समस्याओं के समाधान के लिए सम्पूर्ण भारत को खड़ा होना पड़ेगा
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जम्मू में रा.स्व.संघ का एकत्रीकण
-मोहनराव भागवत, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
“समस्याएं अनेक हैं, परन्तु संघ के स्वयंसेवक की यह विशेषता है कि वह उनके उपाय पर ही विचार करता है। इन समस्याओं का ऊपरी तौर पर इलाज करने से ये दबने वाली नहीं हैं, हमको इनके मूल समाधान में जाना होगा। राष्ट्र का जीवन सतत् बने इसके लिए हमें अपने घर व आस-पड़ोस में वातावरण निर्माण करना होगा। हमें अपने को साधना पड़ेगा, तभी समस्याओं का समाधान होगा”। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत 25 सितम्बर को रा.स्व.संघ द्वारा जम्मू में आयोजित स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्री भागवत ने आगे कहा कि आज भारत की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं। एक ओर सीमा पार से आक्रमण-घुसपैठ तथा दूसरी ओर भारत के उत्तर में चीन है, जो बीच-बीच में धमकियों भरी घुड़कियां देता रहता है। चीन ने भारत को चारों ओर से घेर लिया है और उसने भारत से शत्रुता करने वाले पाकिस्तान से भी दोस्ती कर ली है। इसके अलावा देश के पूर्वी हिस्से की सीमाएं भी सुरक्षित नहीं हैं। बंगलादेश की सीमा पर तो कहीं-कहीं घर की रसोई बंगलादेश में और रहने का कमरा भारत में है। पशुओं की तस्करी, नकली नोट, अस्त्र-शस्त्रों व मादक पदार्थों का धंधा इस क्षेत्र में खूब फल-फूल रहा है। दूसरी ओर भारत के अंदर भी आतंक, नक्सलवाद, माओवाद की समस्याएं हैं। जिन्हें समाज को दिश्ाा देनी चाहिए, वे कुर्सी की लड़ाई में मग्न हैं। भ्रष्टाचार के कारण सरकार की साख समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि इन सब समस्याओं के उपाय का विचार करने पर ध्यान में आएगा कि इन सबका समाधान एक ही है। इसके लिए भारत को खड़ा होना होगा। समाज में परिवर्तन करना होगा, एकता लानी होगी। हिन्दुत्व के अनुरूप समाज को खड़ा किए बिना समस्याओं का हल नहीं हो सकता। सम्पूर्ण समाज का बल सत्य के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। भारत दुनिया के लिए आवश्यक है, दुनिया जीवित रहे इसलिए भारत को यशस्वी होना ही है। भारत के समाप्त होने का मतलब है कि दुनिया का विनाश, इसलिए भारत को खड़ा होना ही पड़ेगा। भारत के नाम से हिन्दू जुड़ा है और यहां रहने वाले सभी प्रकार के समाज के पूर्वज हिन्दू ही हैं। “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस विधेयक में जिस तरह के प्रावधान शामिल किए गए हैं, वे सही नहीं हैं। भारत में झगड़ा चलता रहे, इसी उदेश्य से इसे तैयार किया गया है। एक देश के सब नागरिकों में यह भेदभाव करता है। जिस दिमाग की यह उपज है, वह दिमाग राष्ट्रभक्ति वाला हो ही नहीं सकता। कुछ समय पूर्व इस विधेयक की चर्चा राष्ट्रीय एकता परिषद में हुई और भारी विरोध के कारण प्रधानमंत्री को कहना पड़ा कि इसे बदल कर लाएंगे। श्री भागवत ने कहा कि इसे बदलने की भी क्या जरूरत है, क्योंकि इसके पीछे इरादा देश को तोड़ने का है, अपने स्वार्थ की रोटी सेंकने का है। इससे समाज में जो दूरियां पैदा होंगी उससे लाभ लेकर मतांतरण करने का इरादा है।
जम्मू व लद्दाख के साथ हो रहे भेदभाव पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत के किसी राज्य में, किसी के साथ भी भेदभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले तो होना यह चाहिए कि भेदभाव बंद हो और अगर नहीं होता तो फिर ऐसी परिस्थितियां बनानी चाहिए कि भेदभाव हो ही न सके। आतंकवाद की घटनाओं में संघ का नाम घसीटे जाने पर उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी को मारना नहीं सिखाता। यह सरासर षडयंत्र है और केवल राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा किया जा रहा है। इसमें विदेशी शक्तियों का हाथ भी हो सकता है, क्योंकि उन्हें यहां मतांतरण कराना है। जब से वर्तमान सरकार सता में आई है, तभी से यह षड्यंत्र चल रहा है और अब इसे भारत की जनता अच्छी तरह समझ चुकी है। इन आरोपों में कोई तथ्य नहीं है और हमें तो लगता है कि सत्ता में बैठे कुछ लोगों ने ही अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर यह षड्यंत्र रचा है, लेकिन यह चलेगा नहीं। षड्यंत्र रचने वालों को लेने के देने पड़ जाएंगे। इस अवसर पर प्रांत संघचालक ब्रि. सुचेत सिंह, विभाग संघचालक डा. गौतम मैंगी व महानगर संघचालक श्री यशपाल पुरी विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने व्यायामयोग तथा सूर्य नमस्कार का सामूहिक प्रदर्शन किया एवं घोषवादकों ने अपनी रचनाओं से उपस्थित गण्यमान्य नागरिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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