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हद पार करती कांग्रेस

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Sep 15, 2011, 12:00 am IST
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दिंनाक: 15 Sep 2011 16:10:00

समस्त हिन्दू हजारों वर्षों से अपने उपवास के दिनों में सैंधा नमक प्रयोग करते चले आ रहे हैं, क्योंकि यह शुद्ध शाकाहारी माना जाता है। इसके अतिरिक्त सामान्य प्रयोग में भी सैंधा के साथ-साथ सौवर्चल लवण, विड़ लवण, समुद्री लवण, कृष्ण लवण (काला नमक), सांभर लवण आदि प्रयोग होते रहे हैं। परन्तु अंग्रेजों के आने के पश्चात् सामान्य समुद्री लवण का प्रयोग भारत में ज्यादा होने लगा। फिर महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा निकालकर नमक कानून तोड़कर इसे सर्वव्यापी बना दिया। परन्तु विगत 30 वर्षों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मकड़जाल में फंसकर भारत सरकार ने आयोडीन-युक्त नमक को बढ़ावा देते हुए इसे एक बहुमूल्य वस्तु बनवा डाला। इसके कारण पहले 25 पैसे प्रति किलो बिकने वाला सामान्य नमक आजकल 15 से 20 रुपए प्रति किलो बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बेचा जा रहा है।

इस आयोडीन-युक्त नमक के कई दुष्परिणाम काफी समय से देखने को मिलने लगे हैं। इसके कारण स्त्री-पुरुष में वृद्धिमान प्रजनन विकारों के साथ ही चर्म, श्वास व पाचन संस्थान की एलर्जी , स्त्रियों में बढ़ते श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया), गर्भाशय में फाइब्रोमा (गांठें), गंजापन आदि हो रहे हैं। इन सभी बीमारियों का संबंध आयोडीन-युक्त नमक से है। आयोडीन-युक्त नमक में मिलाये जाने वाले पोटेशियम, आयोडेट एवं डला बनने (जमने) से रोकने वाला पदार्थ ई-536 दोनों ही अधिक मात्रा में शरीर के लिए नुकसानदायक रसायन हैं। इनसे एलर्जी भी काफी मात्रा में देखने को मिलती है। एलोपैथी के अनुसार आयोडीन की अधिक मात्रा से होठों, पलकों, गले में सूजन, बुखार, जोड़ों में दर्द, गांठों का फूलना, सिरदर्द, खुजली, शरीर में विभिन्न झिल्लियों की सूजन, जुकाम (नजला) तथा थ्रोम्बोसाइटोपीनिया (खून में प्लेटलेट्स कम हो जाना) आदि लक्षण मिल सकते हैं। विगत कुछ समय से उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डेंगू, मलेरिया, वायरल बुखार के अत्यधिक प्रकोप के कारण प्लेटलेट्स कम हो जाने से कई रोगी मृत्यु के समीप भी पहुंच चुके हैं। इससे समझ सकते हैं कि यह कृत्रिम आयोडीन-युक्त नमक कितना खतरनाक सिद्ध हो सकता है।

इसके अतिरिक्त यह कृत्रिम आयोडीन-युक्त नमक समुद्र के खारे पानी से बनाया जाता है, जो अनेक जीवित एवं मृत जानवरों का वास है। तो फिर इसे शुद्ध शाकाहारी कैसे समझा जा सकता है? जबकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपने आयोडीन-युक्त नमक की थैली पर हरा बिन्दीदार शाकाहारी चिह्न छाप रही हैं, जो एक धोखा है। इसलिए इस आयोडीन-युक्त नमक पर गैरशाकाहारी लाल रंग का चिह्न लगाया जाना चाहिए।

इसके विपरीत सैंधा लवण को हजारों वर्षों से हिन्दू भोजन परम्परा तथा व्रत-पूजा में प्रयोग किया जाता रहा है। यह सैंधा नमक चट्टानों से प्राप्त किया जाता है तथा आश्चर्यजनक रूप से इसमें नमक के साथ-साथ जो अन्य कई लवण आदि पाये जाते हैं, उनकी रासायनिक संरचना उसी प्रतिशत में मिलती है, जिस प्रतिशत में वे मनुष्य के शरीर में मिलते हैं। इसमें-आयोडीन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम आदि भरपूर मात्रा में मिलते हैं। साधारण आयोडीन-युक्त नमक के विपरीत सैंधा नमक हृदय रोगियों व एलर्जी के रोगियों के लिए लाभकारी माना गया है। हृदय की मांसपेशियां पोटेशियम से अधिक पोषण प्राप्त करती हैं तथा इसी के कारण अच्छा कार्य कर सकतीं हैं। यह पोटेशियम सैंधा नमक में ही भरपूर पाया जाता है, जबकि साधारण आयोडीन-युक्त नमक में बिल्कुल नहीं होता। इसमें केवल सोडियम क्लोराइड होता है, जो हृदय रोगियों व रक्तचाप के रोगियों के लिए खतरनाक माना जाता है। इसीलिए हृदय रोगियों को साधारण आयोडीन-युक्त नमक की जगह कृत्रिम लोना नमक (कम सोडियम वाला) प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। जबकि साधारण, सस्ता सैंधा नमक इसका सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।

–डा. सुशील गुप्ता

शालीमार गार्डन कालोनी, बेहट बस स्टैण्ड सहारनपुर (उ.प्र.)

