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गांव की ओर जाना ही विकल्प-भैया जी जोशी, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघपर्यावरण संरक्षण, कृषि व्यवस्था में सुधार, रोजगार के अवसर को बढ़ाने के साथ संस्कृति व संपन्नता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए अब गांव की ओर जाना ही एकमात्र विकल्प है।” यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश जोशी उपाख्य भैया जी जोशी ने भोपाल स्थित शारदा विहार परिसर में विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के संयोजकों की तीन दिवसीय बैठक के समापन सत्र में कही। यह बैठक 21 जून को आयोजित हुई थी। उन्होंने कहा कि गोरक्षा व गो संवर्धन को लेकर कुरुक्षेत्र से विजयादशमी (30 सितम्बर) को शुरू हो रही यात्रा से जन-जागरण तीव्र व द्रुत गति से होगा, ताकि पुन: इसकी आवश्यकता न हो। विभिन्न प्रांतों से आए सवा सौ संयोजकों और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने आह्वान किया कि इस कार्य में लग रहे लाखों कार्यकर्ता यात्रा की समाप्ति के बाद गांवों में कार्य करने का संकल्प लें तो देश का कायाकल्प हो जाएगा। इसे दृढ़ संकल्प के साथ “मिशन” के रूप में साकार करना है, नहीं तो यह भी “उत्सव”, “समारोह” तक ही सीमित रह जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद गो यात्रा अब समाज के सभी वर्गों को स्पर्श करेगी। अब आंदोलन का पूर्ण विराम नहीं होगा। यात्रा निरंतर जारी रहेगी।इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सीताराम जी ने कहा कि ग्राम, पर्यावरण व संस्कृति के लिए यह यात्रा अत्यंत आवश्यक है। केवल आरती, पूजा से गोरक्षा असंभव है। कृषि आधारित गो-संरक्षण, ग्राम्य विकास के लिए गोआधारित कृषि जीवन हेतु सुदृढ़ संकल्प पर बल देने की आवश्यकता है। गो-हत्या पर काफी कुछ भले ही बोला जाता है, किन्तु इससे आवेश-आक्रोश की जगह दु:ख होता है, क्योंकि हत्या तो हम स्वयं करते हैं। उन्होंने कहा कि गाय के दूध का सेवन तो हमने बंद कर दिया। गोपालन भी रुक गया और उसी दिन से हमने हत्या करनी शुरू कर दी। गो-माता को बीच सड़क पर हमने ही छोड़ दिया। वस्तुत: गुस्सा हमें खुद पर आना चाहिए। उन्होंने आशा प्रकट की कि सरस्वती शिशु मन्दिर, एकल विद्यालय व अन्य स्कूलों के छात्र, स्वयंसेवक, विविध क्षेत्र की बड़ी संख्या में यात्रा में भागीदारी से ग्राम पुन: अपने पुराने अस्तित्व में आ जाएगा और खुशहाली फिर लौटेगी।विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा व एकल विद्यालय के केन्द्रीय प्रशिक्षण ग्राम्य विकास प्रमुख श्री के.ई. राघवन ने यात्रा के संबंध में विस्तार से बताया कि केन्द्रीय यात्रा 20 हजार किलोमीटर की होगी, जो 108 दिन में समाप्त होगी। उपयात्राएं 1500 किलोमीटर की होंगी, जो मुख्य यात्रा में विलय करती रहेंगी। प्रतिदिन चार कार्यक्रम होंगे और ढाई सौ किलोमीटर तक रथ चलेगा। रात्रि में पड़ाव स्थल पर विशाल कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। यात्रा में मुख्यत: तीन रथ होंगे। पहले रथ में गो का विशाल चित्र, दूसरे में साहित्य और तीसरे में प्रदर्शनी। एक अन्य रथ में संत व महंत चलेंगे। यात्रा में सभी पंथों के लोगों को जोड़ा जाएगा। द अंजनी कुमार झा15
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