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गत 18 से 24 जून तक लाजपतनगर (नई दिल्ली) में दुर्गावाहिनी का 6 दिवसीय प्रान्तीय शौर्य प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआ। शिविर का उद्घाटन विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंहल ने किया। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद् दिल्ली के अध्यक्ष श्री स्वदेश पाल, महामंत्री श्री सत्येन्द्र मोहन, संगठन मंत्री श्री करुणा प्रकाश सहित अनेक गण्यमान्यजन उपस्थित थे।शिविर में दिल्ली प्रान्त की 101 बहनों ने प्रशिक्षार्थी के रूप में हिस्सा लिया। वर्ग प्रमुख श्री रामकृष्ण श्रीवास्तव ने बताया कि शिविर में नई पीढ़ी की बहनों को राष्ट्र, समाज एवं हिन्दू धर्म एवं संस्कृति की जानकारी दी गयी। इसके अतिरिक्त उन्हें अपने इतिहास, धर्मग्रन्थों एवं परम्पराओं से भी अवगत कराया गया। उन्होंने यह भी कहा कि स्त्री स्नेह, ममता व करुणा की मूर्ति है। अपने इन्हीं गुणों के बल पर वह अपने परिवार को बांधती है। परन्तु आज के परिप्रेक्ष्य में परिवार तीन-चार लोगों तक ही सीमित होकर रह गया है। विश्व शान्ति के लिए हमें “वसुधैव कुटुम्बकम्” की अवधारणा को मानना होगा।दिल्ली प्रान्त दुर्गावाहिनी की संयोजिका एवं मुख्य शिक्षिका कुमारी अंजलि ने बताया कि शिविर में बहनों को आत्मरक्षा हेतु नियुद्ध (जूडो-कराटे), योगासन, राइफल, योग चाप तथा व्यायाम योग इत्यादि का भी प्रशिक्षण दिया गया। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन गीत अभ्यास, विभिन्न खेल तथा वरिष्ठ अधिकारियों एवं अतिथियों का बौद्धिक भी शिविर का हिस्सा रहा।मातृशक्ति की उपाध्यक्षा श्रीमती तारा भार्गव ने बताया कि 35 वर्ष की आयु से ऊपर की बहनों को मातृशक्ति के वर्ग में लिया गया। उन्होंने बताया कि दिल्ली प्रान्त में दुर्गावाहिनी की स्थापना सन् 1982 में दुर्गाष्टमी के दिन हुई थी। तत्पश्चात् 1984 से प्रतिवर्ष शिविर लगने प्रारंभ हुए। उन्होंने बताया किया कि शुरू में शिविरों में बहनों की संख्या मात्र 15-20 होती थी। धीरे-धीरे बहनों में जागरूकता आने लगी और आज हमारे शिविरों में यह संख्या 100 से अधिक होने लगी है। प्रारंभ में आत्मरक्षा के लिए मात्र दण्ड चलाना, छुरी चलाना इत्यादि ही सिखाए जाते थे। परन्तु आज समय की मांग के अनुसार राइफल प्रशिक्षण, जूडो-कराटे इत्यादि भी सिखाए जाते हैं। उन्होंने बताया कुछ शिविरों में बहनों को रस्सी पर चल कर एक मकान से दूसरे मकान तक जाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।शिविर में उपस्थित मातृशक्ति की पूर्व क्षेत्रीय संयोजिका श्रीमती यश सक्सेना ने बताया कि शौर्य प्रशिक्षण शिविर के उपरान्त शिक्षिका बनने की इच्छुक कुछ चुनी हुई सक्षम बहनों को शिक्षिका वर्ग में भेजा जाता है।शिविर में भाग लेने वाली बहनों ने बताया कि शिविर में मिले प्रशिक्षण से वे आत्मरक्षा करने में निपुण हो गई हैं और अब वे चाहती हैं कि यही प्रशिक्षण अपने आस पड़ोस की बहनों को भी दें। 24 जून को आयोजित शिविर के समापन समारोह के मुख्य वक्ता थे विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ओंकार भावे। जबकि अध्यक्षता की सुप्रसिद्ध पत्रकार सुश्री संध्या जैन ने। इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के अधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे। द संगीता सचदेव23
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