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अंक-सन्दर्भ थ्7 नवम्बर,2010सत्य ही राम हैदीपावली विशेषांक आकर्षक मुखपृष्ठ, तथ्यपरक सामग्री, रंगीन चित्रों एवं स्पष्ट छपाई के साथ प्राप्त हुआ, जो पाञ्चजन्य की परम्परा के अनुकूल है। दीपावली का श्रीराम से और श्रीराम का दीपावली से अटूट संबंध है। दीपावली के लिए रामराज्य आवश्यक है। चारों तरफ राम और रावण की सेनाओं, अनुयायियों में संघर्ष चल रहा है। एक तरफ जननी जन्मभूमिश्च, स्वर्गादपि गरीयसी कहने वाले हैं और दूसरी तरफ आतंक के बल पर दूसरों का धन, सम्पत्ति, जमीन आदि हड़पने वाले हैं। राम तत्व ही इस घमासान में प्रथम पक्ष की विजय कराएगा। यह प्रेरणा इस अंक से मिलती है।-डा. नारायण भास्करडद्ध/ऊ50, अरुणानगर, एटा (उ.प्र.)थ् सम्पादकीय “मंगल भवन अमंगलहारी” तो जैसे प्रभु राम के जीवन और कृतित्व का सार तत्व प्रस्तुत करता है। राम मंगलकारी और अमंगल के नाशक हैं। यह मंगल धर्म और संस्कृति से तथा सम्पूर्ण मानवता के कल्याण से जुड़ा है। यह अंक एक बार फिर पाठकों को राम के आदर्शों की अनुभूति करायेगा तथा यह संकल्प भी उत्पन्न करेगा कि अयोध्या में भव्य राम-मन्दिर का निर्माण होना चाहिए।-डा. कमल किशोर गोयनकाडद्ध/ऊए-98, अशोक विहार, फेज-प्रथम (दिल्ली)थ् विशेषांक अच्छा लगा। प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर न्यायालय का निर्णय साक्ष्यों पर आधारित है। किन्तु सेकुलर जमात मुसलमानों को भड़काने में लगी है। ये लोग कह रहे हैं मुसलमान ठगा महसूस कर रहे हैं। जबकि हर राष्ट्रवादी, वह चाहे हिन्दू है या मुसलमान, इस निर्णय पर सन्तोष व्यक्त कर रहा है।-ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगराडद्ध/ऊकांडरवासा, रतलाम (म.प्र.)थ् पाञ्चजन्य का विशेषांक पहली बार पढ़ने का अवसर मिला। बहुत ही अच्छा लगा। अंक की विशेषता है कि इसमें भगवान श्रीराम के विभिन्न पक्षों को दिया गया है। जो भी पढ़ेगा वह इसे अपने पास संभालकर रखना चाहेगा।-प्रेमशंकर मिश्रडद्ध/ऊ173बी, आरामबाग, पहाड़गंज (नई दिल्ली)थ् लोग “रामराज्य” की तो कल्पना करते हैं पर “राम” को अपनाने को तैयार नहीं। कुछ लोग “रामावतार” को संदेह की दृष्टि से देखते हैं। किन्तु ऐसे लोगों से पूछा जाना चाहिए कि वे सत्य को मानते हैं? यदि हां तो इस जगत में सत्य ही राम है और राम ही सत्य है। इसलिए जागो और जन-जन में “सत्य” को अपनाने के लिए आन्दोलनरत हो जाओ।-रचना रस्तोगीडद्ध/ऊनंदन कुंज, वेस्टर्न कचहरी रोड, मेरठ (उ.प्र.)थ् विशेषांक में श्री रविशंकर, श्री नरेन्द्र सहगल, श्री गुरचरण सिंह गिल आदि लेखकों के लेख बड़े अच्छे लगे। शहीद कोठारी बंधुओं की माता जी श्रीमती सुमित्रा देवी कोठारी गजब साहस रखती हैं। उन्होंने बिल्कुल सही कहा है कि अब मन्दिर बनना ही चाहिए। श्री मुख्तार अब्बास नकवी के विचार भी सराहनीय हैं।-घनश्यामदास गोवर्धनदास भंसालीडद्ध/ऊमु.व पो.- गोरेगांव, जिला- हिंगोली (महाराष्ट्र)थ् इस अंक की सामग्री आकर्षक एवं नयानाभिराम हैं। श्री अशोक सिंहल तो स्वयं में एक संस्थागत आन्दोलन और शौर्य के पर्याय हैं। श्री देवेन्द्र स्वरूप, श्री लल्लन प्रसाद व्यास, डा. रमानाथ त्रिपाठी एवं श्री ह्मदय नारायण दीक्षित के आलेख शोधात्मक एवं बोधात्मक हैं। डा. कुलदीप चन्द्र अग्निहोत्री, श्री अरुण कुमार सिंह, श्री जितेन्द्र तिवारी को साधुवाद! श्री नरेश शांडिल्य की कविता के छन्द-विधान का रस तो लिया, परन्तु कथ्य और भी परिमार्जित होता तो आनन्द सहस्र गुणा बढ़ जाता।