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सीकर (राजस्थान) जिले के नीम का थाना के मूल निवासी मेरे पिता श्री मदनलाल गुप्ता कोलकाता में इण्डियन एयर लाइन्स के प्रबंधक पद पर थे#े, जब मेरा जन्म वहां हुआ। स्नातक शिक्षा वहीं से पूरी की। पिताजी के मित्र पिलानी के सहपाठी सेठ गंगा प्रसाद माहेश्वरी की मध्यस्थता से मेरा विवाह सहारनपुर के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार स्व. लाला मित्रसैन के सुपुत्र श्री सत्यदेव से 29 जून 1974 को हुआ। विशुद्ध कांग्रेसी परिवार की कन्या पर सिर मुंडाते ओले पड़ने की कहावत उस समय चरितार्थ हुई जब मेरे पति श्री सत्यदेव गुप्ता ने विद्यार्थी परिषद् के जिला संयोजक के नाते आपातकाल के विरुद्ध सत्याग्रह कर गिरफ्तारी दी। मेरी सासू मां श्रीमती प्रेमवती गुप्ता ने मुझे अपने साथ ले जाकर अपने और मेरे अंगूठों के रक्त से तिलक करवा कर पति को सत्याग्रह के लिए भेजा। पति तो जेल चले गये और घर पर लगातार वरिष्ठ अधिकारियों का गुप्त प्रवास, बैठकें होती रहीं और मेरी जैसी लड़की, जिसने मायके में कुछ करके नहीं दिया, यहां प्रतिदिन अनगिनत लोगों का भोजन, चाय, नाश्ता बनाती। सुबह से रात्रि तक चूल्हा चढ़ा ही रहता था। लेकिन इसमें भी मजा बहुत आया। उत्साह के साथ सभी कार्य करते हुए ना केवल पाक कला में पारंगत हुई, बल्कि राष्ट्रप्रेम की प्रबल भावना भी गहरे पैठ गयी। वरिष्ठ प्रचारकों एवं कई कार्यकर्ताओं ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया। पति से कभी-कभी जेल जाकर मिलना भी रोमांचकारी अनुभव था। जेल प्रवास के दौरान ही एक बार एक वैवाहिक कार्यक्रम में मीसाबंदी पति को पैरोल नहीं मिलने पर मैं अकेली ही दिल्ली गयी। वहां मुझे मुख्य कार्यकारी परिषद् अध्यक्ष श्री राधारमण से मिलाया गया। उन्हें मेरे पति के बारे में पता चला तो उन्होंने मुझसे कहा कि हम उन्हें छुड़वा देते हैं। उस दिन कांग्रेस के बड़े-बड़े मंत्री आदि भी वहां उपस्थित थे। किन्तु मैंने साफ कहा कि उन्हें राष्ट्र कार्य के लिए भेजा है। यह सुनकर वहां खड़े कई लोग आश्चर्यचकित हुए। सम्प्रति मेरे पति रा.स्व.संघ के जिला व्यवस्था प्रमुख तथा जिला अध्यक्ष, भारत विकास परिषद का दायित्व निभा रहे हैं। हमारे तीन बच्चे हैं। दोनों बड़ी लड़कियां शुभ्रा तथा सुरभि विवाहित हैं। पुत्र समीर इंजीनियरिंग करने के साथ-साथ अपने व्यवसाय में सक्रिय है।-सुधा गुप्ताएम.आई.जी. भवन, पोस्ट ऑफिस मार्ग, उत्तरकाशी-259193 (उत्तराखण्ड)14
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