|
बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, इस सम्बंध में बाल विशेषज्ञ डा. रामप्रकाश शर्मा कुछ बिन्दु बता रहे हैं।क्या आपने बच्चे को अपने अधूरे सपनों को पूरा करने का साधन मान लिया है?बच्चे को उसकी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक योग्यता के साथ-साथ अभिरुचि के अनुसार व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता दें।बच्चे से प्रतिदिन बात करिये उसे तीसरे दर्जे का नहीं, बल्कि पहले दर्जे का सम्मान दीजिये।क्या आपने बच्चे के अच्छे कार्यों की प्रशंसा सबके सामने और उसकी कमियों की बात एकान्त में उससे की है?बच्चे को नकारात्मक दिशा की ओर जाने-अनजाने प्रेरित न करें। नकारात्मक स्वभाव उसके विकास में बाधक होगा।क्या आप बच्चे के सामने दूसरों की निन्दा करते समय अवगुणों के दुष्परिणामों की भी चर्चा करते हैं?बच्चे में तोड़-फोड़, गाली, अशिष्ट व्यवहार, जिम्मेदारी की भावना का अभाव, नकल, झूठ, दिखावा, छल, छिपाना, चुराना, अपव्यय करना, बहाना बनाना इत्यादि दोष हैं तो उन्हें प्यार से दूर करने का प्रयास करें।अपने बच्चे को आदर्श व्यवहार, आदर्श वाक्यों, महान पुरुषों, वैज्ञानिकों, देशभक्तों, कवियों, लेखकों की जीवनियों से परिचित करवाएं।प्रतिदिन बच्चे से उसके स्तर पर जाकर बातचीत में नेक विचारों की पूंजी से उसके पवित्र ह्मदय को सुगन्धित करें।बच्चे को शिक्षा के महत्व से परिचित कराएं तथा शिक्षित न होने या कम शिक्षित होने के दुखद परिणामों से भी तर्कपूर्ण ढंग से अवगत करा दें।त्याग, विवेक, धैर्य, साहस और परिश्रम के बारे में बच्चे के साथ मिलकर बात करके उसमें आत्मविश्वास भरने की आवश्यकता है।धन सम्पत्ति के भण्डार से वह उतना सुखी, दीर्घजीवी और माता-पिता का आज्ञाकारी, सेवा आदि गुणों से पूर्ण नहीं बन सकता, जितना सद्गुणों की सम्पत्ति से सुखी, यशस्वी और दीर्घजीवी, मातृ-पितृ सेवक बन सकता है।19
टिप्पणियाँ