हिंसक हस्तक्षेप
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

हिंसक हस्तक्षेप

by
Oct 8, 2011, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

देश हित में रोकना होगा कश्मीर में पाकिस्तान काहिंसक हस्तक्षेप

दिंनाक: 08 Oct 2011 15:04:03

देश हित में रोकना होगा
कश्मीर में पाकिस्तान का

 केन्द्र और प्रदेश की दोनों सरकारों के कथित दावों के अनुसार इस समय जम्मू-कश्मीर में तनिक शांति का माहौल बना है, पाकिस्तान से भेजे जाने वाले सशस्त्र घुसपैठियों की तादाद में कमी आई है, सीमा पार से संचालित किए जा रहे हिंसक आतंकवाद में इजाफा नहीं हो रहा, पाकिस्तान की कलई खुल रही है, अमरीका का भी पाकिस्तान से भरोसा उठता जा रहा है। भारत का पड़ोसी आतंकी देश पाकिस्तान कमजोर पड़ रहा है, भारत की सेना, सुरक्षा बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस पूर्णतया सतर्क है। देश की जनता निÏश्चत रहे, हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं और कश्मीर घाटी पाकिस्तान के कब्जे में कभी नहीं जा सकती।

तूफान से पहले क्षणिक शांति

इस तरह के सरकारी बयानों, आश्वासनों और सुरक्षा की गारंटी की ऊंची-ऊंची घोषणाओं से देशवासियों की आंखों में धूल झोंकने का राजनीतिक प्रयास जोरों पर है। यही पाकिस्तान की विजय है। अगर गत तीन महीनों में जम्मू- कश्मीर की सीमाओं पर हुई पाकिस्तानी घुसपैठ का जायजा लिया जाए तो साफ दिखाई देगा कि सरकारी दावों में कितना दम है। सच्चाई तो यह है कि न तो पाकिस्तान सुधरा है और न ही कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकियों ने हार मानी है। पाकिस्तान प्रेरित अलगाववादी संगठन अपनी पूरी शक्ति के साथ अपने मिशन में सक्रिय हैं और प्रदेश सरकार की उनके प्रति हमदर्दी भी अपने असली चेहरे के साथ सबके सामने है।

वर्तमान में जिस तरह के अमन चैन की लुभावनी तस्वीर प्रस्तुत की जा रही है वह एक ऐसी मृगमरीचिका है जिसकी राजनीतिक जरूरत प्रदेश की कांग्रेस समर्थित नेशनल कांफ्रेंस की सरकार को है। यह शांति तूफान आने की सूचना है जिसका संज्ञान यदि नहीं लिया गया तो जम्मू कश्मीर में पिछले 22 वर्षों से लगी आतंकी आग किसी भयानक दावानल का रूप अख्तियार कर सकती है। सरकारी लापरवाही के नतीजे खतरनाक साबित होंगे। कश्मीर को बचाने के लिए किया जा रहा ठोस और सख्त कार्रवाई का लम्बा परहेज अब तोड़ना होगा।

नई भारत विरोधी पाक रणनीति

पिछले तीन महीनों में जम्मू-कश्मीर की सीमा पर पाकिस्तान की ओर से आतंकी घुसपैठियों को भारत में भेजने के दो सौ से भी ज्यादा छोटे बड़े प्रयास हो चुके हैं। सैन्य सूत्रों के अनुसार केवल अगस्त मास में ही घुसपैठ के ऐसे 80 प्रयासों को भारतीय जवानों ने विफल किया है। सीमा पर हुई इन मुठभेड़ों में पाकिस्तान के सैनिकों ने घुसपैठियों की सुरक्षा के लिए दिए जाने वाले “कवरिंग फायर” में स्वचालित मशीन गनों के साथ तोपों और राकेटों जैसे बड़े युद्धक हथियारों का भी खुला इस्तेमाल किया है। भारतीय सुरक्षा चौकियों को भी निशाना बनाया जाता है। भारतीय सेना के अधिकारी और जवान शहीद भी होते हैं। पाकिस्तान का यह दुस्साहस बढ़ता जा रहा है।

भारतीय सैन्याधिकारियों के अनुसार जम्मू- कश्मीर में आतंकी दहशत को न केवल जिंदा रखने, अपितु इसके आकार में वृद्धि करने के लिए अब पाकिस्तान सरकार, सेना, आईएसआई और आतंकी संगठन संयुक्त कार्रवाई की योजना बना रहे हैं। भारत में सशस्त्र घुसपैठिए भेजने के लिए जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों का ग्राफ बढ़ाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने भी आई.एस.आई. को खुली छूट दे दी है। पाकिस्तान की इस ताजा भारत विरोधी रणनीति से कश्मीर समस्या पहले से भी कहीं ज्यादा गहरा जाएगी ऐसे संकेत सीमा पार की कट्टरपंथी मजहबी, सैनिक और सरकारी हलचलों से मिल रहे हैं।

