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आतंकवादियों को वापस लाने की सरकारी तैयारी जोरों परराष्ट्रवादियों के भारी विरोध के बावजूद जम्मू-कश्मीर सरकार ने सीमा पार आतंकवाद का प्रशिक्षण प्राप्त करने गए युवकों की “घर वापसी” तथा उनके सम्मानजनक पुनर्वास की तैयारियां आरम्भ कर दी हैं। इन आतंकवादियों की वापसी तथा पुनर्वास सम्बन्धी नीति को जम्मू-कश्मीर में नेशनल कान्फ्रेंस-कांग्रेस की गठबंधन सरकार के मंत्रिमण्डल ने गत माह ही स्वीकृति देने की घोषणा की थी। सूत्रों के अनुसार उन आतंकवादियों की सूची तैयार की जा रही है जो वापस “वतन” लौटने के इच्छुक है। समझा जाता है कि कुछ संगठनों ने बहुत से ऐसे व्यक्तियों की सूची पहले से ही बना रखी है जो सीमा पार पाकिस्तान तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के आतंकवादी शिविरों में हैं या फिर प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात विभिन्न स्थानों पर रह रहे हैं।समाचार यह भी है कि आतंकवादी शिविरों के बाहर रहने वाले कई आतंकवादियों ने पाकिस्तान तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में ही विवाह कर लिए हैं। ऐसे बहुत से आतंकवादियों के बच्चे भी हैं। इनमें से कुछ ने तो इस ओर अपने परिजनों से विभिन्न स्रोतों द्वारा सम्पर्क भी बना लिया है, जिसकी जानकारी सम्बंधित पुलिस थानों के कुछ बड़े अधिकारियों को भी है।किन्तु एक बड़ा प्रश्न यह है कि क्या पाकिस्तान इन प्रशिक्षित आतंकवादियों को शांतिपूर्ण जीवनयापन के लिए इस ओर आने की अनुमति देगा? पाकिस्तान की अनुमति के बिना उनका इन ओर आना सरल नहीं होगा। उसकी अनुमति के बिना एक-दो व्यक्ति को आ-जा सकते हैं किन्तु बड़ी संख्या में, विशेषकर पत्नियों तथा बच्चों के साथ इस ओर चुपके से घुसना असंभव-सा लगता है।एक समाचार यह भी है कि राज्य सरकार और केन्द्र के कुछ व्यक्ति सीमा पार जाकर ऐसे आतंकवादियों को इस ओर लाने के लिए पाकिस्तान के अधिकारियों से वार्ता कर सकते हैं। एक और समाचार यह भी है कि केन्द्र की ओर से नामांकित किए गए वार्ताकारों के एजेंडे में सीमा पार गए आतंकवादियों की वापसी के प्रश्न को भी शामिल किया जा सकता है।सीमापार कितने कश्मीरी उग्रवादी ऐसे हैं जो हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं, इस सम्बंध में सरकारी स्तर पर तो कुछ नहीं कहा जा रहा है किन्तु सूत्रों के अनुसार ऐसे आतंकवादियों की संख्या 3000 के लगभग है।द20
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