नफरत की राजनीति बनाम विकास पुरुष
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

नफरत की राजनीति बनाम विकास पुरुष

by
Sep 28, 2011, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मंथन

दिंनाक: 28 Sep 2011 14:49:41

देवेन्द्र स्वरूप

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी मीडिया में सर्वाधिक चर्चित राजनेता बन गये हैं। एक ओर मुस्लिम वोट बैंक को रिझाने के लिए नफरती राजनीति के सौदागर पिछले दस साल से 2002 के गुजरात दंगों का राग अलापकर नरेन्द्र मोदी पर राक्षस की छवि आरोपित करने की षड्यंत्रकारी राजनीति में जुटे हुए हैं। झूठे गवाह, झूठे शपथ पत्र, झूठे मुकदमे, झूठे तथ्योद्घाटन के सहारे वे मीडिया में ऐसा वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि मानो स्वाधीन भारत के इतिहास में गुजरात के दंगे पहली बार हुए हों, और उन दंगों को रोकने में कोई सरकार पहली बार विफल रही हो। 1947 से अब तक हुए सैकड़ों दंगों को, जब केन्द्र और राज्य दोनों जगह कांग्रेस की सरकारें थीं, वे पूरी तरह भुला देते हैं। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल के अंतिम चरण में मुरादाबाद, मेरठ (मलियाना) और भागलपुर के भयंकर दंगों का वे जिक्र तक नहीं करते। इसी गुजरात में 1969 का बड़ा दंगा और गोधरा में दंगों का लम्बा सिलसिला वे याद नहीं करना चाहते। गुजरात के 2002 के दंगों को इस तरह पेश किया जाता है कि मानो मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए मुसलमानों के नरमेध का षड्यंत्र रचा, मानो उन्होंने पुलिस और प्रशासन को दंगा भड़काने के आदेश दिये। वे गोधरा में 59 हिन्दुओं को जिंदा जला देने की बर्बर घटना और उसकी हिन्दू समाज पर होने वाली सहज प्रतिक्रिया को पूरी तरह भुला देते हैं।

मोदी का गुजरात

 

क्या वे सचमुच मुस्लिम समाज के हितचिंतक हैं? क्या वे गुजरात के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते हैं? यदि ऐसा है तो क्यों 2002 से अब तक दो विधानसभा, दो लोकसभा चुनावों, राज्य भर में स्थानीय निकायों के चुनावों, अनेक उपचुनावों में वे गुजरात के मुस्लिम समाज को अपने साथ खड़ा नहीं कर पा रहे हैं? क्यों मुस्लिम बहुल चुनाव क्षेत्रों में भी भाजपा प्रत्याक्षी जीत रहे हैं? क्यों मौलाना वस्तानवी जैसे प्रमुख उलेमा नरेन्द्र मोदी के प्रशंसक हैं? वस्तुत: नरेन्द्र मोदी और भाजपा विरोधी प्रचार का मुख्य उद्देश्य गुजरात के बाहर के मुसलमानों के मन में नफरत का जहर भरकर उनके थोक वोट प्राप्त करना है। इस गुजराती समाज को विभाजित करने के उनके सब प्रयास असफल रहे हैं। वहां न वे वनवासियों को तोड़ पाये, न दलित-सवर्ण दीवार खड़ी कर पाए, न जातिवाद का इस्तेमाल कर पाये। छह करोड़ गुजराती समाज एकजुट होकर भाजपा और नरेन्द्र मोदी के साथ खड़ा है। सोनिया, राहुल और दिग्विजय गुजरात में पूरी ताकत लगाकर भी नरेन्द्र मोदी को हिला तक नहीं पाये। इसी सत्य को केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भड़काये गये आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने नरेन्द्र मोदी के नाम अपने खुले पत्र में किन्तु संजीव भट्ट का झूठ तो इसी से स्पष्ट है कि गुजरात का कोई मुस्लिम नेता ध्रुवीकरण की भाषा नहीं बोल रहा है, उल्टे मौलाना वस्तानवी जैसे प्रमुख नेता मुसलमानों की शिक्षा के विकास में नरेन्द्र मोदी के योगदान की सराहना कर रहे हैं। नरेन्द्र मोदी ने स्वयं भी अपने व्ब्लागव् में शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिभाशाली मुस्लिम विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते हुए गुजराती मुस्लिम छात्राओं की प्रगति और लगन की सराहना की। इस व्ब्लागव् को तो सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की प्रतिक्रिया नहीं ही कहा जा सकता, क्योंकि वह निर्णय 12 सितम्बर को आया जबकि ये ब्लाग 1 और 2 सितम्बर को लिखे गये। इन व्ब्लागोंव् में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि छह करोड़ गुजरातियों में मुस्लिम समाज भी आता है और उनके बिना गुजरात की प्रगति अधूरी रहेगी।

