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हिन्दुत्व का मंत्र ही दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान -मोहनराव भागवत सरसंघचालक, रा.स्व.संघ”दुनिया को कट्टरपन छोड़ना होगा। अहंकार का त्याग करना होगा। हम ही बेहतर बाकी सब गलत, इस भाव को मारना होगा, अलगाव को मिटाना होगा। संपत्ति और अधिकार नहीं, त्याग और दायित्व बोध को जन्म देना होगा। हिन्दुत्व का भाव त्याग की नींव पर खड़ा है। इसलिए हिन्दुत्व का मंत्र ही दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान है।” उपरोक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत 18 अप्रैल को झारखंड की राजधानी रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में लगभग 15,000 गणवेशधारी स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहीं।उन्होंने कहा कि मनुष्य भी प्रकृति का अंग है। जैसे हमें इस पृथ्वी पर रहने व संसाधनों का उपभोग करने का हक है, वैसे ही हर जीव जन्तु को ईश्वर प्रदत्त यह अधिकार है। हम इन्हें बचाकर ही बच सकते हैं। दुनिया को बाजार नहीं बनायें। पर्यावरण को विनष्ट न करें। उन्होंने अपने रांची प्रवास के पूर्व अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले रांची का मौसम काफी खुशनुमा रहता था। थोड़ी गर्मी पड़ती कि बारिश हो जाती, लेकिन आज स्थिति विपरीत है। यह सब “ग्लोबल वार्मिंग” का दुष्परिणाम है।उन्होंने मजहब आधारित आरक्षण का विरोध करते हुए कहा कि अपने देश के संविधान में सम्प्रदाय के आधार पर आरक्षण देने की व्यवस्था ही नहीं है। संविधान के विपरीत इस तरह के राष्ट्र-घातक प्रयासों का हम सदैव विरोध करते रहेंगे। पिछड़ों को आरक्षण देने की बात समझ में आती है। आरक्षण तो आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को ही मिलना चाहिए। जो किसी भी जाति, पंथ या सम्प्रदाय के हो सकते हैं। शासन की निगाह अपने सभी नागरिकों पर समान होनी चाहिए। सम्प्रदाय आधारित निगाह खतरनाक है। गरीबों के हक की बात करें, यह स्वागत योग्य है। होना भी चाहिए। किन्तु अपने देश के प्रधानमंत्री यह कहें कि देश के संसाधनों पर पहला हक एक सम्प्रदाय विशेष का है, यह अति निंदनीय है। हमें समाज को देशहित में लगाना चाहिए ताकि राष्ट्र सशक्त व सबल हो।श्री भागवत ने जनगणना के मुद्दे पर कहा कि जनगणना और नागरिकता दो अलग-अलग चीजें हैं। नागरिकता के साथ सुरक्षा का प्रश्न जुड़ा होता है। अत: किसी भी देश में दूसरे देश के लोगों को पूर्ण अधिकार के साथ नागरिकता नहीं मिलती है। बंगलादेशी घुसपैठ पर चिन्ता जताते हुए उन्होंने कहा कि यहां करोड़ों बंगलादेशी हमारे अन्न-जल पर पल रहे हैं। इस जनगणना में उन्हें नागरिकता भी मिल जाएगी। इस तरह वोट के चलते सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को भी अनदेखा किया जाता है।उन्होंने एक रोचक कहानी के माध्यम से उपस्थित स्वयंसेवकों और आम समाज से कहा कि अगर मांगना है तो निर्भय ह्मदय मांगो, क्योंकि समस्याएं गिनाने से कुछ नहीं होता, हर समस्या का निदान निर्भय ह्मदय में छिपा है। सिर्फ आलोचना करने से काम नहीं चलेगा। दर्शक भी बनने से काम नहीं चलेगा। अगर संघ को समझना है तो हमारे पास यानी संघ में आना होगा। साथ बैठें, शाखा में शमिल हों, विचारों को खुलेमन से सुनें और समझें, ध्येय को जानें और इसके उद्देश्यों पर बहस करें तभी तो आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जान पाएंगे?उन्होंने घटती हिन्दू जनसंख्या पर चिन्ता जताते हुए कहा कि जब किसी ने कहा कि हम हिन्दू के साथ नहीं रहेंगे, तब देश टूटा। जहां हिन्दू कम हुए हैं, वहां अलगाववाद ने सिर उठाया है। भारत एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं, अपितु एक संस्कृति है। यहां कोई मुसलमान अरब से नहीं आया, ईसाई यूरोप से नहीं आया, सब यहीं के हैं। हमें अपने देश, संस्कृति व पूर्वजों पर गौरव करना चाहिए। यही हिन्दुत्व सिखाता है। कभी भी एक भाषा, जाति व धर्म सभी को नहीं जोड़ सकता। विविधता में एकता तलाशनी होगी। समाज व देश के विकास के लिए जरूरी है, हम लोगों में सद्गुणों का स्तर ऊपर उठाएं। तभी देश का भाग्योदय होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यही कार्य कर रहा है। पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हों या प्रो. वी.जी. वर्गीस सब ने यही कहा है, हम समाज में उदाहरण बनने वाले लोग तैयार करें। संघ यही काम करता है। सरकार की नीति और विकास पर उन्होंने कहा कि सरकार जो काम नौ पंचवर्षीय योजनाओं में नहीं कर पाई वह कार्य स्व. नानाजी ने चित्रकूट में कुछ वर्षों में कर दिखाया। हमें गो-ग्राम आधारित संरचना को विकास के दायरे में लाना होगा, तभी भारत सबल होगा। पश्चिम आधारित विकास पद्धति भारत में कभी भी फलीभूत नहीं हो सकती, इस पर समाज को ही सोचना होगा।संघ समागम में स्वयंसेवकों ने रोमांचक शारीरिक प्रदर्शन किया व परम्परागत तरीके से सरसंघचालक जी का स्वागत किया। पूरे कार्यक्रम में स्वयंसेवकों का अनुशासन लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ था।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री सानिका पाहन ने अपने आशीर्वचन में कहा कि मतांतरण करने वाले जनजातियों को सरकारी सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशी शक्तियां हिन्दू धर्म को नष्ट करने की साजिश करती रही हैं। ये झारखंड में जोर-शोर से लोभ, लालच, नौकरी, पैसा यानी हर हथकंडे से मातान्तरण को बढ़ावा दे रही हैं। श्री पाहन ने कहा कि झारखंड में मतांतरण हर हाल में रुकना चाहिए। मंच पर क्षेत्र संघचालक श्री सिद्धनाथ सिंह, प्रांत संघचालक श्री जगन्नाथ शाही भी विराजमान थे। द संजय कुमार आजाद13
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