जनजातीय आंदोलन और गोविन्द गुरु
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

जनजातीय आंदोलन और गोविन्द गुरु

by
Oct 5, 2009, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 05 Oct 2009 00:00:00

भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान सभी वर्गों का यथासंभव शोषण किया गया। उस शोषण के विरुद्ध अनेक आन्दोलनों के माध्यम से विरोध प्रकट किया जाता रहा कि उन आन्दोलन की तीव्रता कहीं ना कहीं अंग्रेजी हुकूमत की नींद उड़ाती रही। रूप सिंह भील द्वारा रचित पुस्तक “अंग्रेजी शासन में सामंती शोषण एवं जनजातीय भगत आंदोलन” द्वारा अंग्रेजों के शोषण के विरुद्ध जनजातीय समाज को आंदोलित करने वाले गोविन्द गुरु का वर्णन किया गया है। गोविन्द गुरु ने 19वीं सदी के पूर्वाद्र्ध में जनजातीय समाज की अस्मिता की रक्षा व देश की स्वतंत्रता के लिए राजशाही व अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया। जिसका परिणाम 17 नवम्बर, 1913 को मानगढ़ नरसंहार के रूप में सामने आया। इसका उल्लेख पुस्तक के नवें अध्याय में विस्तृत रूप से किया गया है।गोविन्द गुरु ने भीलों को अंधविश्वास व रूढ़ियों, आर्थिक, राजनीतिक दासता तथा शोषण से मुक्त कराने के लिए बहुआयामी संघर्ष किया था। इस पुस्तक के द्वारा गोविन्द गुरु की जीवनी, भगतपंथ-एक समग्र आन्दोलन, मानगढ़ नरसंहार, इनके विरुद्ध अभियोग एक दुर्लभ पत्र सहित गोविन्द गुरु के जीवन के अनेक पहलुओं को जानने का अवसर मिलता है।पुस्तक के चौथे अध्याय “गोविन्द गुरु का जीवन परिचय” में गुरु की पारिवारिक पृष्ठभूमि, स्वामी दयानन्द से संपर्क, मेवाड़प्रवास, महात्मा गांधी से भेंट, धार्मिक दीक्षा, गोविन्द गुरु की गिरफ्तारी, गुरु को फांसी का दण्ड, स्वराज पक्ष से संबंध व पुन: गिरफ्तारी के बारे में उल्लेख किया गया है। पुस्तक के पांचवें अध्याय “भगत पंथ”: एक समग्र आन्दोलन के अन्तर्गत गोविन्द गुरु के धार्मिक विचारों और विश्वासों को उद्धृत किया गया है, जिसके अनुसार “गोविन्द गुरु ने कर्म के सिद्धान्त में अटूट विश्वास प्रकट किया है। वे कहते हैं कि उनके पूर्व कर्मो का फल उनको इसी तरह भुगतना पड़ेगा जैसा कि एक पिता को अपने पुत्र के लिए भुगतना पड़ता है। गुरु का तो परामर्श यही है कि जो कोई धर्म का पालन करता है उसे मोक्ष मिलेगा। वे कबीर को उद्धृत करते हुए कहते हैं कि जो कुछ कर्म हम करते हैं उसका फल कभी न कभी तो मिलेगा। हमारे कर्म हमारा पीछा नहीं छोड़ते भले ही हम सैकड़ों कोस दूर चलें जाएं।गोविन्द गुरु ने अपने भजनों के माध्यम से चार युगों- त्रेता, द्वापर, कलियुग व सतयुग और मिथक का उल्लेख किया है। वैदिक शास्त्रों में युगों की कालगणना के जो सिद्धान्त दिए गए हैं, उनके बारे में वे अनभिज्ञ थे। लेकिन उन्हें आध्यात्मिक अनुभूति थी। उन्होंने यह आभास दिया कि सतयुग आने वाला है जिसमें भील जनजाति का उद्धार होगा। (पृष्ठ संख्या-42, 43)गोविन्द गुरु के धार्मिक उपदेश सीधे-सादे थे। उनमें किसी तरह का तात्विक आडम्बर नहीं था। जैसे कि (1) प्रात: काल नियमित रूप से स्नान करना (2) सूर्य दर्शन करना, राम का नाम जपना व सत्संग करना (3) झूठ नहीं बोलना (4) व्यभिचार नहीं करना (5) शराब व मांस का सेवन नहीं करना, आदि (पृष्ठ संख्या-45, 46)सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध प्रहार उन्होंने कुछ इस प्रकार किया है:- उन्होंने तात्कालिक हिन्दू जाति-व्यवस्था विशेषकर राजपूत व ब्राह्मण समुदायों व मुसलमानों में व्याप्त सामाजिक जड़ता व बुराइयों की कटु आलोचना की। राजपूतों द्वारा लड़कियों की हत्या करना, विधवा हुई युवतियों के पुनर्विवाह की मनाही व बाल विधवा व्यवस्था को मान्यता प्रदान करना, गोविन्द गुरु के अनुसार यह सब जघन्य अपराध व पाप है। गोविन्द गुरु के अनुसार इन सामाजिक कुरीतियों के लिए अंग्रेज सरकार भी दोषी है क्योंकि सर्वभौम सत्ता उसमें निहित थी और वे इस तरह के अपराधों की उपेक्षा करते हैं। दपुस्तक का नाम : अंग्रेजी शासन में सामंती शोषण एवं जनजातीय भगत आंदोलन (गोविन्द गुरु का योगदान) लेखक रूपसिंह भील प्रकाशक : सुरुचि प्रकाशन केशव कुंज, झण्डेवाला नई दिल्ली-110055 पृष्ठ : 136 – मूल्य : 65 रुपए19

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies