|
गत 15-16 मार्च को राजधानी दिल्ली स्थित इंडिया हेबिटेट सेन्टर में अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (आई.एल.ओ.) द्वारा “घरेलू कामकाजी महिलाओं पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न मजदूर संगठनों के 33 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला के चर्चा सत्रों में इन संगठनों ने अपने-अपने अनुभव बांटे तथा भविष्य के लिए नई कार्य योजनाएं बनार्इं। एक सत्र में अ.भा. मजदूर संघ की उपाध्यक्ष सुश्री गीता गोखले ने अपने वक्तव्य में घरेलू कामकाजी मजदूरों की स्थिति को वर्णित करते हुए कहा कि ये मजदूर कभी भी नौकरी से निष्कासित किए जा सकते हैं, इसके अतिरिक्त ये प्राय: मानसिक, शारीरिक एवं लैंगिक शोषण के शिकार भी होते हैं, इसलिए इनके कार्य एवं इन्हें स्वयं सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से विचार करना बहुत आवश्यक है।घरेलू कामकाजी मजदूरों की वैश्विक स्थिति बताते हुए गीता ताई ने बताया कि लगभग 90 प्रतिशत मजदूर महिलाएं, बालिकाएं अथवा बच्चे हैं, जिनमें से 25 प्रतिशत 14 वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश मजदूर महिलाएं अशिक्षित हैं, जो अपना घर एवं बच्चों को अकेला छोड़कर दूसरों के घर एवं बच्चों को संभालने का कार्य करती हैं।उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि मजदूरों के लिए बने कानून घरेलू कामकाजी मजदूरों को समाहित नहीं करते, इसलिए इन्हें मजदूरों की श्रेणी में न तो गिना जाता है और न ही इन्हें कोई न्यायायिक सहायता, अधिकार एवं प्रतिष्ठा प्राप्त है। सुश्री गोखले ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इन मजदूरों के लिए कानून निर्माण, अधिकार व हितों के लिए सदैव प्रयासरत रहता है। देश के सात प्रान्तों- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, बिहार, राजस्थान तथा महाराष्ट्र में इनके लिए कुछ नियम एवं कानून लागू भी किए गए हैं, परन्तु इन मजदूरों की बढ़ती संख्या के परिणामस्वरूप देशभर में इनके लिए एक जैसे नियम एवं कानून बनाने की बहुत आवश्यकता है।कार्यशाला में भारतीय मजदूर संघ द्वारा मजदूरों के हित में किए गए कार्यों की प्रतिनिधियों द्वारा प्रशंसा की गई। इस अवसर पर भारतीय मजदूर संघ के मीडिया प्रभारी श्री अश्विनी राणा, भारतीय रेलवे मजदूर संघ के श्री पी.सी. शर्मा एवं प्रो. कमला शंकरन उपस्थित थीं। द संगीता सचदेव28
टिप्पणियाँ