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पेशे से शिक्षिका अनीता तिवारी का पहला कथा संग्रह “खिलता पलाश” कुछ समय पूर्व ही प्रकाशित होकर आया है। इस संग्रह की कहानियां अपने आस-पास के जीवन में उपस्थित संवेदनाओं से उपजी हैं। मानवीय संबंधों और आपसी रिश्तों-नातों के बदलते स्वरूप के ढेरों रंग इन कहानियों में नजर आते हैं।संग्रह की पहली कहानी “प्रॉमिस” में बिना मां-बाप की बच्ची नूपुर की मार्मिक व्यथा को भरपूर संवेदनशीलता से व्यक्त किया गया है। किस तरह से यह निर्मम समाज उस निरपराध बच्ची को कुलक्षिणी मानकर उपेक्षित करता है, इसी भाव को लेखिका ने प्रभावी ढंग से लिपिबद्ध किया है।संग्रह की एक अन्य कहानी “निर्भय” में उन मां-बाप की दारुण कथा को बयान किया गया है जो अपना सर्वस्व लुटाकर भी अपने इकलौते बेटे का जीवन संवारते हैं लेकिन जीवन के अंतिम सोपान में उन्हें उपेक्षा सहन करनी पड़ती है। आज के दौर में जब अधिकांश युवा भौतिकतावादी जीवन की चकाचौंध में खोकर अपने दायित्वों से मुंह मोड़ लेने को अनुचित नहीं समझते, उनके लिए यह कहानी सोचने पर विवशकरती है।कथानक की दृष्टि से “चूड़ियां, राशि के धागे और खिलता पलाश शीर्षक कहानियां भी पठनीय हैं। संग्रह में “अकेला आदमी” जैसी कहानी भी है जो वास्तव में कई लघुकथाओं का समुच्चय है। इसके माध्यम से लेखिका ने शाश्वत सत्य को स्थापित करने का प्रयास किया है। हालांकि संग्रह की कहानियां शिल्प और भाषा की दृष्टि से कमजोर हैं पर वास्तव में ये लेखिका के जीवनानुभवों से उपजी प्रतिक्रियाएं हैं।दपुस्तक का नाम : खिलता पलाशलेखिका : अनिता तिवारी “अनु”प्रकाशक : एल.आई.जी. 26, हाउसिंग बोर्ड कालोनी, नरियल खेड़ा, भोपाल (म.प्र.)संपर्क : (0) 9977668967पृष्ठ : 10120
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