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फिर संकट में हिन्दुस्थान एंटीबायोटिक्सद.बा.अंबुलकरपुणे स्थित भारत सरकार का प्रतिष्ठान “हिन्दुस्थान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड” में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले कई बार चर्चा का विषय बने रहते हैं। पेन्सलीन उत्पाद के लिए विख्यात इस कंपनी का कभी हवाई उत्पाद क्षेत्र में वर्चस्व रहता था।उदार अर्थव्यवस्था तथा वैश्वीकरण के चलते विदेशी हवाई उत्पाद सामग्री की भरमार जैसे-जैसे बढ़ती गयी भारत में मशहूर हिन्दुस्थान एंटीबायोटिक्स का कारोबार कम होता चला गया। हालात इस तरह बदतर हुए कि कंपनी में कर्मचारियों की बड़ी मात्रा में छंटनी करने के बावजूद भी उनका वेतन देने तक के लाले पड़ने लगे थे।हिन्दुस्थान एंटीबायोटिक्स के कई कर्मचारियों की तो वेतन तथा अन्य देय राशि लिए बिना जीवन यात्रा समाप्त हो गयी, पर कंपनी के हालात नहीं सुधरे। अनेक मजदूर संगठनों के प्रयासों तथा पूर्व उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान के कार्यकाल में हिन्दुस्थान एंटीबायोटिक्स को आर्थिक सहायता दिए जाने से कंपनी में दोबारा जान डालने की कोशिश की गई। कर्मचारियों की संख्या आधी करने के बाद कंपनी में जैसे-तैसे दोबारा उत्पाद शुरू हुआ, जिसके चलते बचे-खुचे कर्मचारियों में कुछ आशा की किरण पैदा हुई। अब जब कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों में कुछ आशा जगी तोपिछले दिनों सीबीआई द्वारा मारे गये छापों में हिन्दुस्थान एंटीबायोटिक्स के महाप्रबंधक के.पी.राजन द्वारा कंपनी के कुछ चुनिंदा मामलों में 75 लाख रुपयों के अनियोजित लेन-देन का मामला उजागर किया गया, जिस पर कार्रवाई शुरू हो गयी है। के.पी.राजन कंपनी के एक प्रभावशाली महाप्रबंधक हैं, जिन्होंने देखभाल, मरम्मत, वातानुकूलन , कार्मिक, वित्त एवं प्रबंध, विपणन सामग्री आदि विभागों का संचालन किया है। स्थानीय प्रशासन के अलावा संबंद्ध विभाग, आपूर्तिकत्र्ता, केन्द्र सरकार के उच्च अधिकारियों में भी उन्होंने अच्छी खासी साख बना ली है। इसी के चलते के.पी.राजन ने कंपनी के कारोबार में अपनी मनमानी करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार की भी शुरूआत की, जिसका कुछ अंश अब सामने आया है।हिन्दुस्थान एंटीबायोटिक्स पर सीबीआई द्वारा मारे गये छापों के बाद प्राथमिकी के अनुसार के.पी.राजन ने मुम्बई के कांदिवली में स्थित प्रगति इंपेक्ट प्राइवेट लिमिटेड से सारे नियमों का उल्लंघन करते हुए 75 लाख रुपयों के सामग्री की खरीददारी करने का मामला मुख्य रूप से सामने आया है। जांच में इस बात का भी पता चला है कि खरीददारी के मामलों में खासकर सामग्री की खरीद करते समय केन्द्र सरकार तथा ब्यूरो आफ पब्लिक एंटरप्रा24
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