गई टोपी नहीं पहनी। ये धृतराष्ट्र यह देखने में विफल रहे कि उन्होंने उस मौलाना द्वारा अपने गले से उतार कर पहनाई गई शाल सहर्ष अपने गले में डलबा ली। यह स्पष्ट करने के बाद भी, कि यह टोपी इबादत की निशानी है और इसे राजनीतिक मंच पर पहनना ठीक नहीं था, ये दुराग्रही अभी तक, सोते-जागते टोपी-विलाप ही किए जा रहे हैं।

-अरुण मित्र

324, राम नगर, दिल्ली-110051

घपला करें नेता, परिणाम भुगते जनता

सम्पादकीय “महंगाई ने निकाला दम” से लगता है कि संप्रग सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण महंगाई बेकाबू होती जा रही है। बिजली, गैस, पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि से तो महंगाई विकराल रूप ले चुकी है। महंगाई की मार सबसे अधिक आम आदमी पर पड़ रही है। नेता घपला करें, अपने हित साधने वाली नीतियां बनाएं, और उनका दुष्परिणाम जनता भुगते।

-देशबन्धु

आर.जेङ-127, सन्तोष पार्क, उत्तम नगर (दिल्ली)

पत्थरबाजों को मत छोड़ो

पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का एक बयान आया कि घाटी के पत्थरबाजों को आम माफी दी जाएगी। यह अच्छा कदम नहीं होगा। वास्तव में कश्मीर घाटी में जो हो रहा है उसके पीछे स्थानीय भारत-विरोधी तत्वों के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. का हाथ है। पत्थरबाजों को आज छोड़ेंगे, कल फिर वे पत्थर मारेंगे। जरूरत है पत्थरबाजों पर नकेल कसने की। कश्मीर को सेना के हवाले करके ही शान्त किया जा सकता है।

-राकेश चन्द्र वर्मा

“मातृछाया”, लालदरवाजा, मुंगेर (बिहार)

सुसंस्कारित राष्ट्र बनाओ

कोई राष्ट्र तभी उन्नति कर सकता है, जब उसकी युवा पीढ़ी को राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रप्रेम के संस्कार दिए जाएं। लेकिन वर्तमान में हमारे शिक्षा पाठ्यक्रमों में राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रप्रेम को बढ़ावा देने वाले पाठों का नितान्त अभाव है। शिक्षा पूरी करने के बाद युवा पीढ़ी का एक ही मकसद रह जाता है कि किस प्रकार से अधिक धन कमाया जाए और आरामदायक जिन्दगी जी जाए। अत: बुद्धिजीवी और राष्ट्रप्रेमी लोगों को इस दिशा में भरसक प्रयास करने चाहिए ताकि हम एक वैभव सम्पन्न, विकसित और सुसंस्कारित राष्ट्र के रूप में देश को प्रतिष्ठित कर सकें।

-सुनील वैष्णव

133, गुरुकृपा, द्रेवाली, उदयपुर (राजस्थान)

राष्ट्रीय पहचान है वन्देमातरम्

डा. सतीश चन्द्र मित्तल ने अपने लेख “फिर गूंजा वन्देमातरम्” में इतिहास के पुराने पृष्ठ खोलकर सिद्ध कर दिया है कि वन्देमातरम् केवल गीत नहीं, यह भारत की आत्मा है, भारत की राष्ट्रीय पहचान है। यह राष्ट्र को जगाने का मंत्र है। आनन्द मठ में महाराजा महेन्द्र प्रताप तथा संन्यासियों द्वारा देश पर मर मिटने की शपथ भी वन्देमातरम् द्वारा ही प्रेरित थी। पूर्ण विश्वास है कि वन्देमातरम् पुन: भारत के कण-कण में गूंजेगा।

-सोहनलाल शोरी

6/649, राम नगर, खन्ना-141401 (पंजाब)