हद पार करती कांग्रेस

अनूठी क्रांति

पर्यावरण और बेरोजगारी भारत की सबसे अहम् समस्याओं में से है। देश में विशाल मात्रा में उपजाऊ और बंजर जमीनें, पहाड़ियां, समुद्री तट और रेगिस्तान हैं। इन स्थानों पर वन विभाग अधिक से अधिक वृक्षारोपण करे। रेल और सड़क किनारे की लाखों किलोमीटर भूमि पर अरबों वृक्ष लगाने की गुंजाइश है। यदि ये समस्त जमीन, पहाड़, तट और रेगिस्तान आदि को भूमिहीन बेरोजगारों को फल व औषधि वाले वृक्ष लगाने हेतु उचित किराये पर वितरित कर दी जाए तो पूरे देश की तस्वीर बदल सकती है। दो वर्ष में न केवल बेरोजगारी दूर होगी, बल्कि देश के सम्पूर्ण पर्यावरणीय वातावरण में आमूल-चूल परिवर्तन आ सकता है। ऊसर जमीनें तो ठीक होंगी ही, रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने में बहुत सफलता मिल सकती है। एसी और कूलर तो दूर, लोगों को पंखे में भी ठंड लगेगी। वर्षा का चक्र ठीक हो जायेगा। खेती अच्छी होगी। लोगों की आत्मिक, शारीरिक, मानसिक व प्राकृतिक समस्याएं देश के पटल से विदा हो जाएंगी। यदि यह विषय युवकों द्वारा इन्टरनेट, मीडिया और विश्वविद्यालयों आदि में एक अभियान के रूप में व्यापक रूप से उठाया जाये तो देश में अनूठी क्रांति हो सकती है।

–आशुतोष श्रीवास्तव

सी 3082, राजा जी पुरम, लखनऊ (उ.प्र.)

आवरण कथा के अन्तर्गत श्री आलोक गोस्वामी की रपट 'सड़क से संसद तक घिरी सोनिया पार्टी' आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी सोनिया निर्देशित मनमोहन सिंह सरकार के लिए संभल जाने की चेतावनी है। यह एक बार नहीं अनेक बार सिद्ध हो चुका है कि भ्रष्ट, जनविरोधी एवं राष्ट्रविरोधी ताकतें एक होकर देश का अहित करने में लगी हैं और सत्तालोलुप एवं भ्रष्ट कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने की बजाय उसे संरक्षण देने में लगी है। 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला अथवा राष्ट्रमंडल खेलों में लूट ऐसे ही मामले हैं, जिन्होंने राष्ट्र के सामने अस्तित्व का संकट पैदा कर दिया है।

–आर.सी. गुप्ता

द्वितीय ए-201, नेहरू नगर

गाजियाबाद-201001 (उ.प्र.)

द 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, राष्ट्रमण्डल खेल घोटाला आदि ने सिद्ध कर दिया है कि कांग्रेसी सरकारें जमकर इस देश को लूट रही हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित हों, ए. राजा हों या सुरेश कलमाडी ये सभी उस व्यवस्था और सत्ता का एक हिस्सा हैं, जिन पर समाज को संचालित करने का दायित्व है। किन्तु यह व्यवस्था इतनी खोखली और भ्रष्ट हो गई है कि इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

–मनोहर 'मंजुल'

पिपल्या-बुजुर्ग,

पश्चिम निमाड़ (म.प्र.)

द तथ्य तो यही कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुरेश कलमाडी को मनमानी करने की पूरी छूट दी थी। तीन-तीन खेल मंत्रियों सुनील दत्त, मणिशंकर अय्यर और मनोहर सिंह गिल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बताया था कि कलमाडी का चरित्र संदिग्ध है, फिर भी उन्हें खेल आयोजन समिति का सर्वेसर्वा क्यों बनाया गया? क्या प्रधानमंत्री पर किसी तरह का दबाव था या कलमाडी के 'खेल' में प्रधानमंत्री भी 'खिलाड़ी' हैं?

