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मिलना ही था आंख को अश्रु-प्रवाह अगाध, इस युग में हमने किया हंसने का अपराध।-डा. अनन्तराम मिश्र अनन्तबूढ़े मां-बाप बंटे यूं बेटों के बीच, ज्यों शर्तें व्यापार की दो सेठों के बीच।-जय चक्रवर्तीअर्थव्यवस्था के हुए दोनों गुरदे फेल, डायलिसिस पर देश है ग्लोबल सारा खेल।-दिनेश रस्तोगीतुम्हीं कहो किससे कहें अपने मन की पीर, रद्दी में बिकने लगे तुलसी-मीर-कबीर।-नागेन्द्र अनुजबादल तो आये मगर बुझी न मन की प्यास, धरती अब तक कर रही है निर्जल उपवास।-माहेश्वर तिवारी19
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