 

नफरत के ये सौदागर

 

पर साम्प्रदायिक नफरत के सौदागरों को लगता है कि जहां गुजरात को जीतने के लिए नरेन्द्र मोदी को गिराना बहुत आवश्यक है, वहीं गुजरात के बाहर मुस्लिम वोट बैंक को रिझाने के लिए 2002 के दंगों के बारे में झूठा प्रचार और नरेन्द्र मोदी की राक्षसी छवि को प्रचारित करना जरूरी है। इसलिए भाजपा के राजनीतिक उभार को रोकने के लिए अगर पहले 1992 की बाबरी ध्वंस की घटना का राग दिन-रात अलापा जाता था तो 2002 से गुजरात दंगों का राग शुरू हो गया। सोनिया कांग्रेस से लेकर सभी छुटभैय्या दलों ने इस राग को अपना लिया। लालू यादव और रामविलास पासवान ने बिहार में गुजरात दंगों के पोस्टर लगाए, लालू यादव ने रेलमंत्री बनते ही गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में 59 कारसेवकों को जिंदा जलाने का दोषी स्वयं कारसेवकों को ही ठहराने के लिए एक बनर्जी समिति बना दी। उनके इस लगातार झूठे प्रचार का गुजरात के बाहर कट्टरपंथी मुस्लिम नेतृत्व पर जरूर असर हुआ है। दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम ने अण्णा हजारे के आंदोलन से मुसलमानों के अलग रहने के पक्ष में एक ही तर्क दिया कि उन्होंने नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा क्यों की? दारुल उलूम (देबबंद) ने मौलाना वस्तानवी को मोहतमीन (कुलपति) पद से केवल इसलिए हटा दिया कि उन्होंने नरेन्द्र मोदी की तारीफ की। पढ़े लिखे, वयोवृद्ध नेता सैयद शहाबुद्दीन ने साप्ताहिक मेनस्ट्रीम (27 अगस्त 2011) में लेख लिखा कि वस्तानवी को इस पद से हटाया जाना बिल्कुल उचित था क्योंकि गुजरात के मुसलमानों की आर्थिक और शैक्षणिक प्रगति का श्रेय उन्होंने नरेन्द्र मोदी को दे दिया। इन्हीं शहाबुद्दीन की बेटी बिहार में जनता दल (यू) के टिकट पर भाजपा के सहयोग से विधायक चुनी गयी हैं और मंत्री भी हैं। भाजपा के बारे में उनके अनुभवों पर शहाबुद्दीन मौन क्यों हैं? आम मुसलमान के मन में नरेन्द्र मोदी और भाजपा के बारे में इतना जहर भरा गया है कि भाजपा के साथ गठबंधन करके दो बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले नीतीश कुमार को भी डर लगा कि यदि नरेन्द्र मोदी को बिहार में चुनाव प्रचार के लिए बुलाया गया तो कहीं लालू, पासवान और राहुल मुस्लिम मतदाताओं को गुमराह करने में सफल न हो जाएं। इनकी नफरती राजनीति का नमूना तो फारबिसगंज में 3 जून को पुलिस से संघर्ष में मारे गये तीन मुसलमानों के सवाल को अखिल भारतीय बनाने की उनकी जी-तोड़ कोशिशों से सामने आ गया। पहले पासवान वहां पहुंचे, फिर शबनम हाशमी महेश भट्ट को लेकर पहुंचीं, फिर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत पहुंचे, पीछे-पीछे राहुल गांधी और अब लालू यादव ने फारबिसगंज में मार्च निकाला। अभी तक ये कोशिशें परवान नहीं चढ़ पायी हैं। पर, इस घटना से उनकी राजनीति का चरित्र नंगा हो जाता है।

 

हर वार बेकार

 