–रामधारी कौशिक

593/13, हुडा कालोनी, भिवानी-127021 (हरियाणा)

द भाजपा अध्यक्ष नितीन गडकरी ने सही कहा है कि सुरेश कलमाडी के पीछे सोनिया गांधी का हाथ है। शायद यही कारण है कि तीन खेल मंत्रियों के विरोध के बावजूद कलमाडी ताकतवर बनते गए और प्रधानमंत्री उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाए।

–प्रियेश प्रसून

बुराड़ी, दिल्ली

द संवैधानिक संस्थाओं पर हमला और उनको नजरअंदाज करना कांग्रेस की आदत है। इस तरह की कोई संस्था जब किसी गैर-कांग्रेसी पर अंगुली उठाती है, तो कांग्रेस उसको भुनाती है। किन्तु जब वही संस्था किसी कांग्रेसी को लपेटती है तो कांग्रेस उस पर हमले शुरू कर देती है। कथित ताबूत घोटाले पर उसी 'कैग' की रपट पर कांग्रेसियों ने हल्ला मचाया था, जिसने अब शीला दीक्षित के विरुद्ध टिप्पणी की है। किन्तु अब कांग्रेसी 'कैग' की वैधानिकता पर ही सवाल उठा रहे हैं।

–सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा

कांडरवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)

सुखद आश्चर्य

दृष्टिपात से ब्रिटेन में लूट-मार व आगजनी का समाचार मिला, साथ ही गुरुद्वारा साउथ हाल की रक्षा में सन्नद्ध सिख युवक भी दिखाई दिए। प्रश्न यह है कि दंगे कहीं पर भी हों विदेश में दंगाइयों के शिकार भारतवंशी तथा भारत में हिन्दू ही क्यों होते हैं? इनके कारण व निवारण की कार्ययोजना सरकार व समाज स्तर पर बनानी चाहिए। हॉलैण्ड में गोरक्षा हेतु हस्ताक्षर अभियान के बारे में पढ़कर सुखद आश्चर्य हुआ। स्पेन के तनरीफ में जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन भी आह्लादकारी लगा।

–डा. नारायण भास्कर

50, अरुणा नगर, एटा (उ.प्र.)

इतिहास से सबक सीखो

इतिहास दृष्टि में डा. सतीश चन्द्र मित्तल के तथ्यात्मक ऐतिहासिक लेख 'सर सैयद और जिन्ना थे द्विराष्ट्रवाद के पोषक' से भारत विभाजन के बारे में सटीक जानकारी मिली। जो राष्ट्र इतिहास से सबक लेकर आगे बढ़ता है, वही इस दुनिया में अपना अस्तित्व बचा सकता है। किन्तु भारत के शासक ऐसा नहीं कर रहे हैं। मुस्लिम तुष्टीकरण के सहारे वैसी ही परिस्थितियों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जैसी 1947 में थीं। भारत मां को एक बार फिर खण्डित करने का कुप्रयास जारी है।

–नित्यानन्द

335/8, शिल्ली रोड, सोलन-173212 (हि.प्र.)

लोगों का भ्रम दूर हो

श्री नरेन्द्र सहगल ने अपने लेख 'गोपनीयता की राजनीति' में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की कथित बीमारी के सन्दर्भ में जो बातें कही हैं, उन पर विचार किया जाना चाहिए। जब प्रधानमंत्री की बीमारी की जानकारी देशवासियों को दी जा सकती है, तो फिर कांग्रेस ने सोनिया की बीमार क्यों छिपाई? यदि इस देश से सोनिया हृदय से लगाव रखतीं तो अवश्य देशवासियों को बतातीं कि उन्हें क्या हुआ है? अगर सोनिया ऐसा करतीं तो लोगों के मन में उनके प्रति कोई भ्रम पैदा नहीं होता।

–कालीमोहन सिंह

आरा, भोजपुर (बिहार)

पञ्चांग

वि.सं.2068   तिथि   वार    ई. सन् 2011

आश्विन कृष्ण 6     रवि  18 सितम्बर, 2011

”     ”        7   सोम 19     ”    “

”     ”        8   मंगल      20    ”     “

(जीवत्पुत्रिका व्रत)

”     ”        9   बुध  21     ”     “

”     ”        10  गुरु  22    ”     “

”     ”        11  शुक्र 23    ”     “

”     ”        12  शनि 24    ”     “

फांसी पर लटकाओ

फांसी पर हैं चल रहे, राजनीति के बाण

जीवित रहते ही हुए, बोझिल उनके प्राण।

बोझिल उनके प्राण, उमर करुणानिधि बादल

देशभक्त हो रहे बयानों से नित घायल।

कह 'प्रशांत' बिन सोचे फांसी पर लटकाओ

आतंकी दुनिया को कड़वा सबक सिखाओ।।

–प्रशांत

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