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शिशुओं को संस्कारवान बनाने का मंत्रगत दिनों रीवा (म.प्र.) में विद्या भारती, मध्य क्षेत्र का क्षेत्रीय शिशुवाटिका आचार्य शिक्षण वर्ग सम्पन्न हुआ। 25 दिवसीय इस वर्ग में विद्या भारती के महाकौशल, मध्यभारत और छत्तीसगढ़ प्रांत के सरस्वती शिशु मंदिर की 153 शिक्षिकाओं ने भाग लिया तथा शिशुओं को मनोवैज्ञानिक आधार पर शिक्षित करने की जानकारी हासिल की।शिविर में प्रतिदिन प्रात: 9:15 बजे से शिशुओं को शिक्षित करने से संबंधित विषयक सत्र होते थे, जिसमें देश के ख्याति प्राप्त शिक्षकों और मनोवैज्ञानिकों ने आकर शिक्षिकाओं से विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की। इतना ही नहीं शिविर में शिक्षिकाओं को शिशुओं को संस्कारवान बनाने हेतु अनेक प्रकार के श्लोक भी कंठस्थ कराए गए। शिविर के समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित विद्या भारती, छत्तीसगढ़ के संगठन मंत्री श्री भालचंद रावले ने कहा कि भारतमाता की जय का उद्घोष जनकल्याण का मूल मंत्र है। इन्हीं सारी भावनाओं को विकसित करने का काम देश में सरस्वती शिशु मंदिरों में किया जाता है। जिससे कि हिन्दुत्व शक्ति पूर्ण रूप से विकसित हो तथा अन्याय और शोषण से मुक्त सम्पूर्ण देश विकसित हो। क्योंकि हिन्दुत्व का भाव ही सर्वकल्याणकारी है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा के कुलपति डा. शिवनारायण यादव थे, जबकि अध्यक्षता डा. एन.सी. चौरसिया ने की और विशिष्ट अतिथि थे विद्या भारती, महाकौशल प्रांत के संगठन मंत्री श्री डोमेश्वर। प्रतिनिध्32
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