अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्राओं से भेदभाव
July 17, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्राओं से भेदभाव

by
Oct 1, 2011, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 01 Oct 2011 17:57:38

एक तरफ तो देशभर में महिला सशक्तिकरण और जगह-जगह उन्हें आरक्षण देने की बात की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ देश के प्रसिद्ध अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के महिला कालेज की छात्राओं को विश्वविद्यालय के मुख्य और एशिया के सर्वश्रेष्ठ मौलाना आजाद पुस्तकालय में जाने तक की अनुमति नहीं है। जिसके चलते छात्राएं अपने आपको अन्य छात्रों के मुकाबले उपेक्षित महसूस कर रही हैं। इस संबंध में कालेज की छात्राओं और शिक्षकों ने कई बार आवाज उठाई, लेकिन आज तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के महिला कालेज में करीब 3 हजार छात्राएं स्नातक स्तर के विभिन्न पाठयक्रमों में हैं, जोकि पढ़ाई के लिए स्वयं खरीदी हुई तथा कालेज के पुस्तकालय की पुस्तकों पर निर्भर हैं। कालेज के पुस्तकालय के संबंध में छात्राआंे तथा शिक्षक दोनों का एक ही मत है कि यहां के पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या तो कम है ही, नई पुस्तकों की भी कमी है। इसी समस्या के चलते कालेज की छात्राओं ने अनेक बार विश्वविद्यालय प्रशासन से मुख्य पुस्तकालय का उपयोग करने की अनुमति देने की मांग की, परन्तु प्रशासन ने छात्राओं की इस मांग को कभी गंभीरता से नहीं लिया। करीब 1 साल पहले इसी मांग से संबंधित सैकड़ों छात्राओं तथा शिक्षकों द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन भी कुलपति को भेजा गया था, परन्तु प्रशासन ने छात्राओं की इस मांग को कोई अहमियत नहीं दी। हालांकि स्नातकोत्तर एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की छात्राओं के लिए ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है।

कालेज की छात्राओं में इस समस्या को लेकर रोष तो व्याप्त है, लेकिन कोई भी इसके विरोध में खुलकर सामने आने को तैयार नहीं है। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कालेज की एक छात्रा ने कहा कि कालेज के पुस्तकालय में पुस्तकों के बहुत पुराने संस्करण हैं, जब तक यहां नई पुस्तक आती है, तब तक बाजार में कोई और नई पुस्तक आ चुकी होती है। वहीं विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तकों के नए-नए संस्करण तो होते ही हैं, पुस्तकें संख्या में भी ज्यादा होती हैं। परन्तु हमें वहां जाने की अनुमति नहीं है, जिसके कारण हमें बहुत दिक्कत होती है। छात्रा का तो यहां तक कहना है कि विश्वविद्यालय हमारे साथ भेदभाव कर रहा है। छात्रा का कहना है कि कुछ लोग कहते हैं कि शायद हमें स्नातक का छात्र तथा कालेज का अपना पुस्तकालय होने की वजह से अनुमति नहीं मिल रही, लेकिन मुख्य पुस्तकालय में अन्य कालेज के स्नातक के पुरुष छात्रों को जाने की अनुमति है। यह भेदभाव नहीं, तो क्या है? एक अन्य छात्रा सोनम (बदला हुआ नाम) का कहना कि पिछले साल जब हमने कुलपति को मुख्य पुस्तकालय में जाने की अनुमति के संबंध में ज्ञापन दिया था तो उन्होंने कहा था कि इस बारे में विचार किया जाएगा, लेकिन इस संबंध में आज तक उनका कोई जवाब नहीं आया। छात्रा का कहना है कि विश्वविद्यालय हमें पूरे दिन के लिए अनुमति न देना चाहे तो न दे, लेकिन कुछ घंटे के लिए तो छूट दे ही सकता है, ताकि हम वहां जाकर अपने जरूरत की सामग्री ढूंढ सकें।

कॉलेज के प्राध्यापक डा. सनाउल्लाह नदवी का कहना है कि यहां के पुस्तकालय में पुस्तकें तो हैं, लेकिन नई पुस्तकों का अभाव है। किसी छात्रा को पाठ्यक्रम से संबंधित कोई विशेष्ा कार्य देकर कहा जाए कि जाओ पुस्तकालय में जाकर ढूंढो तो उसे वहां निराशा हाथ लगती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए हर कार्य किया जाना चाहिए। इसके साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। जहां तक मुख्य पुस्तकालय के इस्तेमाल की बात है तो प्रशासन अड़े न और जो अड़चनें छात्राओं को अनुमति देने में आ रही हैं, उन्हें दूर करे। कालेज की ही एक अन्य प्राध्यापिका सुश्री नाजिया हसन का कहना है कि अगर कालेज की छात्राओं को मुख्य पुस्तकालय में जाने की अनुमति मिल जाए तो यह उनके विकास के लिए अच्छा रहेगा। प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर यह अधिकार उन्हें क्यों न मिले?