चुनाव राजनीति में नरेन्द्र मोदी को परास्त करने में बार-बार की असफलता के बाद अब उन्हें कानूनी जाल में फंसाने की कोशिशें चल रही हैं। गुलबर्ग सोसायटी में कांग्रेसी सांसद अहसान जाफरी की मृत्यु के लिए सीधे-सीधे नरेन्द्र मोदी को दोषी ठहराते हुए एक याचिका उनकी विधवा जाकिया जाफरी के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर करायी गयी, उधर केन्द्रीय गृह मंत्रालय की शह पर पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट ने झूठा बयान दे दिया कि 27 फरवरी की रात को मुख्यमंत्री आवास पर बैठक हुई जिसमें मुख्यमंत्री ने खुद मुसलमानों के कत्लेआम का आदेश दिया। संजीव भट्ट ने कहा कि मैं उस बैठक में मौजूद था जबकि अनेक प्रमाणों से सिद्ध हो गया कि वे वहां नहीं थे। यह भी सिद्ध हो गया कि वे केन्द्रीय गृहमंत्रालय और गुजरात के कांग्रेसी नेताओं की शह पर झूठ बोल रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने तीन बार विशेष जांच दल का गठन करवाया। उनकी रपटों को स्वयं देखा और अन्ततोगत्वा सोमवार (12 सितम्बर) को नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देने की याचिका को खारिज कर दिया। पूरे मामले को पुन: निचली अदालत के विचारार्थ भेज दिया।

 

सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के लिए नरेन्द्र मोदी ने ईश्वर को धन्यवाद दिया और गुजरात में शांति तथा सौहार्द की स्थापना के लिए अपने 61वें जन्मदिन पर 17 सितम्बर से अहमदाबाद विश्वविद्यालय कन्वेंशन सेंटर में तीन दिन का उपवास रखकर सद्भावना मिशन आरंभ करने की घोषणा की। नरेन्द्र मोदी ने गुजरातवासियों के नाम खुला पत्र भी लिखा। मुख्यमंत्री के इस पत्र का स्वागत करने की बजाय सोनिया कांग्रेस की ओर से शंकर सिंह वाघेला ने भी तीन दिन का जवाबी अनशन करने की घोषणा कर दी। क्या वाघेला का विश्वासघाती चरित्र गुजरात की जनता भूल सकती है? जो वाघेला सत्ता के लोभ में अपनी पार्टी का न हुआ, अपने मित्र केशुभाई पटेल का न हुआ, केशुभाई की अमरीका यात्रा के समय उनकी पीठ पीछे उनके मुख्यमंत्री पद को हड़पने के लिए षड्यंत्र रचने लगा, उस षड्यंत्र को नरेन्द्र मोदी ने ही विफल किया था। कहां एक निष्ठावान कार्यकत्र्ता और कहां यह विश्वासघाती? दल निष्ठा और विश्वासघात का यह टकराव रोचक है।

 

बढ़ता गुजरात, बढ़ती विश्वसनीयता

 

एक ओर नफरत के व्यापारी नरेन्द्र मोदी के छवि ध्वंस में लगे हैं, दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी की प्रशासकीय क्षमता एवं योजना कुशलता ने गुजरात को विकास का मापदंड बना दिया है। अनेक राज्य सरकारें गुजरात माडल का अनुकरण कर रही हैं। केन्द्र सरकार के कई मंत्रालय भी समय समय पर गुजरात की योजनाओं की प्रशंसा करते रहे हैं। स्वयं सोनिया के राजीव गांधी फाउंडेशन ने एक बार गुजरात की आर्थिक प्रगति का स्तवन कर डाला, जिसे हजम करना सोनिया के लिए कठिन हो गया। किसी राज्य में आंतरिक शांति और कुशल प्रशासन का सबसे बड़ा प्रमाण है कि उद्योग जगत उसकी ओर आकर्षित हो और वहां पूंजी निवेश करने के लिए लालायित हो। गुजरात इसका उदाहरण है। रतन टाटा ने अपनी नैनो कार के कारखाने को पश्चिमी बंगाल के उपद्रवग्रस्त सिंगूर से हटाकर गुजरात में स्थापित करना सुरक्षित माना। अब हरियाणा के मानेसर में मारुति कार का कारखाना श्रमिकों की हड़ताल से छुटकारा पाने के लिए गुजरात में जाने की कोशिश कर रहा है। भारती ग्रुप के सुनील मित्तल और रिलायंस के अनिल अंबानी ने तो बहुत पहले नरेन्द्र मोदी में भारत के भावी प्रधानमंत्री की क्षमताएं देख लीं थी और उन्हें सार्वजनिक रूप से कहा भी। पिछले ही सप्ताह वल्र्ड बैंक ने गुजरात को अनुकरणीय बताया। चीन भी गुजरात की प्रगति से प्रभावित है और उसने गुजरात माडल की सार्वजनिक प्रशंसा की।

 

