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बच्चे हमारे जीवन की प्रियतम धरोहर हैं। बच्चों का व्यवहार उनकी उम्र, व्यक्तित्व, शारीरिक एवं मानसिक विकास पर निर्भर करता है। परंतु कभी-कभी बच्चों का व्यवहार जब माता-पिता की आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरता, तो वही व्यवहार माता-पिता के लिए एक सिरदर्द बनकर रह जाता है। फिर बच्चों के साथ वही होता है, जो नहीं होना चाहिए। माता-पिता बात-बात पर बच्चों को डांटते-फटकारते हैं और पिटाई भी कर बैठते हैं। “होमवर्क” किया? स्कूल से सब कुछ समझ कर क्यों नहीं आते हो? इन प्रश्नों के साथ लोग बच्चों की धुनाई कर देते हैं। पर ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर आप सोचते हैं कि मार-पीट करेंगे तो बच्चा पढ़ लेगा, तो आप गलतफहमी में हैं। मनोचिकित्सक डा. विभा शर्मा कहती हैं, “बच्चों के व्यवहार को बदलने के लिए शारीरिक प्रताड़ना की जरूरत नहीं है। बच्चे को यदि आप पढ़ाई के लिए मारेंगे तो उसकी रुचि पढ़ाई के प्रति कम हो जाएगी। बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। यदि बच्चे को प्रताड़ित करेंगे तो वह सुधरने की अपेक्षा बिगड़ जाएगा, आपके प्रति उसके मन में नकारात्मक दृष्टिकोण पैदा हो जाएगा। आपसे वह कटा-कटा रहेगा। इसलिए बच्चों को मार-पीट से नहीं, बल्कि प्रेम की भाषा में बात करिए। ऐसा करेंगे तो वह भी आपसे लगाव महसूस करेगा और हर बात बताएगा भी। बच्चों से प्रेम का मतलब यह भी नहीं है कि उनकी हर गलती नजरअंदाज कर दी जाए। किसी गलती के लिए बच्चे को सजा दीजिए, पर प्रताड़ित मत कीजिए। द संगीता सचदेव16
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