-पं. सुधाकर शर्माडद्ध/ऊअनुपम सदन, पं. विद्यासागर शर्मा मार्गप्रेम नगर, बालाघाट (म.प्र.)न्याय-प्रणाली धीमी क्यों?पिछले दिनों ब्रिाटेन की एक अदालत ने सऊदी अरब के शाही परिवार से जुड़े एक युवक को अपने नौकर की पीट-पीट हत्या कर देने के आरोप में सजा सुनाई है। कहा जाता है कि उस युवक ने फरवरी, 2010 में ब्रिाटेन के एक होटल में अपने नौकर की हत्या की थी। एक हत्यारोपी को सजा मात्र 8 महीने में दे दी गई। जबकि भारत की न्याय-प्रणाली इतनी धीमी है कि यहां आतंकवादियों को भी वर्षों तक सजा नहीं हो रही है। ऐसी न्याय-प्रणाली में संशोधन होना चाहिए।-अरुण अतरीडद्ध/ऊ560, सीता नगर, लुधियाना (पंजाब)हिन्दुओं का अपमानजम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से जूझते हुए हमारे वीर सैनिक प्रतिदिन शहीद हो रहे हैं। माओवादियों के डर से लोग गोधूलि वेला में ही घर में सिमटने को मजबूर हो रहे हैं। आई.एस.आई. के इशारे पर जगह-जगह बम विस्फोट हो रहे हैं। फिर भी यह सरकार कहती है कि देश को सबसे अधिक खतरा साम्प्रदायिक ताकतों से है। और ये लोग संघ परिवार को साम्प्रदायिक मानते हैं। वास्तव में यह करोड़ों हिन्दुओं का अपमान है।-डा. युवराज सिंहडद्ध/ऊजावल, बुलन्दशहर (उ.प्र.)रोको जनसंख्याएक ओर प्रतिवर्ष लाखों रुपए कमाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, तो दूसरी ओर गरीबी और बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। अर्थात् गरीब की गरीबी और अमीर की अमीरी बढ़ रही है। गरीब और अमीर में अन्तर बढ़ता जा रहा है। इस अंतर का कारण बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या है। आमदनी कम और बच्चे अधिक होने के कारण पौष्टिक आहार, उत्तम वस्त्र और शिक्षा के अभाव में ये बच्चे पढ़ने लिखने की आयु में मजदूरी करने लग जाते हैं। परिणामस्वरूप सस्ते मजदूरों की संख्या बढ़ती जाती है। जिन्हें प्रतिमास सात-आठ हजार रुपए मिलने चाहिए, वे दो-तीन हजार रुपए में आसानी से उपलब्ध हैं तथा व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए मानव संसाधन सस्ते में मिल जाने से उनके मुनाफे में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। इसलिए अधिक बच्चे बच्चे पैदा करने पर रोक लगनी चाहिए।-डा. शशिकान्त गर्गडद्ध/ऊ152/2, कुन्दन कालोनी, अहीर वाड़ा बल्लभगढ़, जिला-फरीदाबाद (हरियाणा)कोई लेगा पाकिस्तानी हिन्दुओं की सुध!यह इतिहास सत्य है कि भारत का विभाजन और पाकिस्तान का निर्माण मुस्लिम नेताओं की “मुस्लिम राष्ट्र” की प्रबल इच्छा और कुटिल अंग्रेजों की “बांटो और राज करो” नीति का परिणाम था। यह विभाजन भारत के लिए “घातक” सिद्ध हुआ है। पाकिस्तान तो “इस्लामी राष्ट्र” हो गया है परन्तु भारत पंथनिरपेक्षता का ढोल बजा रहा है। भारत में मुस्लिम जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। 1947 में आजादी के समय जितनी जनसंख्या थी उससे तीन-चार गुना मुस्लिम आबादी हो गई है। मुस्लिम हर राजनीतिक दल का चहेता वर्ग है और भारत के संसाधनों का अच्छा लाभ उठा रहा है। जबकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंगलादेश आदि मुस्लिम देशों में हिन्दुओं की आबादी तेजी से घट रही है तथा वहां का हिन्दू समाज घोर प्रताड़ित हो रहा है। वहां हिन्दुओं का कोई सम्मान, अधिकार, विकास नहीं हो रहा है। मुस्लिम देशों में रह रहे हिन्दू असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। एक समाचार के अनुसार पाकिस्तान के 15 लाख हिन्दू भारत आना चाहते हैं। क्योंकि अब वहां के हिन्दुओं को वहां के शासकों एवं मुस्लिम समाज से कोई उम्मीद नहीं रह गई है। उन्हें अपना सुरक्षित घर “भारत” ही नजर आ रहा है। इससे पहले वे लुट-पिटकर शरणार्थी का जीवन बिताने आयें, भारत सरकार को उन्हें सादर भारत बुला लेना चाहिए। भविष्य में पाकिस्तान के साथ जो भी वार्ता हो उसमें यह एक प्रमुख मुद्दा होना चाहिए।