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आ गई निर्णय

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Aug 8, 2010, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 08 Aug 2010 00:00:00

की घड़ीलखनऊ प्रतिनिधिअयोध्या स्थित रामजन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण की निर्णायक घड़ी आ गयी है। जन्मभूमि मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ की तीन सदस्यीय विशेष पूर्ण पीठ ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है। अदालत अपना फैसला 30 सितम्बर तक सुनायेगी। इस बीच पूर्ण पीठ ने अपनी ओर से पहल करते हुए दोनों पक्षों के वकीलों को अलग-अलग बुलाकर सलाह-मशविरा किया और सुलह-समझौते का आधार तलाशने की कोशिश की। विश्व हिन्दू परिषद् और श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन से जुड़े प्रमुख संतों का कहना है कि अगर वार्ता से ही समाधान निकाला जाना था तो फिर साठ साल लम्बा चलने वाले मुकदमे की जरूरत क्या थी?बहरहाल निर्णय सुरक्षित होने के साथ ही हिन्दू समाज को यह आशा बंधी है कि मन्दिर निर्माण का निर्णायक समय आ गया है। रामजन्मभूमि के समर्थन में जिस तरह के अकाट्य प्रमाण अदालत को सौंपे गये हैं, उससे विहिप और संतों को मन्दिर के समर्थन में फैसला आने की उम्मीद है। इसलिए जहां अयोध्या के कारसेवकपुरम् में मन्दिर निर्माण को लेकर हर्षोल्लास का माहौल है, वहीं विहिप और साधु-संतों की ओर से हर हाल में मन्दिर निर्माण के प्रति संकल्पबद्धता जताई जा रही है।सूत्रों का कहना है कि अदालत के निर्णय के मद्देनजर केन्द्र सरकार द्वारा रामजन्मभूमि पर राममन्दिर के साथ ही, मस्जिद निर्माण की बात फैलाई जा रही है। यानी रामजन्मभूमि को बांटने की कोशिश हो रही है। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद् बेहद सतर्क है। आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि रामजन्मभूमि को बांटा गया तो यह प्रकारान्तर से पीढ़ी दर पीढ़ी संघर्ष को निमंत्रण देना होगा और यह 1947 के देश विभाजन जैसा ही होगा। जो किसी प्रकार स्वीकार्य नहीं है।रामजन्मभूमि पर केवल और केवल मंदिर ही बनेगा-चंपत राय, संयुक्त महामंत्री, विश्व हिन्दू परिषद्विश्व हिन्दू परिषद् के संयुक्त महामंत्री श्री चम्पत राय कहते हैं कि सरकार के इशारे पर ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि रामजन्मभूमि को बांटा जाएगा। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने राम चबूतरा, जो हिन्दुओं के कब्जे में था और रामलला विराजमान के स्थान को एक परिसर मानकर उस स्थान पर 1528 के पहले कभी कोई हिन्दू मंदिर था या नहीं, इसका उत्तर खोजने की जिम्मेदारी उच्च न्यायालय पर डाली थी (इस्माइल फारुखी बनाम भारत सरकार)। न्यायालय में हिन्दू पक्षकारों की ओर से अकाट्य प्रमाण दिए गए हैं, जिसमें मंदिर के ध्वंस के साक्ष्य शामिल हैं। उच्च न्यायालय ने स्वयं प्रेरणा से उस संपूर्ण परिसर के नीचे उत्खनन का आदेश दिया। उत्खनन हुआ, उसकी रपट जो अदालत के रिकार्ड में है, उससे सिद्ध हुआ कि वहां एक हिन्दू मंदिर था। हम मानकर चल रहे हैं कि न्यायालय का निर्णय हमारे पक्ष में होगा। इसके बावजूद रामजन्मभूमि को बांटने की कोशिश की गयी तो सरकार पीढ़ी दर पीढ़ी संघर्ष की नींव रख देगी। रामजन्मभूमि पर केवल और केवल मन्दिर ही बनेगा।