तारीफ करिए ताजिकिस्तान की

मुस्लिम देश “ताजिकिस्तान” में मजहबी उन्माद भड़कने से बचने के लिए 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मस्जिदों में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके विरुद्ध मौलानाओं के प्रदर्शन करने पर उन्हें गिरफ्तार भी किया गया है। मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान की सरकार ने मजहबी आतंकवाद के विश्व में बढ़ते हुए खतरे को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया है। उसका मानना है कि मजहबी कट्टरता से तालिबान व अलकायदा जैसे संगठन फल फूल रहे हैं। उनका मानना है कि मस्जिदों में मौलानाओं को केवल मजहबी गतिविधियों तक ही सीमित रहना चाहिए और उनका राजनीति आदि में हस्तक्षेप अनुचित है। प्रश्न यह है कि अपनी संस्कृति व अस्मिता की रक्षार्थ जब मुस्लिम देश ताजिकिस्तान मजहबी आतंकवाद से बचने के लिए सख्त कानून बना सकता है, तो फिर हमारी सरकार भारतीय संस्कृति की रक्षार्थ क्यों नहीं कोई ठोस कानून बनाती?

-विनोद कुमार सर्वोदय

नयागंज, गाजियाबाद (उ.प्र.)

मन्दिर और श्रद्धालु

एक सनातनधर्मी के लिए मन्दिर सबसे पवित्र स्थल है। वह वहां जाता है और अपने इष्टदेव के प्रति अपनी हार्दिक श्रद्धा व्यक्त करता है। भगवान के सामने अपनी व्यथा भी प्रकट करता है और इसके बाद उसमें नवस्फूर्ति आती है। किन्तु जब कुछ स्वार्थी लोग उसकी आस्था के साथ खिलवाड़ करते है, उसके इष्टदेव के घर पर जबरन कब्जा करते हैं तो उसे बड़ा आघात लगता है। इन दिनों दिल्ली में कई मन्दिरों पर ऐसा ही हो रहा है। कालोनियों में कई गुट हैं और हर गुट स्थानीय मन्दिर पर कब्जा करना चाहता है। यह हिन्दू समाज के लिए ठीक नहीं है।

-विपिन आनन्द

सी-19, बन्दा बहादुर अपार्टमेन्ट

सेक्टर-14, रोहिणी, दिल्ली-110085

नतमस्तक संसार

स्टीव जाब्स को याद कर, नतमस्तक संसार

दुनिया को वे दे गये, जो अमूल्य उपहार।

जो अमूल्य उपहार, सुखद संवाद बनाया

एप्पल की खुशबू से सारा जग महकाया।

कह “प्रशांत” कैंसर रूपी दानव ने मारा

कम्प्यूटर का वैज्ञानिक इस रण में हारा।।

-प्रशांत

पञ्चांग

वि.सं.2068   तिथि   वार    ई. सन् 2011

कार्तिक कृष्ण 11        रवि   23 अक्तूबर, 2011

“”     “”  12        सोम   24        “”    “”

(धनतेरस)

“”     “”  13        मंगल  25        “”     “”

अमावस्या          बुध   26        “”     “”

(दीपावली, चतुर्दशी तिथि का क्षय)

कार्तिक शुक्ल 1          गुरु    27        “”     “”

(अन्नकूट, गोवर्धन पूजा)

“”     “”  2          शुक्र   28        “”     “”

“”     “”  3          शनि   29        “”     “”

 

पाठकों से निवेदन

अनेक पत्र ऐसे प्राप्त होते हैं, जिनमें केवल नाम लिखा होता है। इस स्थिति में उन पत्रों को प्रकाशित करने में कठिनाई होती है। अत: पाठकों से निवेदन है कि वे अपना पूरा नाम और पता पत्र के अंत में अवश्य लिखें। अंक से संबंधित पत्र समय पर भेजेंगे तो उन्हें स्थान देने में हमें सुविधा होगी। -सं.

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