अब एक सितम्बर को अमरीकी वैज्ञानिकों के महासंघ ने 94 पृष्ठों की एक रपट को प्रकाशित किया है जिसमें नरेन्द्र मोदी की प्रशासकीय क्षमता और उनके नेतृत्व में गुजरात की सर्वतोमुखी प्रगति की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। यह रपट अमरीकी कांग्रेस की रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने तैयार की है। अमरीकी कांग्रेस के द्वारा नीति निर्धारण प्रक्रिया में इस शोध संस्थान की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसके द्वारा प्रस्तुत अध्ययन रपट के आधार पर अमरीका के 535 कांग्रेस प्रतिनिधि व सीनेटर अपना मत बनाते हैं। सीआरएस ने अपनी ताजा रपट में नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा है कि उनके नेतृत्व में गुजरात देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। रपट में कहा है कि भारत में विकास और अच्छे प्रशासन का सबसे अच्छा उदाहरण गुजरात है। नरेन्द्र मोदी ने प्रशासन में लाल फीताशाही को समाप्त करके भ्रष्टाचार को कम किया है, आर्थिक विकास के लिए सड़कें आदि बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया है। गुजरात की जनसंख्या भारत की जनसंख्या का 5 प्रतिशत है पर भारत के निर्यात में उसका 20 प्रतिशत हिस्सा है। अन्य राज्यों की तुलना में 11 प्रतिशत विकास दर प्राप्त करके गुजरात पूरे भारत की आर्थिक प्रगति का आधार बन गया है। गुजरात में सुशासन और औद्योगिक शांति के कारण विदेशी निवेश भारी मात्रा में आकर्षित हो रहा है। जनरल मोटर्स और मित्सुविशी जैसी बड़ी कंपनियां वहां पूंजी निवेश कर रही हैं।

 

इस रपट का कहना है कि गुजरात के अनुकरण पर बिहार राज्य, जहां जनता दल (यू) और भाजपा की गठबंधन सरकार है, प्रगति के पथ पर आगे है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार जातिवाद और अराजकता की राजनीति से ऊपर उठकर विकास के रास्ते पर चल पड़ा है।

 

लोकतंत्र बनाम वंशतंत्र

 

इस अमरीकी रपट का महत्व इस बात में है कि इसी अमरीका ने 2005 में मुट्ठीभर भारत विरोधी तत्वों के षड्यंत्र में फंसकर ऐन समय पर राज्य के विशाल बहुमत से निर्वाचित मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का वीजा रद्द कर दिया था। अमरीका का वह कदम अमरीकी प्रशासन तंत्र की आंतरिक कमजोरी का परिचायक था। सोनिया-मनमोहन सरकार को अमरीका के इस अलोकतांत्रिक निर्णय का कड़ा विरोध करना चाहिए था। अमरीका ने तो अपनी भूल का परिमार्जन कर लिया है किन्तु अपने किये पर लज्जित होने के बजाय कांग्रेसी प्रवक्ता उस पुराने अमरीकी अपराध का नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध इस्तेमाल कर रहे हैं।

 

सीआरएस की रपट ने 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी जैसे क्षमतावान और कुशल प्रशासक को सोनिया पार्टी के अपिरपक्व, अयोग्य और रणनीति शून्य युवराज राहुल के मुकाबले खड़ा कर दिया है। नरेन्द्र मोदी ने अपने को हमेशा भाजपा का सामान्य कार्यकत्र्ता कहा है, कभी प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा व्यक्त नहीं की, जबकि वंशवादी सोनिया पार्टी बार-बार राहुल को प्रधानमंत्री पद के योग्य घोषित कर रही है। नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखने और उनके विरुद्ध मुस्लिम व चर्च के वोट बैंक को जुटाने के लिए ही वे नरेन्द्र मोदी को मुस्लिम विरोधी चित्रित करने की कोशिश में लगे हैं। वस्तुत: भाजपा और सोनिया पार्टी के बीच लोकतंत्र और वंशवाद का टकराव है। जिस संसदीय प्रणाली को इसने अपनाया है, उसकी मांग है कि लोकसभा चुनाव व्यक्ति के नाम पर नहीं, पार्टी की विचारधारा के नाम पर होना चाहिए और विजेता पार्टी के संसदीय दल को अपना नेता चुनने का अधिकार होना चाहिए। इसलिए यह उचित ही है कि भाजपा ने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के नाम की पूर्व घोषणा करने से इनकार कर दिया। किसी लोकतांत्रिक दल के अनेक कार्यकत्र्ताओं में प्रधानमंत्री पद की क्षमता हो सकती है। पर, आज के राजनीतिक वातावरण में यदि सोनिया पार्टी के कर्णधार राहुल के सितारों को डूबता देखकर चिंतित और बौखलाये हों, तो क्या आश्चर्य।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies