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विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने गत 7 सितम्बर को दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर हुए बम विस्फोट में मारे गए नागरिकों के प्रति शोक प्रकट करते हुए कहा कि केन्द्र की संप्रग सरकार आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करते हुए संसद पर हमले के अपराधी अफजल को अविलम्ब फांसी दे। श्री सिंहल गत 8 सितम्बर को नई दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि वे प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से पूछना चाहते हैं कि वह कौन सी बात है जो उन्हें आतंकवादियों को कठोर दण्ड देने से रोक रही है। कठोर दंड मिलेगा तो इस तरह की घटनाएं नियंत्रित हो जाएंगी। 'साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक' के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार यह विधेयक तुरन्त वापस ले। इससे देश विभाजन का खतरा है। इसके माध्यम से श्रीमती सोनिया गांधी अपने विरोधियों को निशाना बनाना चाहती हैं। यह विधेयक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद नाम की ऐसी संस्था द्वारा बनाया गया है जिसके पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है और जिसमें हिन्दू-विरोधी लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह पक्षपातपूर्ण और खतरनाक विधेयक इस मान्यता के आधार पर बनाया गया है कि 'हमेशा हिन्दू ही आक्रमण करता है और किसी मुस्लिम और ईसाई को ही पीड़ा उठानी पड़ती है। हिन्दू समाज ही साम्प्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार होता है इसलिए उन्हें ही कड़ी सजा मिलनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि यह कानून केवल बहुसंख्यक हिन्दू समाज पर ही लागू होगा और लाखों हिन्दुओं को जेल में डाल दिया जाएगा। ऐसे कानून बनाकर तो सरकार आतंकवादियों का ही साथ दे रही है।
श्री सिंहल ने कहा कि जिस तरह श्रीमती इन्दिरा गांधी ने आपातकाल के जरिए देश पर राज करने की कोशिश की, उसी प्रकार सोनिया गांधी इस कानून को बनाकर राज करना चाहती हैं। लेकिन न तो देश की जनता ने श्रीमती इन्दिरा गांधी के आपातकाल को स्वीकार किया था और न ही वह सोनिया गांधी के इस 'कानून' को स्वीकार करेगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने यह यह विधेयक वापस नहीं लिया तो देश का हिन्दू समाज, संत और विश्व हिन्दू परिषद् एक ऐसा जन आंदोलन करेगी जो आज से पहले कभी नहीं हुआ है। हिन्दू समाज के अस्तित्व के लिए हमें आर-पार की लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार अफजल को अविलंब फांसी दे, 'साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक' को वापस ले तथा हिन्दू संतों का सम्मान करे तभी देश में शांति आ सकती है। द प्रतिनिधि
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