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जिला पंचायतों पर भी सत्ता बल से कब्जे का प्रयासउत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने इस बार जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव गैरपार्टी आधार पर कराये। इसके लिए उन्होंने अलग से राजाज्ञा जारी की। तर्क दिया गया कि इससे पहले पार्टी आधार पर चुनाव कराए जाने से ग्रामीण स्तर पर तनाव जैसी स्थिति पैदा हो गयी थी। जब जिला पंचायत सदस्यों, बीडीसी और प्रधानों के चुनाव निपट गये और जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव की बारी आयी तो बसपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिये गये। माना जा रहा है कि ऐसा सत्ताबल, धनबल और बाहुबल के भरोसे ग्रामीण विकास की रीढ जिला पंचायत पर येन-केन-प्रकारेण कब्जा जमाने की कोशिश के लिए किया गया। भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पास फिलहाल सत्ता सूत्र नही हैं, इसलिए मायावती की यह रणनीति सफल भी हो सकती है। चूंकि एक प्रयोग वह पहले भी कर चुकी हैं और उसमें उन्हें सफलता भी मिल चुकी है, इसलिए सत्ता के भरोसे वे दूसरा प्रयोग कर रही हैं।उल्लेखनीय है कि कुछ ही समय पहले स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र से 36 विधान परिषद स्थानों के (एम.एल.सी.) लिए चुनाव हुए थे। उन चुनावों में प्रधानों, जिला पंचायत सदस्यों, ब्लाक प्रमुखों, बीडीसी सदस्यों और सभासदों को वोट देना था। सत्तारूढ़ बसपा ने ऐसे दबंग, आपराधिक प्रवृत्ति के, धन सम्पन्न और सरकार में खास दखल रखने वाले लोगों या उनके पारिवारिक सदस्यों, या उनके नजदीकियों को टिकट दिया जो हर तरकीब लगाकर जीत हासिल करें। इस कारण बसपा के खाते में 36 में से 34 विधान परिषद सीटें आयीं। विधान परिषद में अल्पमत बसपा को बहुमत मिला और विधानसभा से अपने पक्ष का हर कानून विधान परिषद से भी पारित कराने का उसका रास्ता साफ हो गया।मात्र रायबरेली में राहुल गांधी के विशेष प्रयास से दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस से जीते तो बाहुबली राजा भैया के प्रयास से उनके चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह जीत दर्ज कर सके। शेष जितने भी लोग चुनाकर आये उनमें से करीब 50 प्रतिशत बसपा के मंत्री, विधायक के निकट रिश्तेदार हैं, धनबल-बाहुबल के धनी हैं। बसपा से जीतकर आये इन “माननीयों” पर एक नजर डालें-बलिया से जीतकर आये रवि शंकर सिंह पप्पू पर कत्ल, डकैती, साजिश रचने, सरकारी धन के दुरुपयोग, चार सौ बीसी के आरोप हैं। आजमगढ़-मऊ से निर्वाचित कैलाश पर महाराष्ट्र तक में मुकदमे दर्ज हैं। राजधानी लखनऊ से चुने गये अरविंद त्रिपाठी बसपा सांसद बृजेश पाठक के साले हैं। मीरजापुर-सोनभद्र से चुने गये श्याम नारायण सिंह पर “आम्र्स एक्ट” का मुकदमा दर्ज है। झांसी-जालौन से चुने गये संतराम पर गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज है। देवरिया से जीते संजीव द्विवेदी पर लखनऊ में ही गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है। इलाहाबाद जैसी साहित्यिक नगरी से चुने गये सूरजभान हत्या के आरोपी हैं। बदायूं से चुनाव जीतने वाले जितेंद्र यादव कुख्यात बाहुबली डीपी यादव के भतीजे हैं। अन्य जीतने वालों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने के आरोपी बसपा विधायक जीतेंद्र सिंह बबलू के भाई मनोज कुमार सिंह भी हैं। सांस्कृतिक नगरी वाराणसी से श्रीमती अन्नपूर्णा सिंह जीती हैं। पर्चा भरने और जीतने से पहले इन्हें शायद ही कोई जानता हो। वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के माफिया डान बृजेश सिंह की पत्नी हैं। बृजेश सिंह इस समय जेल में हैं। बृजेश सिंह का भतीजा सुशील सिंह पहले से ही धानापुर से विधायक है।जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में भी चूंकि केवल जिला पंचायत सदस्यों को ही वोट डालना होता है इसलिए उनको डराना, धमकाना, धन का लालच देना और सत्ता की धौंस देना आसान है। चूंकि यह चुनाव आम जनता द्वारा नहीं हो रहा है इसलिए कुछ मुठ्ठी भर जिला पंचायत सदस्य हर हाल में, हर तरह से प्रभावित किये जा सकते हैं। इस चुनाव में जहां सपा, कांग्रेस और भाजपा ने प्रत्याशी उतारने के बारे में अभी तक सोचा भी नहीं, सत्तारूढ़ बसपा ने अधिकांश प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इनमें बहुत सारे नाम ऐसे हैं जो सत्तारूढ़ दल में या तो सीधी दखल रखते हैं या दखल रखने वालों के रिश्तेदार हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए लखनऊ से बसपा ने यहां के विधायक इरशाद खाí के भाई इजहार खाí को टिकट दिया है। उन्नाव से बसपा के राज्यसभा सदस्य जयप्रकाश रावत की पत्नी ज्योति रावत, हरदोई से राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल के भाई मुकेश अग्रवाल की पत्नी कामिनी अग्रवाल को टिकट दिया गया है। सीतापुर से उपभोक्ता संरक्षण एवं बाट माप मंत्री रामहेतु भारती की पत्नी ऊषा भारती, अम्बेडकर नगर से संसदीय कार्यमंत्री व वाराणसी से विधायक अनिल मौर्य के भतीजे मधुर्य मौर्य, बदायूं से बसपा विधायक डीपी यादव के भतीजे की पत्नी करुणा यादव, महोबा से राज्यसभा सदस्य गंगाचरण राजपूत की रिश्तेदार उर्मिला राजपूत, गाजियाबाद से विधायक मलूक नागर की पत्नी सुधा नागर, मुजफ्फरनगर से विधायक शाहनवाज राणा की पत्नी इंतखाब राणा, बहराइच से विधायक वारिस अली की पत्नी गुलशन जहां को जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे दी गई है। इसके अलावा खीरी से राज्यसभा सदस्य जुगल किशोर की पत्नी, मीरजापुर से विधायक विनीत सिंह की पत्नी और बाराबंकी से पूर्व सांसद कमला रावत को भी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने को कह दिया गया है। जाहिर है कि जितने नाम सामने आये हैं वे सभी सत्तारूढ़ दल में प्रभावशाली लोग हैं और अगर यह जिला पंचायत सदस्यों को धमकाकर, धन का लालच देकर या सत्ता का लालच देकर अपने पक्ष में वोट देने के लिए विवश करें तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए। द26
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