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वंश के वफादरमंथन में श्री देवेन्द्र स्वरूप का लेख “लड़खड़ाता लोकतंत्र” कांग्रेस के चरित्र को उजागर करता है। संविधान की धारा 324 में देश में निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के लिए चुनाव आयोग के गठन का प्रावधान है। इसी में स्पष्ट कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की सलाह पर अन्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से हटाया जा सकता है। लेकिन कांग्रेसी शह पर सब कुछ उल्टा हो रहा है। वंश के प्रति वफादारी की वजह से नवीन चावला मुख्य चुनाव आयुक्त बनने वाले हैं। 1975-77 में चावला का अधिनायकवादी चेहरा लोगों ने देखा है। शाह आयोग ने भी इनके खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई थी।-दिलीप शर्मा114/2205, एम.एच.वी. कालोनी, कांदीवली पूर्व, मुम्बई (महाराष्ट्र)द जब 205 सांसदों ने चावला का विरोध किया, अन्य भी जांचें चल रही हैं, तो नैतिकता के आधार पर स्वयं नवीन चावला को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उधर, पाकिस्तान में बढ़ते तालिबान से भारत की अस्मिता पर खतरा लगातार बढ़ रहा है। कभी अखण्ड भारत का अंग रहा पाकिस्तान अपनी ही गलत नीतियों के कारण मजहबी कट्टरवाद की आग में झुलस रहा है। वह आग भारत की सीमा से दूर रहे इसके लिए हर भारतीय को, भले ही वह कोई भी मजहब मानता हो, पूरी निष्ठा व लगन से प्रयत्न करना होगा। आवश्यकता पड़ने पर तन-मन-धन की कीमत पर भी। तभी देश में सुख-शांति रह सकेगी। महिला दिवस के निहितार्थ में श्री शिवओम अम्बर की प्रार्थना फलीभूत हो।-डा. नारायण भास्कर50 अरुणा नगर, एटा (उ.प्र.)अवसरवादी राजनीतिसम्पादकीय “राजनीति का चेहरा बदले” मौजूदा राजनीति की विसंगतियों और परिवर्तन की जरूरतों को रेखांकित करता है। लोकसभा चुनाव के परिदृश्य को ध्यान से देखने पर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि सभी दल कह रहे हैं, “हमारे लिए सभी विकल्प खुले हैं”। यह कथन राजनीति के अवसरवाद का खुला एवं स्पष्ट प्रमाण है। लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में साझेदारी के लिए वे सभी दल एकजुट हो जाएंगे, जो एक-दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे हैं। सिद्धांत, मान्यताएं, आदर्श नामक कोई वस्तु हमारी राजनीति में नजर नहीं आ रही है। आचरण-हीन राजनीति के इस विकृत स्वरूप ने लोकतंत्र के भविष्य को उन गहरी अंधेरी सुरंगों में धकेल दिया है, जहां से निकलने के ईमानदार प्रयास नहीं किए गए तो देश और समाज के लिए खतरनाक होगा।-मनोहर “मंजुल”पिपल्या-बुजुर्ग, पश्चिम- निमाड़ (म.प्र.)समाजवादी “विशेषता”श्री शंकर शरण का लेख “भ्रष्टाचार की कांग्रेस विचारधारा” अच्छा लगा। समाजवादी विचारधारा की विशेषता है कि उसको मानने वाले गरीबों की बातें करते हैं, किन्तु प्राय: जीवन में काफी धनवान होते हैं। पं. नेहरू भी इसके अपवाद नहीं थे। समाजवादी विचारधारा केवल बौद्धिक विचारधारा है, जो बुद्धि को अपील करती है, और गरीबों से सहानुभूति होने का भ्रम पैदा करती है, पर सत्ता के आकर्षण को छुपाए रखती है। गांधी जी ने गरीब लोगों के साथ काम करने के लिए अपनी राजसी आदतें छोड़ दी थीं, कम से कम कपड़े पहनने लगे थे। वे असली समाजवादी थे।-श.द. लघाटेसंकट मोचन आश्रम, रामकृष्ण पुरम-6 (नई दिल्ली)विचारणीय बयानदृष्टिपात में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान “कश्मीरी पंडित राज्य के अभिन्न अंग” विचारणीय है। इस सन्दर्भ में अपने घर-द्वार से बाहर खदेड़े गए कश्मीरी हिन्दुओं को संगठित होकर आवाज उठानी चाहिए। जब सैकड़ों साल बाद इजरायल के लोग अपने वतन लौट सकते हैं, तो कश्मीरी हिन्दू वापस क्यों नहीं हो सकते? इन्हें पूरी सुरक्षा देकर वहां बसाया जाना चाहिए। अपने नागरिकों की सुरक्षा करना सरकार का पहला कर्तव्य है। इस मामले में केन्द्र सरकार को भी आगे आना चाहिए। कश्मीरी हिन्दुओं की स्थिति पर अन्य राजनीतिक दलों और गैर-सरकारी संगठनों को भी विचार करना चाहिए।-लक्ष्मी चन्दगांव-बांध, डाक-भावगड़ी, जिला-सोलन (हि.प्र.)तालिबानिस्तान मेंतब्दील होता पाकिस्तानलाहौर में तालिबानी आतंकवादियों ने जिस योजनाबद्ध तरीके से श्रीलंका क्रिकेट टीम पर जिहादी हमले को अंजाम दिया उसने यह सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है कि निकट भविष्य में पाकिस्तान का तालिबानिस्तान में तब्दील होना एक हकीकत बन चुका है। इतने संगीन हमले के बाद भी, जिसने श्रीलंकाई क्रिकेटरों की बस को घेरकर उस पर ताबड़-तोड़ गोलियों की बौछार की गई थी, खिलाड़ियों का जिंदा बच निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह बड़ा विचित्र संयोग था कि आतंकवादियों ने श्रीलंकाई खिलाड़ियों की बस पर राकेट लांचर, ग्रेनेड और अन्य स्वचालित हथियारों से एक जोरदार हमला किया और पाकिस्तान के सुरक्षा इंतजाम धरे के धरे रहे गए। क्या इससे यह साबित नहीं हो जाता कि पाकिस्तान शासन व्यवस्था को तालिबान व अन्य कट्टरपंथियों ने बंधक बना लिया है?-आर.सी. गुप्तानेहरू नगर, गाजियाबाद (उ.प्र.)द श्री ए. सूर्यप्रकाश का विचार अक्षरश: सत्य है कि पाकिस्तान में तालिबान का आना भारत के लिए खतरनाक सन्देश है। दुनिया में जितने भी इस्लामी देश हैं, वहां लोकतांत्रिक मर्यादाएं बिल्कुल नहीं हैं। इस समय पाकिस्तान विखण्डन की राह पर चल रहा है। मजहब की बुनियाद पर खड़ा कोई भी तंत्र सभ्य समाज की मर्यादाओं को नहीं मानता। इसलिए पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है उस पर भारत को जरूरत से ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है।-हुकुम चन्द चौधरीग्राम व पो.-सपोटरा, जिला-करौली (राजस्थान)बेचारे पाकिस्तानी हिन्दूभारत में “अल्पसंख्यक” मुस्लिमों के हालात पर अक्सर घड़ियाली आंसू बहाने वाले पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की हालत बदतर हो चुकी है। कई हिन्दू परिवार तो वहां से भागकर भारत आ चुके हैं और शरण की भीख भारत सरकार से मांग रहे हैं। शरण न मिलने पर यहीं मरने की कसम तक खा चुके हैं। 1947 में बंटवारे के बाद गांधी-नेहरू के आश्वासन के कारण 33 प्रतिशत हिन्दू पाकिस्तान में ही बने रहे। परन्तु मतान्तरण और मारकाट के कारण 10 वर्ष में ही हिन्दुओं की आबादी वहां घटकर 4 प्रतिशत रह गई, जो आज केवल 1 प्रतिशत रह गई है।पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के अनुसार विगत 6 वर्ष में हिन्दू बालिकाओं के अपहरण और मतान्तरण के 50 मामले आयोग की जानकारी में आए हैं। इनमें बलपूर्वक लड़कियों का निकाह मुस्लिम पुरुषों के साथ कराया गया। इस प्रकार इस्लाम मजहब ग्रहण करने के बाद इस लड़की का किसी भी काफिर (रिश्तेदार) से कोई सम्बंध नहीं रह जाता, चाहे वह उसके माता-पिता ही क्यों न हों।-सुशील गुप्ताबेहट बस स्टैण्ड, सहारनपुर (उ.प्र.)आदरणीय सम्पादक जी,सर्वप्रथम आपको हार्दिक शुभकामनाएं व कोटि-कोटि बधाइयां। गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में प्रकाशित विशेषांक “आतंकवाद बनाम राष्ट्रवाद” के सभी लेख अति प्रेरक एवं राष्ट्रीयता की भावनाओं से ओत-प्रोत हैं। श्रीगुरुजी उवाच से लेकर आपका संवाद, श्री ए. सूर्यप्रकाश, श्री रामकुमार ओहरी, श्रीमती लक्ष्मीकान्ता चावला आदि के लेख बड़े विचारोत्तेजक लगे। डा. शिव बरुआ की कहानी “गणतंत्र का इंतजार” बड़ी ह्मदय-विदारक थी। यहां पाञ्चजन्य हमें श्री लक्ष्मण गोधवानी द्वारा प्राप्त होता है। आप सब बड़ी ही सराहनीय देश सेवा कर रहे हैं। प्रार्थना है ईश्वर आप पर महती कृपा करें। भारत वर्ष की अखण्डता व स्वतंत्रता बनी रहे। शुभकामनाओं के साथ,-गुलशन सुजान,तन्रीफ (स्पेन)बलात् धोखाधड़ीजम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों के विरुद्ध पिछले 60 साल में किए गए भेदभावों की जांच हेतु एक आयोग बनाने की घोषणा की है। वस्तुत: इस आयोग की कोई जरूरत नहीं। जम्मू-लद्दाख के खिलाफ भेदभाव इतना अधिक और इतना प्रत्यक्ष रहा है कि बगैर किसी आयोग के भी दुनिया को समझ में आता है। आयोग की नियुक्ति का अर्थ केवल मामला लटकाना है। पहले भी तीन अलग-अलग आयोग इस विषय में जांच कर भेदभाव के प्रमाण राज्य सरकार को दे चुके हैं, पर कार्रवाई कोई नहीं हुई। सन् 1968 में जी.एम. सादिक की सरकार ने न्यायमूर्ति गजेन्द्र गड़कर की अध्यक्षता में पहला आयोग बनाया। उसकी रपट आ गयी, पर जम्मू-लद्दाख के खिलाफ भेदभाव कम नहीं हुआ। फिर शेख अब्दुल्ला (उमर अब्दुल्ला के दादा) ने 1978 में न्यायमूर्ति एस.एम. सीकरी आयोग नियुक्त किया। इसके बाद 1981 में घाटी की अपेक्षा जम्मू में नए जिले कम बनाने के मामले में भेदभाव करने की जांच के लिए न्यायमूर्ति जे.एन. वजीर आयोग बनाया गया। इन आयोगों की तमाम रपटें रद्दी की टोकरी में डाल दी गयीं। जम्मू और लद्दाख के खिलाफ सौतेला व अपमानजनक बर्ताव बंद नहीं हुआ। जरूरत किसी नए आयोग की नहीं, उक्त भेदभाव व अन्याय को तत्काल दूर करने की है। सबसे बड़ा भेदभाव तो राजनीतिक ताकत के बंटवारे का ही है। जम्मू व लद्दाख की सम्मिलित मतदाता संख्या 32.77 लाख के मुकाबले कश्मीर घाटी में 32.60 लाख मतदाता हैं। पर जम्मू-लद्दाख ने चुने 41 विधायक, जबकि घाटी से 46 विधायक चुने जाते हैं। लोकसभा चुनाव में तो जम्मू में घाटी के मुकाबले मतदाताओं की संख्या पौने दो लाख ज्यादा है, पर जम्मू केवल दो सांसद चुनता है और घाटी तीन। इस प्रकार प्रदेश की राजनीति पर घाटी का वर्चस्व बनाए रखने के लिए 60 साल से बलात् धोखाधड़ी की गयी है। प्रदेश में जम्मू-लद्दाख से सरकार को 70 प्रतिशत राजस्व मिलता है, पर वह इन इलाकों पर खर्च सिर्फ 30 प्रतिशत करती है। केन्द्र सरकार से प्रदेश को मिलने वाली सहायता का तो 90 प्रतिशत तक घाटी निगल जाती है। नौकरियों, सड़कों, नागरिक सुविधाओं-सब मामलों में आपराधिक भेदभाव है। हद तो यह है, जो शायद अविश्वसनीय लगे, कि सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल जम्मू-लद्दाख में बलात् मतान्तरण के लिए भी किया जाता है।-अजय मित्तलखन्दक, मेरठ, (उ.प्र.)हर सप्ताह एक चुटीले, ह्मदयग्राही पत्र पर 100 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।-सं.आतंकी हमलाबोया पेड़ बबूल का, आम कहां से खाय यही दशा है पाक की, अब करता है हाय। अब करता है हाय, हुआ आतंकी हमला रोज-रोज की बात, नहीं यह झटका पहला। जो “प्रशांत” दूजों के हित गढ्डा खोदेगा साफ समझ ले इक दिन उसमें वही गिरेगा।।-प्रशान्तपञ्चांगसंवत् 2066 वि. – वार ई. सन् 2009 वैशाख कृष्ण 3 रवि 12 अप्रैल, 09 ” 4 सोम 13 ” “(वैशाखी) 5 मंगल 14 ” ” 6 बुध 15 ” ” 7 गुरु 16 ” ” 8 शुक्र 17 ” “तिथि वृद्धि 8 शनि 18 ” सूचनायदि डाक द्वारा प्रेषित पाञ्चजन्य की प्रति आपको यथासमय नहीं प्राप्त हो रही है तो कृपया इन दूरभाष नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं- (011) 47642002 व 4764201016
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