छात्राओं की मांग का समर्थन विश्वविद्यालय छात्रसंघ तथा छात्र संगठनों द्वारा भी किया जा रहा है। छात्रसंघ सचिव आमिर कुतुब का कहना है कि लगभग 2 महीने पहले ही हमने इस विष्ाय से संबंधित एक ज्ञापन विश्वविद्यालय कुलपति को दिया है। हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि प्रशासन इसका कोई न कोई हल जरूर निकालेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम इसके लिए आंदोलन भी करेंगे। वहीं अभाविप, पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष डा. मानवेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां महिला एक राष्ट्रपति हो, वहां छात्राओं के साथ इस तरह का भेदभावपूर्ण रवैया समानता के अधिकार का खुला उल्लंघन है। हम इस संबंध में जिला अधिकारी के जरिए माननीय राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन भेजकर मांग करेंगे कि वे इस विषय में हस्तक्षेप कर छात्राओं को उनका अधिकार दिलाएं।   

छात्राओं की मांग का प्राध्यापक, छात्रसंघ तथा छात्र संगठनों द्वारा समर्थन करने के बावजूद प्रशासन को छात्राओं की मांग अनुचित लग रही है। इस संबंध विश्वविद्यालय कुलपति से बात करने की कोशिश की गई, परन्तु उनसे बात नहीं हो सकी। विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी राहत अबरार तथा डीन छात्र कल्याण एनुल हक दोनों का ही कहना है कि जब उनका अपना पुस्तकालय है तो वे यहां क्यों आना चाहती हैं। दोनों को ही छात्राओं की मांग बेवजह लगती है।

इस सबके बीच प्रश्न उठता है कि क्या छात्राओं के साथ यह भेदभाव होता रहेगा? क्यांेकि विश्वविद्यालय प्रश्ाासन को तो इनकी मांग बेवजह लगती है या फिर देश की कोई उच्च संस्था हस्तक्षेप करके इन्हें इनका अधिकार दिलाएगी, जोकि जायज है!

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

PM मोदी का मिशन : ग्लोबल साउथ के नेतृत्व के लिए तैयार भारत

मदरसे के नाम पर चंदा मांगता था याकूब

ऑपरेशन कालनेमि: आठ और गिरफ्तार, मदरसे के नाम पर चंदा वसूलता था याकूब, सख्ती हुई तो उत्तराखंड से भाग रहे ‘कालनेमि’

बारिश के दौरान सुबह खाली पेट हल्दी वाला पानी पीने के फायदे

बोरोप्लस के भ्रामक विज्ञापन को लेकर इमामी कंपनी पर लगा जुर्माना

‘विश्व की नंबर वन क्रीम’ बताना बोरोप्लस को पड़ा महंगा, लगा 30 हजार का जुर्माना

एयर डिफेंस सिस्टम आकाश

चीन सीमा पर “आकाश” का परीक्षण, ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई थी भारत की ताकत

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

10 लाख लोगों को मिलेगा मुफ्त AI प्रशिक्षण, गांवों को वरीयता, डिजिटल इंडिया के लिए बड़ा कदम

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

PM मोदी का मिशन : ग्लोबल साउथ के नेतृत्व के लिए तैयार भारत

मदरसे के नाम पर चंदा मांगता था याकूब

ऑपरेशन कालनेमि: आठ और गिरफ्तार, मदरसे के नाम पर चंदा वसूलता था याकूब, सख्ती हुई तो उत्तराखंड से भाग रहे ‘कालनेमि’

बारिश के दौरान सुबह खाली पेट हल्दी वाला पानी पीने के फायदे

बोरोप्लस के भ्रामक विज्ञापन को लेकर इमामी कंपनी पर लगा जुर्माना

‘विश्व की नंबर वन क्रीम’ बताना बोरोप्लस को पड़ा महंगा, लगा 30 हजार का जुर्माना

एयर डिफेंस सिस्टम आकाश

चीन सीमा पर “आकाश” का परीक्षण, ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई थी भारत की ताकत

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

10 लाख लोगों को मिलेगा मुफ्त AI प्रशिक्षण, गांवों को वरीयता, डिजिटल इंडिया के लिए बड़ा कदम

केंद्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंज़ूरी दी है।

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंज़ूरी, कम उत्पादन वाले 100 जिलों में होगी लागू

अमृतसर : हथियारों और ड्रग्स तस्करी में 2 युवक गिरफ्तार, तालिबान से डरकर भारत में ली थी शरण

पंजाब : पाकिस्तानी जासूस की निशानदेही पर एक और जासूस आरोपित गिरफ्तार

छांगुर का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बेनकाब : विदेशों में भी 5 बैंक अकाउंट का खुलासा, शारजाह से दुबई तक, हर जगह फैले एजेंट

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies