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भारत भूमि का यह सौभाग्य है कि यहां लक्ष्मीबाई जैसा देदीप्यमान रत्न प्रकट हुआ। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम की चर्चा होने पर झांसी की रानी का नाम गर्व से लिया जाएगा। यह उद्गार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमन्त्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने व्यक्त किए। प्रो. प्रेम कुमार धूमल शिमला के रानी झांसी पार्क में वीरांगना लक्ष्मीबाई की जयन्ती की पूर्व संध्या पर उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के 150वें#े वर्ष के अवसर पर सन 2008 में देश भर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अनेक आयोजन किए थे। उसी अवसर पर शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में मातृवन्दना संस्थान द्वारा विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से 10 मई, 2008 को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। तभी हमने रानी लक्ष्मीबाई की भव्य मूर्ति स्थापित करने का संकल्प लिया था, उस संकल्प को आज हमने पूरा किया है। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र को जिन्दा रहना है तो क्रान्तिकारियों के बलिदान को स्मरण रखना आवश्यक है।झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की इस भव्य मूर्ति का वजन तीन टन है तथा ऊंचाई 15 फुट है। यह शुध्द तांबे की बनी हुई है। इस मूर्ति का निर्माण कटक (उड़ीसा) में जन्मे श्री फकीर चरण परीडा ने किया है। इस मूर्ति के अनावरण समारोह में प्रदेश भर के अनेक गण्यमान्य जन उपस्थित थे। द प्रतिनिधि28
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