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ताप बढ़ाने का “पाप” मत करोमधु जगमोहनप्यारे बच्चो! गर्मी की छुट्टियां अब खत्म होने को हैं। जाहिर है आपमें से कुछ बच्चे खुश भी होंगे और कुछ थोड़ा उदास भी कि लो अब फिर से रोज की दौड़ा-दौड़ी, समय-सारिणी के अनुसार स्कूल पहुंचना, और भी तैयारी के साथ, क्योंकि कोई बच्चा अध्यापक की ताड़ना नहीं सहना चाहता। दो बच्चे अपनी-अपनी किताबों की उठापटक कर रहे थे और मां किचन में नाश्ता तैयार कर रही थी कि आवाज आई-“आंटी जी” विभा है क्या घर में? मैं उससे मिलने आई हूं।” दरवाजा खोला तो देखा पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी की बेटी मोनिका खड़ी थी, बोली, “आंटी जी, मैं आज ही कोलकाता से लौटी हूं और विभा के लिए यह रजनी गंधा का पौधा खरीद कर लाई हूं।” उनकी बातें सुन विभा भी बाहर आ गई और मोनिका से गले मिल उसे अपने कमरे में ले गई। पौधे को बगिया में उचित स्थान पर रख दिया।असल में बच्चो! मोनिका अपने पिताजी के साथ कोलकाता घूमने गई थी। जैसा कि आप जानते हो हर वर्ष 5 जून को विश्व “पर्यावरण दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इसके अन्तर्गत सरकारी और गैर सरकारी संस्थान, एक विशेष कार्यक्रम के तहत प्रकृति एवं पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आम नागरिकों, फैक्ट्रियों, मिलों को ऊर्जा बचाने, जल संसाधन का प्रबंधन और नियंत्रण व पेड़-पौधों की आवश्यक देखभाल के लिए प्रचार-प्रसार करके जन-जन को बदलती जलवायु और अनियंत्रित मौसम के विषय में जागरूक करते हैं। जानते हो बच्चो! प्रदूषण, दुर्गंध वाली हवा, विषैली गैसों आदि के कारण सांस लेना दूभर हो जाता है। औरहां, तो बच्चो! मोनिका के पिता पर्यावरण मंत्रालय में काम करते हैं। कोलकाता में होने वाले विश्व पर्यावरण दिवस यानी 5 जून को एक विशेष कार्यक्रम में वह भी अपने पिता के साथ चलने को तैयार हो गई। कार्यक्रम एक विशाल भवन के प्रांगण में आयोजित किया गया था। पास ही एक विशाल सभागार में एक भव्य प्रदर्शनी का उद्घाटन भी होना था। पिता मोनिका की जिज्ञासा को देखते हुए उद्घाटन के बाद, और बच्चों के साथ उसे वहीं रहने की कहकर वापस कार्यक्रम में भाग लेने भवन में चले गये। मोनिका पहले तो कुछ घबराई, अवाक्। अचंभे से विशाल प्रदर्शनी के मुख्य द्वार को ही देखती रही। बड़ा सुंदर आकर्षक रंगीन पट टंगा था द्वार पर “हमारी धरती, हमारा संकल्प।” जल्दी ही मोनिका की एक मित्र मिल गई, बस उसी के हाथ में हाथ डालकर वह चल पड़ी प्रदर्शनी देखने। वहां बड़े-बड़े पोस्टर, ग्राफ वगैरह के द्वारा दिखाया गया था कि कैसे कहीं सूखा पड़ा है, तो कहीं नदी में बाढ़ आई है। कहीं कल कारखाने, फैक्ट्रियों में से विषैला धुंआ निकलकर हवा को दूषित कर रहा है। कहीं भूस्खलन, तो कहीं सुनामी का विनाशकारी दृश्य, बाप रे!एक अन्य कक्ष में पर्यावरण मंत्रालय प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण की शुद्धि के लिए क्या उपाय कर रहा है…का वर्णन चित्रों द्वारा समझाया गया था। पर 100 करोड़ की आबादी वाला देश केवल सरकार के सहारे चले और स्वयं हाथ पर हाथ रखे, केवल परिणाम का इंतजार करें, यह कदाचित् वांछनीय नहीं है।बच्चो, क्या आपको नहीं लगता कि इस बढ़ते विनाशकारी वैश्विक ताप को कम करके ऊर्जा बचाकर, पानी बचाकर, आप भी पर्यावरण सुरक्षा में भागीदारी कर सकते हैं। बूंद-बूंद से सागर भर जाता है कहा है न? तो फिर क्यों न हम आप भी अपनी सूझबूझ से बचाएं पर्यावरण को और आदत डाल लें कि आप आज से ही जल, बिजली, पानी की बचत कर पौधों, वृक्षों की सेवा कर, देश में छाई संकट की इस भयावह स्थिति को अनुकूल बनाने में पूरी मदद करेंगे। तो आ1-मैं अपने घर में एक बगिया लगाऊंगा।2-मैं हर वर्ष एक पेड़ लगाऊंगा।3-मैं ध्वनि प्रदूषण को रोकने का प्रबंध करूंगा।4-ऊर्जा बचाने के लिए मैं सीएफएल के बल्ब लगाऊंगा।5-पानी बचाने के लिए बिना जरूरत नल नहीं खोलूंगा। हर बार फ्लश करने की जगह लोटे से पानी बहाऊंगा।6-काम करके पंखा व लाइट फौरन बंद करूंगा।7-प्लास्टिक बैग का प्रयोग नहीं करूंगा।8-कपड़े व बर्तन नल के नीचे न रखकर बर्तन में पानी भरकर लोटे से धोएं।9-घर के सदस्य जहां तक हो सके एक कमरे में ही बैठकर गप्प-गोष्ठी करें या खाना खाएं।10-सोलर कुकर का इस्तेमाल करें।मेरे दोस्तो! यह देश आपका अपना है, इसे संवारने का कर्तव्य भी आपका है। मुझे पूरा भरोसा है और विश्वास भी कि आप के35
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