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संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री ऋषि मुनि सिंह का निधन गत 10 मई को रा.स्व.संघ, बिहार प्रांत के पटना स्थित मुख्यालय विजय निकेतन में हो गया। 82 वर्षीय ऋषि मुनि जी लम्बे समय से अस्वस्थ थे। गत छह वर्ष से उनकी याद्दाश्त भी चली गई थी। श्री सिंह 1946 में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर संघ के प्रचारक बने। 1948 में जब संघ पर प्रतिबंध लगा तब उन्होंने संघ के विभिन्न दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। 1967 में संघ की योजना से पत्रकारिता की। आपातकाल के दिनों में उन्होंने लोकवाणी के प्रकाशन का कार्य भी यशस्वी ढंग से किया। बिहार में इतिहास संकलन योजना का कार्य भी मुनि जी ने ही प्रारंभ किया था। उनकी प्रेरणा से ही बिहार में ग्राम गौरव संस्थान की नींव पड़ी। मुनि जी के निधन का समाचार सुनते ही स्वयंसेवक विजय निकेतन पहुंचने लगे। संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री स्वांत रंजन ने उन्हें स्वयंसेवकों के लिए प्रेरणास्रोत बताया। विधान पार्षद श्री ताराकांत झा ने श्री सिंह को सतत् संघर्षशील स्वयंसेवक बताया। अपने शोक संदेश में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री राधामोहन सिंह ने कहा कि ऋषि मुनि जी के निधन से संघ विचार को अपूरणीय क्षति हुई है। भले ही उनकी याद्दाश्त चली गई हो, लेकिन उन्हें देखकर स्वयंसेवकों के मन में संघ के प्रति आदर-भाव उत्पन्न होता था। ऋषि मुनि जी का अंतिम संस्कार 11 मई को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर किया गया। मुखाग्नि उनके भतीजे मनोज ने दी। 12 मई को विजय निकेतन में एक शोकसभा आयोजित हुई, जिसमें पटना के गण्यमान्य नागरिकों ने हिस्सा लिया। द संजीव कुमार26
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