“ज्वाइंट कोर्डिनेशन ग्रुप” का गठन

पाकिस्तान विशेषतया पाक अधिकृत कश्मीर में सक्रिय आतंकी गुटों के कमांडरों की जम्मू- कश्मीर में सक्रिय आतंकी नेताओं के साथ हुई बातचीत को भारतीय सैन्य अधिकारियों ने कई बार अपने वैज्ञानिक रिसीवरों पर पकड़ा है। इसी तरह सीमा पार से कश्मीर घाटी में घुसपैठ करने के बाद जिंदा पकड़े गए आतंकियों से भी इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है। आईएसआई ने अब दो बड़े आतंकी संगठनों लश्कर ए तोएबा और जैशे मुहम्मद में मतभेदों को समाप्त करवाकर एक बड़ा आतंकी गठजोड़ तैयार करने की मुहिम छेड़ी है।

इसी मुहिम के तहत पाकिस्तान सरकार की सहमति से कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई ने पाकिस्तानी सेना और आतंकी गुटों को मिलाकर एक साझा समन्वय समूह (ज्वाइंट कोर्डिनेशन ग्रुप) का गठन कर दिया है। यह समूह आतंकी युवकों की भर्ती, प्रशिक्षण, भारत में घुसपैठ और हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने तक की सारी क्रमिक व्यवस्था का संचालन करेगा। इस प्रकार पाकिस्तानी सेना का भारत के भीतरी इलाकों खासतौर पर जम्मू कश्मीर में हिंसक हस्तक्षेप बढ़ने का खतरा है। इस तथ्य की अनेदखी राष्ट्रहित में नहीं होगी।

शिविरों में गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण

अभी हाल ही में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के मच्छेल सेक्टर में भारतीय सेना द्वारा पकड़े गए एक पाकिस्तानी घुसपैठिए नसीर अहमद राथर ने पूछताछ के दौरान जानकारी दी है कि पाकिस्तान में मनशेरा नामक स्थान पर एक बहुत बड़ा प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। इस आतंकी शिविर में पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी आते-जाते हैं। उनकी देखरेख में यहां हथियारों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद इन्हें जम्मू-कश्मीर की सीमा के पास पाकिस्तान के किसी सीमांत क्षेत्र में सुरक्षित स्थान पर सैनिक शिविरों में रखा जाता है। बाद में ठीक सोचे- समझे समय पर इन्हें नियंत्रण रेखा के रास्ते से कश्मीर घाटी में धकेलने का सैनिक अभियान चलाया जाता है।

आतंकी गुटों में तालमेल का प्रयास

भारतीय क्षेत्रों में पाकिस्तानी सशस्त्र घुसपैठियों को भेजने की सारी जिम्मेदारी अब पाकिस्तान के फौजी अधिकारियों ने अपने हाथों में ले ली है। पाकिस्तानी घुसपैठिए नसीर अहमद ने तो यहां तक रहस्योद्घाटन किया है कि लश्करे तोएबा और जैशे मुहम्मद को आदेश दिए गए हैं कि वे एक-दूसरे के आतंकी अभियानों का न केवल सहयोग करें, बल्कि प्रत्येक अन्य गुट के युवाओं में तालमेल बिठाने का काम भी करें। इस नई रणनीति के अनुसार आने वाली सर्दियों से पहले कश्मीर घाटी में पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकी युवकों की एक भारी खेप भेजने की योजना है।

पाकिस्तान सरकार की नाक के नीचे चल रही इन भारत विरोधी गतिविधियों को पाकिस्तान के सेनाधिकारी और आईएसआई के बड़े कमांडर संचालित कर रहे हैं, यह बात अब कोई रहस्य नहीं रही। इन सभी गतिविधियों को सुचारू रूप से गति प्रदान करने के लिए अथाह धन की व्यवस्था भी आईएसआई करती है। सारा संसार जानता है कि अरब देशों से हवाला के माध्यम से आईएसआई के पास धन पहुंचता है। यहां तक कि अमरीका द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही बेहिसाब आर्थिक सहायता का भी ज्यादातर हिस्सा आतंकी संगठनों तक पहुंच जाता है। इस सच्चाई को अमरीका सहित सारी दुनिया अच्छी तरह जानती है।