वार्ता से समाधान संभव नहीं-योगी आदित्यनाथ, उत्तराधिकारी, गोरक्षनाथ पीठगोरक्षनाथ पीठ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ भी सवाल करते हैं कि जब वार्ता से ही हल निकलना था, तो फैजाबाद न्यायालय और उच्च न्यायालय में मुकदमा चलने का कोई मतलब नहीं। उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि पूरे विश्व में हिन्दुओं की आस्था का विषय है, इसके बावजूद न्यायालय में चल रहे मामले में दिये गये साक्ष्य बहुत मजबूत हैं। हिन्दुओं का पक्ष पारंपरिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से काफी मजबूत है। मुकदमे के साथ-साथ मुस्लिम पक्ष से वार्ता का क्रम भी चला, लेकिन वे हमेशा वार्ता से भागते रहे। इस मामले में भयादोहन और जबरदस्ती उनका सबसे बड़ा हथियार है। उनके आगे राजनीतिक दल झुकेगें तो झुकेंगे, लेकिन हिन्दू समाज नहीं झुकने वाला है। मन्दिर निर्माण का शुभ समय आ गया है और उसी की तैयारी होगी।भगवान आराध्य, अदालत का विषय नहीं-कौशलेन्द्र नाथ योगी, महंत देवीपाटन शक्तिपीठप्रसिद्ध देवीपाटन शक्तिपीठ (बलरामपुर) के महंत कौशलेन्द्र नाथ योगी का कहना है कि भगवान राम हमारे आराध्य हैं, पूज्य हैं तथा अदालत की परिधि से बाहर हैं। अदालत का निर्णय हमारे पक्ष में होगा ऐसा हम मानकर चल रहे हैं, लेकिन एक बात मैं जरूर कहना चाहूंगा कि जब विवादित ढांचा गिराया गया था तो किसी अदालत के आदेश से नहीं, बल्कि उसे जनशक्ति के बल पर ढहाया गया था। जनशक्ति के बल पर ही मन्दिर का निर्माण भी किया जायेगा।शुभ घड़ी का इंतजार-रामविलास दास वेदांती, वरिष्ठ सदस्य, रामजन्मभूमि न्यासषड्दर्शन अखाड़ा परिषद् के महंत ज्ञानदास और रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य रामविलास दास वेदान्ती तो अब मन्दिर निर्माण की तैयारियों में मानसिक रूप से जुट गये हैं। दोनों का ही कहना है कि अब वह समय आ गया है, जब मन्दिर का निर्माण होकर ही रहेगा। वेदान्ती तो यहां तक कहते हैं कि मन्दिर के लिए पत्थरों को तराशने का काम पूरा हो चुका है, बस एक समय तय कर शुभ मुहूर्त में उसकी शुरुआत कर देने के लिए हम सभी तैयार हैं। महंत ज्ञानदास कहते हैं कि भगवान सनातन शक्ति हैं, हिन्दुओं को आध्यात्मिक ताकत उन्हीं से मिलती है। रामलला विराजमान के लिए मन्दिर निर्माण में अब किसी भी प्रकार की देरी बर्दा¶त नहीं और कोई भी किसी भी कीमत पर मन्दिर निर्माण को रोक नहीं सकता। दप्रसंगश:शिवभक्त हीरा देवीसावन में भगवान शिव के भक्तों की श्रद्धा के कई रूप देखे जाते हैं। ऐसी ही एक शिवभक्त महिला हैं, हीरा देवी। हीरा देवी प्रसिद्ध बासुकीनाथ मन्दिर (झारखण्ड) की पुजारिन हैं। उन्होंने कुछ समय पहले नि¶चय किया था कि वे पीठ पर जल लेकर सड़क मार्ग से दंडवत देवघर पहुंचकर, इसी सावन में भोलेबाबा पर जल चढ़ाएंगी। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने 4 जून, 2009 को गंगोत्री (उत्तराखंड) से गंगाजल उठाया। जल को वह अपनी पीठ पर रखकर दण्डवत करती हुर्इं गत दिनों बिहार पहुंचीं। पिछले एक साल से वह दण्डवत करती हुई चल रही हैं। चाहे सर्दी हो, गर्मी हो, धूप या बरसात उन्होंने कभी विश्राम नहीं किया। लगातार दंडवत करती हुई चल रही हैं और उनकी एक ही कामना है, देवघर में भोलेबाबा को गंगोत्री का जल अर्पित करना। हीरा देवी की इस आस्था और तपस्या को देखकर लोग आ¶चर्य चकित हैं। लोगों का कहना है कि भोलेबाबा की कृपा से ही वह गंगोत्री से दण्डवत करती हुई बिहार पहुंचीं। रास्ते में इस पुजारिन को देखने के लिए सड़क के किनारे लोगों की अपार भीड़ जुट रही है।6

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