-डा. उमेश मित्तलडद्ध/ऊगंगोह रोड, सहारनपुर (उ.प्र.)पुरस्कृत पत्र…क्योंकि वे हिन्दू थेगत 8 व 9 नवम्बर को असम में 23 हिन्दुओं की हत्या गोली मारकर कर दी गई। मीडिया ने बताया कि उग्रवादी संगठन एन.डी.एफ.बी. ने हिन्दी-भाषी होने के नाते इन लोगों की हत्या की। वहां की तरुण गोगोई सरकार ने भी इस काण्ड को बहुत ही सामान्य ढंग से लिया। मीडिया और सरकार दोनों अर्धसत्य बता रहे हैं। दोनों सत्य से परहेज कर रहे हैं। इसलिए सत्य से परहेज कर रहे हैं क्योंकि मरने वाले हिन्दू थे, हिन्दी बोलते थे, गरीब थे, किसी वोट बैंक का हिस्सा नहीं थे, उनका कोई आका सत्ता में बैठा नहीं है, उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई आयोग नहीं बना है, उन्हें विशेष सुविधाएं देने के लिए किसी मंत्रालय का गठन नहीं हुआ है। और सबसे बड़ी बात कि वे दो-जून की रोटी के लिए ऋणात्मक तापमान हो या चिलचिलाती धूप, कहीं भी मजदूरी कर लेते हैं, पर बन्दूक नहीं उठाते हैं। इस देश की माटी की पूजा करते हैं, इस देश के विरुद्ध नारे नहीं लगाते हैं। इसलिए इन “बेचारों” की हत्या पर न तो वह मीडिया चिल्लाता है, जो गर्वो#ेक्ति करता है कि “खबर हर कीमत पर”। और न ही वह सरकार कुछ करती है, जो अपने वोट बैंक को देशहित से ज्यादा महत्व देती है।प्रश्न उठता है कि असम में आखिर हिन्दी-भाषी, विशेषकर मजदूरों को ही चुन-चुन कर क्यों मारा जा रहा है और यह एन.डी.एफ. बी. क्या बला है? ऐसा इसलिए हो रहा है कि डर के मारे ये हिन्दी-भाषी अपने-अपने राज्य पलायन कर जाएं और उनकी जगह बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को काम मिले। एन.डी.एफ. बी. को पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आई.एस.आई. ने खड़ा किया है। एक साजिश के तहत यह संगठन अपना काम करता है और इसका एकमात्र लक्ष्य है बंगलादेशी घुसपैठियों को पूर्वोत्तर के हर क्षेत्र में बसाना। उल्लेखनीय है कि असम आदि राज्यों में रिक्शा चालक, भवन निर्माण से जुड़े या चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों में अधिकांश हिन्दी भाषी हैं। और ये लोग मूल रूप से बिहार, उ.प्र., झारखण्ड से वहां गए हैं। इनके रहते बंगलादेशी घुसपैठियों को वहां काम नहीं मिलता है और उनकी मनमानी भी नहीं चलती है। इसलिए एक साजिश के तहत हिन्दी भाषी मजदूरों की हत्या आई.एस.आई. के इशारे पर की जा रही है। यह साजिश वर्षों से चल रही है, पर वोट बैंक की गुलाम सरकार दोषियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती है।-भूषणलाल पाराशरडद्ध/ऊसी-4 एच/39, जनकपुरी, नई दिल्ली-110058डटे हैं भ्रष्टाचारीन्यायालय है कर रहा, मनमोहन पर वारनाकारा साबित हुई, यह दिल्ली सरकार।यह दिल्ली सरकार, डटे हैं भ्रष्टाचारीचाहे जिधर नजर डालो, है मारामारी।कह “प्रशांत” घोटालों में है नाम कमायादुनिया भर में भारत को बदनाम कराया।।-प्रशांतपञ्चांगवि.सं.2067 – तिथि – वार – ई. सन् 2010मार्गशीर्ष अमावस्या – रवि 5 दिसम्बर, 2010मार्गशीर्ष शुक्ल 1 सोम 6 “” 2 मंगल 7 “” 3 बुध 8 “” 4 गुरु 9 “” 5 शुक्र 10 “” 6 शनि 11 “18
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