कश्मीर में पाकपरस्त तत्वों की भरमार

परिस्थितियां इसलिए भी भयावह मोड़ पर पहुंच चुकी हैं कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान परस्त तत्वों की अनियंत्रित भीड़ है। इनके समर्थन और मदद से आतंकियों का जमावड़ा बनना तो स्वाभाविक है ही। हुर्रियत कांफ्रेंस, तहरीके हुर्रियत, ज.क.लिबरेशन फ्रंट और फ्रीडम पार्टी जैसे बीसियों अलगाववादी संगठन पाकिस्तान सरकार और आईएसआई के सक्रिय एजेंटों की तरह काम करते हैं। इन संगठनों को भी बाहर के मुस्लिम देशों से आर्थिक मदद मिलती है। भारत के सरकारी वार्ताकार भी इन अलगाववादी नेताओं की ही बात सुनने उनके घरों में जाते हैं। इन वार्ताकारों ने तो जेलों में जाकर देशद्रोही आतंकियों से आजादी का रोडमैप तैयार करने का निवेदन करने में भी कोई परहेज नहीं किया। इन हलचलों का आखिर क्या अर्थ है?

इधर जम्मू-कश्मीर में कश्मीर केन्द्रित राजनीतिक दलों के इरादों पर कई बार सवालिया निशान लग चुके हैं। मुख्य विपक्षी दल पीडीपी के अलगाववादी एजेंडे को पूरा देश जानता है। सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस भी जम्मू-कश्मीर पर भारत के संवैधानिक हकों को सीमित करके स्वायत्तता की पक्षधर है। वास्तव में तो यह दोनों राजनीतिक दल अपने अपने ढंग से अलगावादी एजेंडे पर ही सक्रिय हैं। क्या यह अलगाववाद का समर्थन नहीं है?

“अलगाववादी” मुख्यमंत्री

अब तो जम्मू-कश्मीर के हालात और भी ज्यादा बदतर हो गए हैं। वहां के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले के मुख्य सूत्रधार अफजल को फांसी पर लटकाने के पक्ष में नहीं हैं। उनके अनुसार एक कश्मीरी युवक को देशद्रोह की इस सजा से कश्मीर में हिंसा भड़क उठेगी। पाकिस्तान की आईएसआई की योजनानुसार भारत की संसद पर हमला करवाने के जिम्मेदार व्यक्ति को मौत की सजा मिलने पर कश्मीर में होने वाली प्रतिक्रिया का रहस्य क्या है? क्या इसका अर्थ यह नहीं निकलता कि आईएसआई, आतंकी संगठन, अफजल और कश्मीर के एक विशेष समुदाय में तालमेल है?

समाचारों से प्राप्त संकेतों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान का हिंसक हस्तक्षेप आने वाले दिनों में एक भयानक आकार ले सकता है। कश्मीर केन्द्रित राजनीतिक दल और सभी अलगाववादी संगठन इस भारत विरोधी माहौल की आग में मजहबी घी डालेंगे। वहां की कांग्रेस समर्थित नेशनल कांफ्रेंस की सरकार इस वातावरण को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करेगी इसमें भी कोई संदेह नहीं है।

पाकिस्तान के निशाने पर पूरा भारत

पाकिस्तान में हाल ही में गठित सेना, आईएसआई और आतंकी संगठनों के “ज्वाइंट कोर्डिनेशन ग्रुप” का निशाना मात्र जम्मू-कश्मीर नहीं होगा। कश्मीर घाटी तो इस नए खतरे का पहला पड़ाव है। आतंकवादी देश पाकिस्तान का निशाना तो पूरा भारत है। पिछले 22 वर्षों में अब तक जितने भी आतंकी हमले भारत में हुए हैं सबके तार कश्मीर घाटी और पाकिस्तान से जुड़े हुए पाए गए। इसलिए आने वाली सर्दियों से पहले कश्मीर घाटी में पाकिस्तानी घुसपैठियों के भारी जमावड़े का संबंध पूरे देश की भीतरी सुरक्षा से है।

एक दशक पूर्व देश की संसद पर हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले के बाद सरकार द्वारा घोषित आरपार की जंग अथवा आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ दो टूक फैसले पर अमल करने का अब बहुत ही उपयुक्त समय है। आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पूरे विश्व के सामने बेनकाब हो चुका है। अगर हमने अब भी ठोस, सख्त और व्यावहारिक रणनीति नहीं अपनाई तो कश्मीर घाटी सहित समूचे देश में बढ़ रहा पाकिस्तानी हिंसक हस्तक्षेप हमारी अखंडता पर हावी हो जाएगा।द

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies